Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 19
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अनिल का मुझ पर ऐसा दबाव देनेसे मैं झल्ला कर बोली, “अनिल, तुम मुझे क्या समझते हो? क्या मैं कोई ऐसी वैसी औरत हूँ को जो हर किसीके सामने अपनी टांगें खोल दूंगी? मैंने तुम्हे जिस किसी औरत के साथ मौज करनी है तो करने की इजाजत दे रक्खी है। पर मुझे बख्शो और मेरे आगे फिर कभी ऐसी बात मत करना।”
अनिल की शक्ल रोनी सी हो गयी। वह बड़ा दुखी हो गया था। उन्हें दुखी देख कर मैं भी दुखी हो गयी और अनिल को देख कर बोली, “डार्लिंग मैं क्या करूँ? दूसरे मर्द के साथ थोड़ी सी छेड़छाड़ या थोड़ी मस्ती चलती है। पर सेक्स? यह तो मैं सोच भी नहीं सकती।
बस मेरा इतना ही कहना था की अनिल दूसरी और करवट बदल कर सो गए। वह उत्तेजना और उन्माद का माहौल एकदम ख़त्म हो गया और वही पुरानी दुरी हम दोनों के बिच आ खड़ी हो गयी। मैं मन ही मन बड़ी दुखी हो रही थी की मैंने भी कहाँ मेरे पति का मूड खराब कर दिया। उस रात को उन्होंने क्या प्लानिंग की थी की हम देर रात तक चुदाई करेंगे। पर मेरी बात ने जैसे अनिल के मूड पर ठंडा पानि फेंक दिया।
मेरा मन किया की मैं अनिल से कहूँ की अगर उसका बहुत मन दुःख हो रहा हो तो मैं उसके लिए कुछ भी कर सकती हूँ। पर मैं कुछ बोल नहीं पायी और चुपचाप सो गयी।
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उस रात मैं सो न सकी। सारी रात मैं अनिल की बातों के बारेमें ही सोचती रही। अनिल की बातों की गहराई को समझने की कोशिश करने लगी। पता ही नहीं चला की कब मैं सो गयी और कब सुबह हो गयी। पर मस्तिष्क में तब भी वही बात घूम रही थी।
सारी बात तब शुरू हुई जब अनिल राज को दिए हुए वचन के बारे में मुझसे पूछताछ करने लगा। जरूर मेरा पति मुझसे कुछ कहना चाहता था। अचानक सारी बात मेरी समझ में आ गयी। अब मैं एक और एक दो समझ गयी और तब मुझे गुस्सा भी आया, दुःख भी हुआ और मेरे पति की और सहानुभूति भी हुई। मेरा पति मुझे उकसा रहा था ताकि मैं राज से सेक्स करूँ जिससे मरे पति को नीना से सेक्स करने का लाइसेंस मिल जाय।
बापरे! मेरे पति कितनी गहरी चाल चल रहे थे! मैं समझ गयी की होली में मेरे न रहते हुए बहुत कुछ हो चुका था। इसीलिए मेरे पति के स्वभाव में इतना अधिक परिवर्तन आया था। पर तब भी मैं वास्तव में क्या हुआ था यह नहीं समझ पायी। पर फिर मैं सोचने लगी की मैंने तो मेरे पति को शादी से पहले ही इजाजत देदी थी की वह किसी और स्त्री को चोदे तो मुझे कोई एतराज नहीं होगा। फिर उन्हें क्या जरुरत थी मुझको उकसाने की की मैं किसी से चुदवाऊँ? इसका मेरे पास कोई जवाब न था।
तब अचानक मेरे मन में इसउधेड़बुन का हल निकालने का एक विचार आया। क्यों न मैं इसके बारेमें नीना से अकेले में बात करूँ? नीना बड़ी समझदार और सुलझी हुई औरत थी। वह जरूर मुझे सही मार्गदर्शन देगी। मैं ऐसा सोच ही रही थी की नीना का ही फ़ोन आ गया। मुझे बड़ा ताजुब हुआ। कैसे हम एक दूसरे की मन बात जान गए थे।
फ़ोन पर हमारी चर्चा कुछ इस प्रकार रही।
मैं, “हेल्लो! हाँ नीना। कैसी हो? सब ठीक ठाक तो हैं? कैसे फ़ोन किया?”
नीना, “बस सोचा, काफी समयसे तुमसे अकेले में बात नहीं हुई। बहुत मन कर रहा था। वैसे तो हम मिलते रहते हैं, पर पिछले कुछ दिनों से मिलना नहीं हुआ। काम से थोड़ा फारिग हुई तो सोचा चलो आज तुमसे बात करती हूँ।”
मैं, “बहुत अच्छा किया। मैं भी तुमसे बात करने की सोच रही थी। ”
नीना, “क्या बात है? बोलो। कुछ ख़ास बात है?”
मैं, ” हाँ, ….. नहीं कोई ख़ास बात नहीं है, बस ऐसे ही।”
नीना, “देखो अनिता तुम मुझसे कुछ छुपा रही हो। बोलो, क्या बात है?”
नीना की इतनी प्यार भरी बात सुनकर मुझसे रहा नहीं गया। मेरी धीरज का बाँध जैसे टूट गया और मैं बच्चे की तरह फ़ोन पर ही फफक फफक कर रोने लगी।” यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
उस तरफ लगता था जैसे मेरा रोना सुनकर नीना घभड़ा कर बोली, “अरे, भाभी, बात क्या है? कोई बड़ी मुसीबत आन पड़ी है क्या? बताती क्यों नहीं?”
मैंने अपने आप को सम्हालते हुए कहा, “ऐसी कोई ख़ास बात नहीं। बस ऐसे ही। ”
नीना, “ऐसे ही कोई रोता है क्या? रुको मैं अभी इसी वक्त आ रही हूँ। मुझे भी तुमसे कुछ बात करनी है।”
देखते हीदेखते नीना दरवाजे पर थी। जैसे ही मैंने दरवाजा खोला की नेना ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और बोली, ” एक साल ही सही, पर बड़ी हूँ। इस नाते से तुम मेरी छोटी बहन हुई। अपनी बहन से कोई भला कुछ भी छुपाता है क्या?”
मैंने अपने आप को सम्हाला और मैं रसोई में से चाय और कुछ नाश्ता ले आयी। नीना ने मुझे ठीक से बिठाया मेरा एक हाथ अपने हाथों में लिया और उसे सहलाने लगी और बोली, “अपनी बड़ी बहन से बताओगी नहीं की क्या बात है?”
मैंने धीरे से कहा, “कैसे बताऊँ नीना, बड़ा अजीब लगा रहा है। पिछले कुछ दिनों से अनिल अजीब सा वर्ताव कर रहें हैं।” नीना ने बिना कुछ बोले मेरी और प्रश्नार्थ दृष्टि से देखा। वह मेरे आगे बोलने का इन्तेजार कर रही थी।
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