Bhoot To Chala Gaya – Part 9
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मैंने सोचा बापरे यह क्या हो गया। अनजाने में ही मैंने यह जाहिर कर दिया की मैं जाग गयी थी और समीर के पाँव सहलाने से आह्लादित हो रही थी। इस उम्मीद में की शायद समीर ने मेरी आह नहीं सुनी होगी; मैं चुपचाप पड़ी रही और समीर के मेरे पाँव के स्पर्श का आनंद लेती रही। थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद जब मैंने आँखें खोली तो देखा की समीर का एक हाथ उनके पाँव के बिच था और दूसरे हाथ से वह मेरे पाँव को सेहला रहे थे। मुझे यकीन था की उस समय जरूर समीर का लण्ड तना हुआ एकदम कड़क होगा क्यूंकि मैंने उनके पाँव के बिच में तम्बू सा उभार देखा। उस समय मेरी मानसिक हालात ऐसी थी की मुझे ऐसा लग रहा था की जिस दिशा में मैं बहती चली जा रही थी वहांसे से वापस आना असंभव था। और मेरी इस बहकावे का कारण समीर नहीं था। मैं स्वयं अपने आप को नियत्रण में नहीं रख पा रही थी।
मेरे पति मेरी इस हाल के पुरे जिम्मेवार थे। वह जिद करते रहे की मेरे और समीर के बिच की दुरी कम हो, समीर हमारे यहां शामका खाना खाने के लिए आये, समीर हमारे यहाँ रात को रुके इत्यादि इत्यादि। मुझे ऐसा लगने लगा की कहीं न कहीं मेरे पति कोई ऐसी चाल तो नहीं चल रहे जिससे की समीर और मैं (हम) मिलकर सेक्स करें और मैं समीर से चुदवाऊं। मैंने सोचा की अगर ऐसा ही है तो फिर हो जाये। फिर मैं क्यों अपनी मन की बात न मानूं?
मैंने तय किया की जो भी होगा देखा जाएगा। मैं जरूर अपने पति को पूरी सच्चाई बताऊँगी और वह जो सजा देंगे वह मैं कबुल करुँगी। पर उस समय यह सब ज्यादा सोचने की मेरी हालत नहीं थी। मेरी चूत में जो खुजली हो रही थी उसपर नियत्रण करना मेरे लिए नामुमकिन बन रहा था। हकीकत तो यह थी की मैं सीधी सादी औरत से एक स्वछन्द और ढीले चरित्र वाली लम्पट औरत बन रही थी जो मेरे पति के अलावा एक और मर्द का लण्ड अपनी चूत में डलवाने की लिए उत्सुक थी।
शायद समीर को पता लग गया था की मैं जाग गयी थी। उन्होंने मेरे पाँव से उनका हाथ हटा कर चद्दर से मेरे पाँव ढक दिए और अपना हाथ धीरे से मेरी कमर पर चद्दर पर रख दिया। मुझे लगा की कहीं वह मेरी चूँचियों को सहलाना और मसलना शुरू न कर दे। बल्कि मेरे मन में एक ख्वाहिश थी की अगर वह ऐसा कर ही देते हैं तो अच्छा ही होगा। उस हाल में मुझे कोई शुरुआत नहीं करनी पड़ेगी। हर पल बीतने पर मेरी साँसों की गति तेज हो रही थी। समीर ने भी उसे महसूस किया क्यूंकि उसने अपना चेहरा मेरे चेहरे के बिलकुल सामने रखा। और धीरे से मेरे कान में बोलै, “नीना क्या आप बेहतर महसूस कर रही हो?”
उस हालात में क्या बेवकूफी भरा प्रश्न? मैंने धीरेसे मेरी आँखें खोलीं तो मेरी आँखों के सामने समीर को पाया। समीर की नाक मेरी नाक को छू रही थी। मुझे समीर के सवाल से गुस्सा तो आया पर मैंने उसके जवाब में समीर की और मुस्काते हुए कामुक नजर से देखा। मेरी कामुक नजर और मेरी शरारत भरी मुस्कान ने शब्दों से कहीं ज्यादा बयाँ कर दिया। समीर ने झिझकते हुए मेरी आँखों में देखा और मेरे भाव समझ ने की कोशिश करने लगे। तब मैंने वह किया जो मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी। मैंने अपने दोनों हाथ समीर के सर के इर्दगिर्द लपेट दिए और जोरसे उसके चेहरे को मेरे चेहरे पर इतने जोरों से दबाया की जिससे उसके होँठ मेरे होठों से भींच गए।
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समीर को तो बस यही चाहिए था। वह झुके और उन्होंने मुझे मेरे होंठों पर इतना गाढ़ चुम्बन किया की कुछ क्षणों के लिए मेरी सांस ही रुक गयी। उनकी हरकत से ऐसा लगता था की वह इस का इंतजार हफ़्तों या महीनों से कर रहे थे। महीनों तक उन्होंने अपनी इस भूख को अपने जहन में दबा के रखा था। पर मेरी इस एक हरकत से जैसे मैंने मधु मक्खी के दस्ते पर पत्थर दे मारा था। समीर मेरे होंठों को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे। हम करीब तीन मिनट से ज्यादा देर तक एक दूसरे के साथ चुम्बन में लिपटे रहे।
अपने होंठों से उन्होंने मेरे होंठ को प्यार से सहलाया, मेरे ऊपर के होंठ को चूमा, दबाया और खूब इत्मीनान से चूसा। फिर उसी तरह मेरे निचले होंठ को भी बड़ी देर तक चूसते रहे। मेरे होठों को अपने होठों से बंद करके उनको बाहर से ही चूसते रहे और अपने मुंह की लार अपनी जीभ से मेरे होठों के बाहरी हिस्से में और मेरे नाक और गालों पर भी लगाई। फिर मेरे होंठों अपने होंठों से खोला और अपनी सारी लार मेरे मुंह में जाने दी। मैं उनकी लार को मेरे मुंह के अंदर निगल गयी। मुझे उनकी लार बहुत अच्छी लगी।
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी..
पाठकों से निवेदन है की आप अपना अभिप्राय जरूर लिखें मेरा ईमेल का पता है “[email protected]”. बेस्ट हिन्दी चुदाई कहानी देसी टेल्स
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