Bete Ke Pehle Sex Ka Maza Liya

Deep punjabi 2018-01-21 Comments

हेल्लो दोस्तों आपका अपना दीप पंजाबी एक बार फेर आपकी सेवा में एक नई कहानी लेकर हाज़िर है। पिछले हफ्ते प्रकाशित हुई कहानी “पेपर देने आई साली, चूत दे गयी” को बहुत ही दोस्तों ने पसन्द किया। उसके लिए मैं उनका बहुत ही आभारी हूँ।

उम्मीद करता हूँ आगे भी आप इसी तरह अपने प्यार से हमे नवाजते रहोगे। उन्ही दोस्तों में से ये कहानी मेल के ज़रिये हमारी एक रीडर श्वेता अरोड़ा द्वारा भेजी गयी है। सो ज्यादा वक्त जाया न करते हुए सीधा कहानी पे आते है। सो आगे की कहानी सुनिये उसकी ही ज़ुबानी…

हैलो दोस्तो आपको आपकी नई दोस्त श्वेता अरोड़ा का प्यार भरा नमस्कार कबूल करे। मैं देसी कहानी की निम्न पाठक हूँ। मैंने बहुत सी कहानियां पढ़ी हुई है। जिन्हें पढ़कर मेरे मन में आया क्यों न मैं भी अपनी गाथा आप सब लोगों के सामने रखूँ। पहले तो मैं ड़रती रही के अपनी कहानी आप लोगों तक कैसे पहुँचाऊँ। फेर मैंने अपनी कहानी टाइप करके इस साईट के ही एक लेखक को भेज दी। सो आप मेल के जरिये बताना कैसी लगी।

सबसे पहले अपने बारे में बतादू। मेरा नाम श्वेता अरोड़ा है। मेरी उम्र 36 साल है और मैं अपने पति राज अरोड़ा और 18 साल के बेटे अजय के साथ दिल्ली की एक मशहूर सोसाईटी में रहती हूँ। मैं एक हाउसवाइफ हूँ और मेरे पति राज अरोड़ा 40 साल के है और वो एक टूरिस्ट विभाग में काम करते है। जबके मेरा बेटा अजय अभी **वीं में पढ़ रहा है। ये कहानी मेरे और मेरे बेटे के पहले सेक्स के बारे में है। हुआ यूं के मेरा बेटा और मेरे पति बहुत ही फ्रेंडली स्वभाव के है।

मतलब के वो बाप बेटा कम और दोस्त ज्यादा है। सुबह काम और स्कूल जाने से पहले और आने के बाद दोनों मोरनिंग, इवनिंग वॉक पे जाते है। सच कहूँ तो मेरे पति काफी दोस्ताना स्वभाव के मालिक है। दोनों में काफी बनती है। अक्सर ही वो लड़कियो, मोहल्ले की औरतो की बाते करते रहते है। मेरे पति तो यहां तक सेक्स के मामले में खुले विचारो वाले है के अपनी ही कज़न सिस्टर के बारे में उसकी गांड, चूची की बात करते रहते है।

हमारे किचन और बेटे के स्टडी रूम में एक दीवार का फासला है। एक दिन पति ने नोट किया के मेरा बेटा, किचन में खाना बनाते वक़्त मेरी गांड को निहार रहा है। जब उसने पूछा के अजय क्या देख रहे हो। तो वो डर गया और रोने लग गया और उनसे माफ़ी मांगने लगा। राज ने उसे कुछ नही कहा और मुझे अलग कमरे में लिजाकर बताया के मेने कई दिनों से नोट किया है के जब तुम कोई काम करती हुई झुकती हो तो ये तुम्हारी चूचियाँ, गांड देखकर अपनी आँखे गर्म करता है।

राज की बात सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया और जैसे ही मैं बेटे को डांटने उसके कमरे में आने लगी। तो राज ने मुझे ये कहते हुए समझाकर शांत करवाया के बच्चा है, जवानी की दहलीज़ पे नया नया उतरा है। अक्सर ही बच्चों से गलती हो जाती है। तुम उसे कुछ न कहना मैं उसे खुद समझाऊंगा।

अगले दिन से जब दोनों बाहर सुबह की सैर पे गए वापिस आये, तो राज ने बताया के श्वेता, अजय का तुम्हारे प्रति नज़रिया बदल गया है। वो तुम में माँ कम और अपनी पत्नी ज्यादा देखता है। अब क्या करे ? माँ होने के नाते मेरा एक दिल तो करे के इसकी जमकर पिटाई करूँ, लेकिन पति के रोकने पे रुक गयी। थोड़े दिन बाद सब सामान्य हो गया। एक दिन हम स्कूल की छुट्टियों में शिमला घूमने गए। वहां करीब एक हफ्ता होटल में रहे। वहां भी मेने नोट किया के अजय का ध्यान वहां पे रुकी लड़कियों की चूची और गांड पे ही है।

मेरी इस तरह से देखने से राज भी मुझे देखकर हंस दिया और बोला,” अब बोलो, ये आपके साथ ही नही बल्कि हर उस लड़की के साथ सम्भोग के सपने संजोता है। जो इसके मन को भाती है। थोड़े दिन बाद हम घर आ गए। अब तो बाप बेटे में इतना खुलापन आ गया था के वो डायरेक्ट ही चूत, लण्ड की बाते करने लगे थे।

मैंने राज़ को भी डाँट दिया के तुम ही इसे सिरे चढ़ा रहे हो। कल को कोई बात हो गयी न मुझे दोष मत देना। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

इसपे राज ने कहा,” डिअर पतनी साहिबा बेटा बड़ा हो रहा है। उसको सही गलत की पहचान नही है। मैं उसे पिता होने के नाते एक दोस्त बनकर उसके दिल में जो भी है, बाहर निकाल रहा हूँ। क्योंके यदि मैं एक पिता बनके ये सब उस से पूछूँगा तो शायद ही कभी मेरी किसी बात का जवाब वो देगा। जबके एक दोस्त बनकर मैं उसकी हर एक अच्छी बुरी बात जान गया हूँ।

एक दिन सफाई के दौरान उन दोनों की बातचीत मैं एक पेपर पे लिखी देखकर हैरान रह गयी। जिसमे उसके पिता कुछ जवाब पूछ रहे थे।

राज – अजय क्या, तुम्हे तुम्हारी माँ अच्छी लगती है ?

अजय – हाँ बहुत ज्यादा।

राज – माँ के शरीर का कोनसा पार्ट अच्छा लगता है?

अजय – माँ की बड़ी गांड और चूचियाँ।

राज – अकेले में माँ के साथ रहना चाहोगे?

अजय – हाँ मैं एक पति बनकर उसकी केअर करना चाहता हूँ।

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