Bhoot To Chala Gaya – Part 6
This story is part of a series:
तब अचानक एक भले कार वाले ने मेरी हालत देख कर अपनी गाडी रोकी। गाडी में एक सीट खाली थी। गाड़ी के मालिक (जो खुद गाडी चला रहा था) ने हमसे कहा, “बस एक जगह है। आप दोनों में से कोई एक को ही हम ले सकते हैं। समीर और मैं ने एक दूसरे की और देखा। तब मुझे अचानक एक बात सूझी और मैंने गाडी के मालिक से कहा, “सर, क्या आप हम दोनों को ले चलेंगे अगर हम एक ही सीट मैं बैठ जाएँ तो?”
गाडी के मालिक ने मुझे एक अजीब नजर से देखा। तब मैंने उनसे हाथ जोड़कर कहा, “हम पिछले एक घंटे से टैक्सी या बस का इंतजार कर रहे है। पर कोई टैक्सी या बस रुकी नहीं। हम ऐसा करेंगे की मैं मेरे पति की गोद में बैठ जाउंगी, इससे हम एक ही सीट रोकेंगे और किसीको कोई दिक्कत नहीं होगी। प्लीज! बारिश बहुत जोरों से हो रही है। यह एक आपात जनक स्थिति है और अगर आप हमें लिफ्ट नहीं देंगे तो पता नहीं हमें यहां कितने घंटों इंतजार करना पड़ेगा।
गाडी के मालिक ने मेरी और सहानुभूति से देखा। मैं पूरी तरह बारिश में भीगी हुई थी। उस दिन मैंने कुछ ज्यादा ही पतले कपडे पहने थे। मेरे कपडे मेरे बदन से ऐसे चिपके हुए थे की मुझे पता नहीं मैं कैसी दिख रही होउंगी। गाडी के मालिक ने कुछ देर सोचकर हमें अंदर आने को कहा। समीर ने मेरी और देखा और कुछ कहने की कोशिश कर रहा था पर मैंने पलट कर गाडी में से कोइ न देखे ऐसे होठों पर उंगली रखकर उसे चुप रहने का इशारा किया। वह शायद मुझे पूछने की कोशिश कर रहा था की क्यों मैंने उसे अपना पति कह कर पुकारा।
पहले समीर गाडी में घुसा और बाद में मैं उसकी गोद मैं जा बैठी। आगे एक महिला बैठी थी। उसने मुझे देखकर पीछे मुड़कर “हाई” किया। कार में सब बैठने वाले हमारी तरह पूरी तरह भीगे हुए थे।
समीर की गोद में अगली ४५ मिनट बैठना मेरे लिए एक बड़ा ही रोमांचक अनुभव रहा। मैं समीर के दोनों हाथों के बिच जकड़ी हुई थी। उसक लण्ड एकदम खड़ा होगया था और मेरी गांड की दरार में कोंच रहा था। समीर का बांया हाथ लगातार मेरे बाएं स्तन को दबा रहा था। मुझे ऐसे लगा की जैसे वह यह जान बुझ कर कर रहे थे। मेरे साड़ी के पल्लू में सब कुछ छिपा हुआ था और कोई उसे देख नहीं सकता था। मैं कुछ भी बोलने की हालत में नहीं थी क्यूंकि आखिर मैंने ही उन्हें अपना पति बताया था।
उस कार ने हमें घर से करीब दो किलोमीटर दूर छोड़ दिया। अब बाकी की दुरी हमें चल कर पार करनी थी। मैं एक कदम भी चलने की हालत में नहीं थी। मुझे बहुत सरदर्द हो रहा था। मेरी आखें लाल हो रही थी। समीर ने मेरा एक हाथ और कन्धा सख्ती से पकड़ा और मुझे आधा उठाकर पूरा टेका देते हुए मुझे घसीटते घर की और चल पड़े। मैं भी लुढ़कते हुए उनके सहारे धीरे धीरे चलने लगी। जब मैं अपने घर तक पहुंची तब मुझमें एक और कदम चलने की ताकत नहीं थी।
सोसाइटी के दरवाजे पर मैं खड़ी रही, तो समीर मुझे भांप रहे थे। उस बारिश में वह मेरे पुरे बदन को देख रहे थे। मेरा हाल देखने लायक तो था ही। मेरे सारे कपडे मेरे बदन पर ऐसे चिपक गए थे की मेरी चमड़ी साफ़ दिखाई दे रही थी। मेर ब्रा और मेरा पेटीकोट ऐसे नजर आ रहे थे जैसे उनके ऊपर मैंने कुछ पहना ही नहीं था। मैंने उस दिन नायलॉन का गहरे गले वाला ब्लाउज और छोटी सी सिल्की कपडे की ब्रा और उसके ऊपर नायलॉन की ही साड़ी पहनी थी।
मुझे अपना फीडबैक देने के लिए कृपया कहानी को ‘लाइक’ जरुर करें। ताकि कहानियों का ये दोर देसी कहानी पर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
साड़ी मेरी नाभि के काफी निचे बंधी हुई थी। मैंने देखा की मेरी चूँचियाँ, मेरे निप्पलं और निप्पलों के पूरी गोल घूमती हुए मेरे एरोला साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे थे। मुझे ऐसा लग रहा था की जैसे उस समय बारिश में मैं समीर के सामने एकदम नंगी खड़ी हुई थी। मुझे समीर की शरारत, जो उसने कार में की थी वह याद आयी तो मैं शर्म और उत्तेजना से तार तार हो गयी। मैंने अपनी साडी ठीक की और घर जाने के लिए आगे बढ़ी।
समीर ने देखा की मैंने उसे मुझे ताकते हुए देख लिया था तो उसकी नजरे झुक गयीं। उतने में ही मुझे जोरों से छींकें आने लगीं। मेरे नाक से पानी बह रहा था। समीर ने मुझे पूछा की क्या मेरे पास सर्दी की कोई दवा है। जब मैंने मनाकिया तो उसने कहा वह जाकर तुरनत ही मेरे लिए दवाई लेकर आएगा और मुझे दवाई देकर ही फिर घर जाएगा। समीर दवाई लेने चला गया। मैं बड़ी मुश्किल से सीढ़ियां चढ़कर घर में प्रवेश कर ही रही थी की मेरे फ़ोन की घण्टी बज उठी।
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी..
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