Bhoot To Chala Gaya – Part 5

iloveall 2017-05-07 Comments

This story is part of a series:

मैं जानती थी की मेरे लिए वह काम करना नामुमकिन था। एक तो मैं थकी हुई भी थी। मैंने बॉस को समझाने की बड़ी कोशिश की पर उसका कोई असर नहीं पड़ा। बॉस ने कह दिया की काम तो पूरा करना ही पडेगा। अगर काम नहीं हुआ तो मेरा नौकरी से हाथ धोना तय था। बस और कुछ नहीं बोलते हुए बॉस चले गए। मैंने फाइलें ली और सारा डाटा कंप्यूटर में चेक कर के फीड करने लगी।

काम लम्बा और समय लेने वाला था। मुझे लग रहा था जैसे मुझसे तो वह काम सुबह तक भी नहीं होगा। मुझे काम करते हुए एक घंटा हो गया होगा। दफ्तर बंद होने का समय हो चूका था। एक के बाद एक कर ऑफिस खाली होने लगी। समीर घर जाने के लिए तैयार थे। वह मेरे पास आये। मुझे काम पर लगे हुए देख कर पूछने लगे की क्या बात थी की मैं घर के लिए नहीं निकल रही। मैंने उन्हें सारी फाइलें दिखाई और बोस ने मुझे जो कहा था समीर को सुनाया। मैंने कहा की मुझसे वह काम होने वाला नहीं था और मेरी नौकरी दूसरे दिन जरूर जाने वाली थी।

समीर ने मेरी पीठ थपथपाई और कहा, “उठो, मुझे देखने दो। तुम चिंता मत करो। आरामसे वहां कुर्सी पर बैठो और जब मैं कहूं तो मेरी मदद करो। तुम्हारा काम हो जाएगा।” समीर ने सारी फाइलें मुझसे लेली और मेरी कुर्सी पर बैठ कर वह फुर्ती से काम में लग पड़े। बिच बिच में वह मुझे चाय या बिस्कुट या पानी या फाइल देने के लिए कहते रहे। मैं इस आदमी पर हैरान हो गयी जो मेरे लिए इतनी मेहनत और लगन से काम कर रहे थे। उन्हें यह सब करने की कोई जरुरत नहीं थी।

समीर को एकदम एकाग्रता से काम करते हुए देख मेरा ह्रदय पिघलने लगा। समीर के बारे में जो मैंने उल्टापुल्टा सोचा था उसके लिए मुझे पछतावा होने लगा। तीन घंटे बीत चुके थे। रात के नौ बजने वाले थे। मेरी आखें नींद से भारी होने लगी थी। समीर ने मुझे रिसेप्शन में सोफे पर जाकर लेट जाने को कहा। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

पता नहीं कितना समय हुआ होगा की अचानक मुझे समीर ने कांधोंसे पकड़ कर हिलाया और बोले, “उठो काम ख़तम हो गया। अब खाली प्रिंटआउट लेने हैं।”

मैं हड़बड़ाहट में उठ खड़ी हुई तो नींद के कारण लड़खड़ाई और फर्श पर गिरने लगी। समीर ने एक ही हाथ से मुझे पीठ से अपनी बांह में उठाया। उस हाथ के दूसरे छोर पर उनकी उंगलियां मेरे स्तनों को दबा रही थीं। उनके दुसरे हाथ ने मेरे सर को उठा के रखा था। जैसे राज कपूर और नरगिस का स्टेचू होता था वैसे ही हम दोनों लग रहे होंगे।

मैंने अपनी आँखें खोली तो मेरी आँखों के सामने ही समीर की ऑंखें पायीं। मुझे ऐसा लगा जैसे समीर एकदम जैसे मेरे होंठ से होंठ मिलाकर मुझे उसी समय चुम्बन कर लेंगे। उनकी आँखों में मुझे वासना की भूख दिख रही थी। मेरे बदनमें जैसे बिजली के करंट का झटका लगा हो ऐसे मैं काँपने लगी। यदि उस समय समीर ने मुझे चुम लिया होता तो मैं कुछ भी विरोध न करती। मेरी हालत ही कुछ ऐसी थी।

परन्तु समीर ने अपने आपको सम्हाला। उन्होंने मुझे धीरे से सोफे पर बिठाया और खुद कंप्यूटर के पास जाकर प्रिंट लेने की तैयारी में लग गए। हमारे बदन की करीबियों से न सिर्फ मैं, परन्तु समीर भी हिल गए थे। समीर ने मुझे जब तक वह अपनी तैयारी कर लें तब तक दफ्तर के छोटे से स्टेशनरी रूम में से प्रिंटिंग कागज़ का एक पैकेट लाने को कहा।

मैं उठ खड़ी हुई और वह छोटे से कमरे में घुसी जहां छपाई के काम आनेवाले कागज़ के पैकेट एक ऊँचे ढेर में रखे हुए थे। मैंने थोड़ा कूदकर ऊपर वाले पैकेट को लेने की कोशिश की तब अचानक ही एक चूहा जो कगजों के ढेर के ऊपर था, मेरे सर पर कूद पड़ा। मैं जोर से चिल्लाने लगी पर वह चूहा मेरे बालों में घुसा और अचनाक पता नहीं कहाँ गायब हो गया।

समीर अपनी जगह से भागते हुए आये और बोले, “क्या बात है? तुम चिल्ला क्यों रही हो?”

डर के मारे मैं बोल भी नहीं पा रही थी। मैं फिर जोर से बोल पड़ी, “चूहा!”

मुझे सुनकर समीर जोर से ठहाका मार कर हंस पड़े और फिर अपने आपको नियत्रण में रखते हुए बोले, “चूहा? कहाँ है चूहा?”

अचानक मैंने महसूस किया की मेरी ब्रा के अंदर मेरे स्तनों के ऊपर कुछ चहल पहल हो रही थी। चूहा मेरी ब्रा में घुसा हुआ था और मेरी निप्पलों से खेल रहा था। मैंने समीर से चिल्लाते हुए कहा, “वह तो मेरे ब्लाउज में घुसा हुआ है। उसे तुम जल्द निकालो। प्लीज?” मैं ड़र के मारे लड़खड़ा गयी और गिरने लगी।

समीर ने कुछ सोचे समझे बिना अपना एक हाथ मेरे कूल्हे के निचे रखा और मुझे ऊपर उठा कर मेरी दोनों टांगों को अपनी दोनों टांगों के बिच में जकड लिया ताकि मैं निचे न जा गिरूं और दुसरा हाथ मेरी ब्रा को हटा कर उसमें डाल दिया और चूहेको बाहर भगा दिया। चूहा निचे गिर पड़ा और भाग कर जाने कहाँ चला गया। लेकिन समीर का हाथ जस के तस मेरे स्तनों के ऊपर ही रहा और वह धीरे धीरे मेरे दोनों स्तनों को दबाने और सहलाने लगे। उनकी उंगलियां मेरी निप्पलों के साथ खेलने लगीं। उन्होंने अपनी हथेली में मेरे स्तनों को दबाया और फिर मेरी फूली हुई निप्पलों को जोरों से दबाने लगे। उनका दुसरा हाथ मेरे कूल्हों के निचे मेरी गांड के बीचो बिच की दरार पर था और वह मेरी साडी के ऊपर से ही अपनी उँगलियों को अंदर घुसाने की कोशिश में लगे हुए थे।

Comments

Scroll To Top