Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 14

iloveall 2017-02-14 Comments

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अनिल को मेरी पत्नी को इतने जूनून से चोदते देख कर मेरा सर ठनक रहा था। नीना भी उससे बड़े प्यार से चुदवा रही थी। अब वह झिझक नहीं थी। वह दर्द नीना को मीठा लग रहा था। अब मेरी बीबी हंसते हुए अनिल का लंबा और मोटा लण्ड अपने योनि मार्ग में अंदर बाहर होते हुए अनुभव कर रही थी। उसका उन्माद भरा आनन्द उसके चेहरे पर साफ़ झलकता दिख रहा था। वह अनिल को प्रोत्साहित कर रही थी वह उसे और ताकत से चोदे। वह अनिल को जैसे चुनौती दे रही थी। मेरी रूढ़िवादी, शर्मीली, निष्ठावान और नीरस पत्नी एक गैर मर्द की चुदाई का भरपूर आनंद ले रही थी।

मुझे जगा हुआ देख मेरी बीबी थोड़ी झेंप गयी और मेरी और थोड़ी सी सहमी निगाहों से देखने लगी।
मैंने अपना मुंह उसके मुंह के पास ले जा कर उसे चुम्बन किया। परंतु पिछेसे अनिल के जोरदार धक्कों से वह बेचारी इतनी हिल रही थी की मैं उसे ठीक से चूम नहीं पाया। मैंने उसे अपनी आँखों से ही सांत्वना दी और उसके गालोँ पर पप्पी दी।

थोड़ी ही देर में अनिल और नीना अपनी शिखर पर पहुँच गए। अनिल और नीना की कामुकता भरी कराहट से कमरा गूंज उठा। अनिल ने भी एक धक्का और दिया और मेरे देखते ही देखते नीना की चूत में से ढेर सारी मलाई चू कर चद्दर पर गिरने लगी। अनिल के सर पर पसीने की बूँदें झलक रही थी। उसने मेरी और देखा। पिछली रात की मस्ती के मुकाबले माहौल थोड़ा बदला सा लग रहा था। शायद वह सुबह नए दिन का असर था। मेरी बीबी को चोदते हुए देख कर कहीं मैं बुरा न मान जाऊं इस डर से शायद वह थोड़ा सा नर्वस हो रहा था। मैं उसे देखकर मुस्काया। मेरी मुस्कान से नीना और अनिल दोनों ने थोड़ी राहत महसूस की।

अनिल ने मेरी और देखते हुए कहा, “यार, सॉरी। तू गहरी नींद सो रहा था। पिछेसे भाभी इतनी सेक्सी लग रही थी की मैं अपने आप को नियत्रण में रख नहीं पाया। मैं तुझे क्या कहूँ? मैं तेरा जीवन भर का ऋणी हूँ। मैंने मेरी पूरी जिंदगी में इतना जबदस्त सेक्स कभी नहीं किया। आज मेरी जिंदगी की सब ईच्छ पूरी हो गयी।” यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..

मैंने नीना की और देखा तो उसने अपनी नजरें झुका दी। अनिल की सारी बात उसने सुनी पर वह कुछ नहीं बोली।

जैसे ही अनिल ने अपना गिला और ढीला लण्ड मेरी पत्नी की चूत में से निकाला, नीना बड़ी फुर्ती से पलट कर मेरी बाहों में आ गयी। मैं अपनी बीबी को उस अवस्था में देखकर उत्तेजित हो रहा था। मैंने उसे अपने आहोश में ले लिया। मैं उसके नाक, कान,गाल और उसकी नाभि बगैरह को चूमने लगा। मैं नीना को आश्वस्त करना चाहता था की मैं उससे किसी तरह से नाराज नहीं हूँ और मुझे कोई ईर्ष्या भी नहीं हो रही थी।

नीना अनिल के साथ सम्भोग के बाद और भी खूबसूरत कोई अप्सरा समान सुन्दर लग रही थी। उस नग्न अवस्था में की जब उसकी चूत में से मेरे दोस्त का वीर्य टपक रहा था, वह एक रति सामान लग रही थी। उस सुबह मैंने मेरी पत्नीको पहली बार वास्तव में मेरी काम संगिनी के रूप में अनुभव किया जिसे मुझे अनोखी आल्हादना का भाव हो रहां था।

मैं उठ खड़ा हुआ और एक टिश्यू का बॉक्स लेकर नीना की योनि से अनिल के वीर्य को साफ़ किया और मैं मेरी बीबी से लिपट गया। मैंने उसे कहा, “आज मैं तुम्हें पाकर वास्तव मैं धन्य हो गया। आज तुमने मेरी एक विचित्र कामना को अपनी स्त्री सुलभ लज्जा का त्याग करके फलीभूत किया है इसका ऋण मैं कैसे चुकाऊंगा यह मैं कह नहीं सकता। तुम्हारी जगह यदि कोई और पत्नी होती तो बड़ा दिखावा और हंगामा करती और नैतिकता का झंडा गाड़ती फिरती। बादमें मुझसे छिपकर शायद वही करती जो आज तुमने मेरे कहने से मेरी इच्छानुसार मेरे सामने किया है। ।“

नीना ने मेरी और देखा। स्त्रीगत लज्जा से आँखें नीची कर अपने होठों पर हलकी सी मुस्कराहट लाकर उसने मेरा हाथ थामा और उसपर अपनी प्यारी उँगलियों को हलके से बड़े दुलार से फेरते हुए बड़े ही धीमी मधुर आवाज में बोली, “वास्तव में तो मैं तुम्हारी ऋणी हूँ। तुमने मुझे आज वास्तव में एक सह भागिनी का ओहदा दिया है तुमने मुझे यह अनुभव कराया है की मैं तुम्हारी जिंदगी मैं कितनी अधिक महत्वता रखती हूँ। तुमने मेरे प्रति मालिकाना भाव न रखते हुए मुझे अनिल की और आकर्षित होने के लिए प्रेरित किया। आपने आज मुझे भी बड़े सम्मान के साथ एक गैर मर्द से जातीयता का अनुभव प्राप्त कराया और उसके लिए मुझे कोई चोरी छुपी से कुछ गलत या पाप कर्म भी नहीं करना पड़ा, यह कोई भी पत्नी के लिए एक अद्भुत और अकल्पनीय बात है।“

ऐसा कह कर मेरी बीबी ने मुझे अपनी बाँहोँ में ले लिया। बादमें उसने अनिल की और देखा जो गौर से हमारा वार्तालाप सुन रहा था। नीना ने अपने हाथ बढाए तो अनिल भी उसकी बाँहोँ में आ गया।

मेरी पत्नी तब हंस पड़ी और हलके लहजे में मुझसे बोली, “डार्लिंग, यह मत समझना की मैं आज अनिल से आखरी बार सेक्स कर रही हूँ। तुम्हारा दोस्त सेक्स करने में उस्ताद है। वह भली भाँती जानता है की अपनी प्रियतमा को कैसे वह उन ऊंचाइयों पर ले जाए जहां वह पहले कभी नहीं गयी। मैं उससे बार बार सेक्स करना चाहती हूँ। इसके लिए मैं तुम्हारी सहमति चाहती हूँ। जब तुम मुझे अनिल की और आकर्षित होने के लिए प्रेरित कर रहे थे तब मैंने तुम्हें इसके बारे में आगाह किया था। और हाँ, मैं यह भी जानती हूँ की तुम अनीता को पाना चाहते हो। शायद इसिलए तुम दोनों ने मिलकर यह धूर्त प्लान बनाया। तुम ने सोचा होगा की नीना को पहले फांसेंगे तो अनिता बेचारी को तो हम तीनों मिलकर फांस ही लेंगे। यदि तुमने यह सोचा था तो सही सोचा था। अब मैं तुम्हारे साथ हूँ। जब मैं तुम दोनों के चुंगल में फंस ही गयी तो अनीता कैसे बचेगी? आज मैं भी तुम्हारी धूर्त मंडली में शामिल हो गयी।”

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