Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 6

iloveall 2016-08-29 Comments

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अनिल ने तब मुझे एक बात कही। उसने कहा, “यार, तू क्या समझता है? मैं क्या अपनी बीबी को तेरे बारे में बताता नहीं हूँ? मैं अनीता को दिन रात तेरे बारे में बताता हूँ। मैंने तो मेरी बीबी से यहां तक कह दिया है, की यदि राज तुमसे थोड़ी बहुत छेड़खानी भी करे तो बुरा मत मानना। वैसे सच बताओ यार, तुम्हे मेरी बीबी कैसी लगी?”

मैं यह सुनकर हक्काबक्का सा रह गया। तब फिर मरी झिझक थोड़ी कम हुई। मैंने अनिल से पास खिसकते हुए कहां, “अनिल, सच कहूं। जब अनीता मेरे इतनी करीब बैठी ना, तो मेरे तो छक्के छूट गए। मैं तो पसीना पसीना हो गया। बाई गॉड यार, भाभी तो कमाल है।”

अनिल ने मुझे एक धक्का मारते हुए कहा, “यह क्यों नहीं कहते की वह माल है। यार वह है ही ऐसी। कॉलेज मैं तो हम सब उस पे मरते थे। सब लड़के उसे देख कर सिटी बजाते थे। बेटा तू आगे बढ़ मैं तेरे साथ हूँ।”

मैंने भी अपनी झिझक को बाहर निकाल फेंका और बोला, “एक बात कहूं? मैं और नीना भी तुम्हारे बारेमें बहुत बातें करते हैं। मैं उसे तेरे करीब लाने की कोशिश करता हूँ। वह भी तुझे अच्छा मानती तो है, पर उससे आगे कुछ भी बात नहीं करना चाहती।”

अनिल ने तब मेरा कन्धा थपथपाते हुए कहा, “दोस्त, अब हम एक दूसरे के सामने जूठा ढ़ोंग ना करें। सच बात तो यह है की हम दोनों एक दूसरे की बीवी से सेक्स करना चाहते हैं। शायद बीबियों को भी हम पसंद है। पर वह अपनी कामना जाहिर नहीं कर सकती और चुप रह जाती है। हमारी बीबियाँ एक असमंजस मैं है। तूने जो अब तक किया वही बहुत है। अब इसके आगे मुझे कुछ करने दे। बस मुझे तेरी इजाजत और सपोर्ट चाहिए।“

मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा, “मैं तेरे साथ हूँ। अब तो आगे बढ़ना ही है। ”

पर इस बातचित के बाद काफी समय तक हम एक दूसरे से मिल नहीं पाए, हालांकि हमारी फ़ोन पर बात होती रहती थी। अनिल और मैं अपने ऑफिस के काम में व्यस्त हो गए और एक दूसरे के घर आना जाना हुआ नहीं। कई बार नीना अनिल के बारेमें पूछ लेती थी, तब मैं मेरी अनिल से हुयी टेलीफोन पर बातचीत का ब्यौरा दे देता था।

ऐसे ही कुछ हफ्ते बीत गए। समय को बितते देर नहीं लगती। सर्दियाँ जानेको थी। गर्मी दरवाजे पर दस्तक दे रही थी। शहर के लोग मस्ती में होली के त्यौहार की तैयारियां कर रहे थे। हर साल हम होली के दिन एक दोस्त के वहां मिलते थे। सारे दोस्त वहीं पहुँच कर एकदूसरे को और एक दूसरे की बीबियों को रंगते थे।

माहौल एकदम मस्ती का हुआ करता था। थोड़ी बहुत शराब भी चलती थी। नीना और मैं करीब सुबह ग्यारह बजे उस दोस्त के घर पहुंचे तो देखा की अनिल भी वहां था। हम सबने एक दूसरे को अच्छी तरह से रंगा और फिर अनिल और मैं लॉन में बैठ कर गाने बजाने के कार्यक्रम में जुड़ गए। नीना घर में दूसरी महिलाओं के साथ थी। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।

तब मैंने देखा की अनिल उठकर घर में चला गया। मैंने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। ऐसे ही गाने बजाने में आधा घंटा बीत गया था। तब अनिल वापस आ गया। वह खुश नजर आरहा था। वह निकलने की जल्दी में था। उसने मुझे बाई बाई की और चल पड़ा।

थोड़ी ही देर में नीना और दूसरी औरतें आ गयी और हम सब घर जाने के लिए तैयार हुए। पहले तो मैं नीना को पहचान ही नहीं सका। दूसरी औरतों के मुकाबले वह पूरी रंग से भरी हुई थी। खास तौर से छाती और मुंह पर इतना रंग मला हुआ था की वह एक भूतनी जैसी लग रही थी। उसके कपडे भी बेहाल थे।

मैं उसे देख कर हंस पड़ा। मैंने पूछा, “लगता है मेरी खूबसूरत बीबी को सब लोगों ने इकठ्ठा होकर खूब रंगा है।“

तब नीना ने झुंझलाहट भरी आवाज में पूछा, “अनीता को नहीं देखा मैने। वह आयी नहीं थी क्या?”

मैंने कहा, “मैंने भी आज उसे देखा नहीं। शायद आज वह यहां नहीं आयी।“

तब नीना एकदम धीरे से बड़बड़ाई, “तभी में सोचूं, की जनाब इतने फड़फड़ा क्यों रहे थे। ”

मैंने पूछा, “किसके बारेमे कह रही हो?” मेरी पत्नी ने कोई उत्तर नहीं दिया। हम तुरंत ही मेरी बाइक पर सवार हो कर चल दिए।

घर पहुँच कर मैंने देखा तो नीना कुछ हड़बड़ाई सी लग रही थी। मैंने जब पूछा तो मुझे लगा की नीना अपने शब्दों को कुछ ज्यादा ही सावधानी से नापतोल कर बोली, “देखिये, ऐसी कोई ख़ास बात नहीं है। आप किसी को कुछ बताइएगा नहीं। पर आपके दोस्त अनिल ने मरे साथ क्या किया मालुम है? तुम्हारे दोस्त के घर में अनिल मुझे कुछ बहाना बना कर पीछे के कमरे में ले गया और उसने मुझ पर ऐसा रंग रगड़ा ऐसा रंग रगडा की मेरी साड़ी ब्लाउज यहां तक की ब्रा के अंदर भी रंग ही रंग कर दिया।

होली के बहाने उसने मुझसे बड़ी बद तमीज़ी की। मैं आप को क्या बताऊँ उसने मेरे साथ क्या क्या किया। उसने मेरी ब्रैस्टस दबाई और उनमें रंग रगड़ता रहा। आप उसे बताइये की यह उसने अच्छा नहीं किया। राज, मैं चिल्लाती तो सब लोग इकठ्ठा हो जाते। मैंने उसे कहा अनिल ये क्या कर रहे हो। पर उसने मेरी एक न सुनी।“

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