Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 5

iloveall 2016-08-27 Comments

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Indian Sex Story

अनीता ने एकबार मुझे रात के दस बजे फ़ोन किया की उसके बाथरूम का नलका ज्यादा पानी लीक कर रहा था। यदि उसको तुरंत ठीक नहीं किया तो उसकी पानी की टंकी खाली हो सकती थी। अनिल उस समय टूर पर था।

जब अनीता का फ़ोन आया तब मैंने अपने पास पड़े हुए सामानमें से कुछ वॉशर, प्लास इत्यादि निकाला। जब नीना ने पूछा तो मैंने सारी बात बतायी। नीना मेरी और थोड़ी टेढ़ी नजर करके देखा, पर कुछ ना बोली।

मैंने उससे पूछा, “तुम चलोगी क्या? तब वह बोली, “बुलाया तो तुमको है। मैं क्यूँ बनूँ कबाब मैं हड्डी?”

जब मैं खिसिया सा गया तो हंस कर बोली, “अरे मियां, तुम जाओ, मैं तो मजाक कर रही थी। मैं बहुत मजेदार सीरियल देख रही हूँ। जाओ अपना काम करके आ जाना।”

फिर थोड़े धीरे शरारत भरे ढंग से बोली, “अगर कुछ बताने लायक हो तो बताना। छुपाना मत। मैं बुरा नहीं मानूंगी।”

मैं भी उसे कहाँ छोड़ने वाला था? मैंने कहा, “हाँ, जरूर बताऊंगा। पर निश्चिंत रहना, मैं अनिता को रसोई के प्लेटफार्म पर चढ़ा कर निचे नहीं गिराऊंगा।”

मेरे मजाक से मेरी भोली बीबी झेंप सी गयी। तब मैंने उसके होंठ पर किस करते हुए हंस कर कहा, “जानेमन, मैं भी मजाक ही कर रहा था।“

मैं अनीता के घर गया उस समय वह नाईटी पहने हुए थी। उसने अंदर कुछ भी नहीं पहन रखा था। मुझे देखकर उसने अपने कंधे पर एक चुन्नी सी डाल दी और बोली, “देखो ना, मैं आपको इतनी देर रात को परेशान कर रही हूँ। पर क्या करूँ? अनिल नहीं है। खैर, वह होता तो भी क्या करता? वह तो दूसरे दिन प्लम्बर को बुलाऊंगा यह कह कर सो जाता..

तुमने कहा था की मैं तुम्हे आधी रात को भी बुला सकती हूँ। तब फिर मैंने हिम्मत करके तुम्हे बुलाया। अगर यह अभी ठीक नहीं हुआ तो पूरी रात पानी जाता रहेगा और कल सुबह टंकीखाली हो जाएगी। फिर घर का सारा काम ठप्प हो जायगा।“ अनिता बेचारी बड़ी परेशान लग रही थी।

मैंने बाथरूम में जाकर देखा की नलके का वॉशर खराब था। मैं जब बाथरूम में घुसा तो अनीता भी मेरे साथ बाथरूम में घुसी। मैं एक स्टूल सा लेकर बैठ गया। अनीता आकर ठीक मेरे बगल में खड़ी हो गयी। मैं उसकी गरम साँसों को अपने गालों पर महसूस कर रहा था। एक दो बार मैंने अपनी कोहनी हटाई तो उसके बूब्स से टकराई।

मेरे शरीर में जैसे एक झनझनाहट सी दौड़ गयी। मेरी धड़कनें तेज हो गयी। मेरा मेरा ध्यान काम पर कहाँ लगना था। वह इतनी करीब खड़ी थी की मेरी कोहनी उसके भरे हुए स्तन को जैसे छू रही थी। मेरी तो हालत ख़राब थी, पर अनीता को तो जैसे कोई फरक नहीं पड़ता था। मैंने अपने पास से एक वॉशर निकाला और झटसे बदल दिया। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।

बस नलका टपकना बंद हो गया। अनीता ऐसी खुश हुयी जैसे उसकी लाटरी लग गयी हो। जैसे ही मैं बाथरूम से बाहर निकला तो वह मुझसे लिपट सी गयी। मैं क्या बताऊँ मेरी हालत कैसी थी। मेरा लण्ड मेरी पतलून में ऐसे खड़ा हो गया था जैसे सैनिक परेड में खड़ा हो। अनीता जब मुझसे लिपट गयी तब शायद उसने भी मेरे कड़क लण्ड को महसूस किया होगा।

वह थोड़ी झेंप कर अलग हो गयी और बोली, “राज, मैं आज तुम्हे बता नहीं सकती की मैं कितनी खुश हूँ। आज शाम से मैं परेशान थी की मैं क्या करूँ। तुम्हें डिस्टर्ब करने के लिए मुझे माफ़ तो करोगे न? पता नहीं मैं तुम्हारा यह अहसान कैसे चुकाऊंगी।” अनीता ने फिर मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और उसे सहलाते अपना आभार जताया।

मैंने यह बोलना चाहा की, “बस एकबार मुझसे चुदवालों, हिसाब बराबर हो जाएगा। ” पर मैं कुछ बोल नहीं पाया।

मैंने अनीता के कन्धों पर अपना हाथ रखा और बोला, “अनीता, अनिल ने एक बार मुझसे कहा था की मैं नीना में और तुम में फर्क न समझूँ, और तुम और नीना, अनिल और मुझ में फर्क मत समझना। क्या तुम भी अनिल से सहमत हो?”

अनीता ने अपनी मुंडी हिलायी और बिना बोले अपनी सहमति जतायी।

मैंने कहा, “तो फिर एहसान कैसा? अगर यही समस्या नीना की होती तो क्या मैं उसके लिए इतना काम न करता?” मेरी यह बात सुनकर अनीता थोड़ी सी इमोशनल हो गयी। वह मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाहर तक छोड़ने आयी। बाहर जाते जाते एकदो बार अनीता के भरे हुए बड़े बडे मम्मे मेरी बाँहों पर टकराये।

मैं समझ नहीं पाया की क्या यह अनीता जान बुझ कर कर रही थी और मुझे कोई इशारा कर रही थी या चलते चलते चलते हिलते हुए वह अनायास ही मेरी बाहों से टकरा गए थे।

मैंने भी अनीता को यह सन्देश दे डाला की वह मुझमें और अनिल में फर्क ना समझे। मैं बाहर जाकर अपनी बाइक पर बैठ कर वापस चला आया।

उसदिन के बाद कुछ दिनों तक कई बार मुझे अफ़सोस होता रहा की यदि उसदिन मैं चाहता तो शायद अनीता को अपनी बाँहों में लेकर उसको किस करता उस के गोरे बदन को नंगा कर और शायद चोद भी पाता। परंतु मैं जल्द बाज़ी में हमारे संबंधों को बिगाड़ना नहीं चाहता था।

मैं जब वापस आया तब नीना बिस्तरमें मेरा इंतजार कर रही थी। मैं जानता था की वह वह मुझसे वहाँ क्या हुआ यह सुनने के लिए बेताब थी। मैंने भी हाथ मुंह धोया और बिस्तर में उसके पास जाके अपने कपडे निकाल के लेट गया। उसने जब महसूस किया की मैं तो बिल्कुल नंगा बिस्तर में घुसा हुआ हूँ तो बोली, “लगता है आज कुछ तीर मार के आये हो तुम। बोलो, चिड़िया जाल में फँसी या नहीं।”

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