Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 8
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Sesi Sex Stories
जीन पीने के पश्चात नीना काफी तनाव मुक्त लग रही थी। जो तनाव शुरू में अनिल की हरकतों की वजह से वह महसूस कर रही थी वह नहीं दिख रहा था। अनिल ने शुरू में जब यह कहा था की वह कुछ सेक्सुअल विषय के बारे में बताने जा रहा था, तो नीना डर रही थी की कहीं वह गंदे शब्द जैसे लुंड, चूत, चोदना इत्यादि शब्दों का प्रयोग तो नहीं करेगा।
परन्तु अनिल का बड़े मर्यादित रूप में सारी सेक्सुअल बातों को बताना तथा गंदे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना नीना को अच्छा लगा। इसी कारण वश जब अनिल ने नीना का हाथ थामा और अपनी जांघ पर रखा तो वह कुछ न बोली।
कार्यक्रम शुरू होचुका था। मैदान लोगों से खचाखच भरा था। एक के बाद एक शायर, कभी लोगों पर, कभी राजनेताओं पर, कभी अमीरों पर यातो कभी मंच पर बैठे दूसरे कविओं पर जम कर ताने कसते हुए हास्य कविताएं एवं शायरी सुना रहे थे। लोग हंस हंस के पागल हो रहे थे।
अनिल ने कार को मंच से काफी दूर एक कोने में एक पेड़ के पीछे दीवार के पास खड़ी की। हम उसी तरह कार में ही बैठे रहे। बड़े लाउड स्पीकरो के कारण हमें दूर भी साफ़ सुनाई दे रहा था। बल्कि इतनी तेज आवाज थी की हम बात भी नहीं कर पा रहे थे।
जहां हम रुके थे वहां काफी अँधेरा था। आते जाते कोई भी हमें बाहर से देख नहीं पाता था। कार के अंदर भी अँधेरा था। अनिल अब एक तरह से ̣नीना का हाथ हमेशा के लिए अपनी जांघों पर रखे हुए था और अपना हाथ उसने नीना के हाथ के ऊपर रखा हुआ था।
तब एक शायर ने महिलाओं की शिक्षा और काबिलियत के बारेंमे एक कविता सुनाई। यह सुन कर नीना मेरी और मुड़ी और बोली, “देखा, मिस्टर राज, मैं आपको क्या कहती थी? आज की महिलाऐं पुरुषों से कोई भी तरह कम नहीं हैं। वह कमा भी सकती हैं और घर भी चला सकती हैं। कुछ मामलों में तो वह पुरुषों से भी आगे है। मैं तो यह कहती हूँ के महिलाओं को पुरुष के बरोबर तनख्वाह मिलनी चाहिए।”
मुझे उसकी आवाज में थोड़ी सी थरथर्राहट सी सुनाई दे रही थी। लगता था जैसे थोड़ा नशा उसपर हावी हो रहा था।
मैंने उसकी बात को काटते हुए कहा, “महिलाऐं कभी भी पुरुषों का मुकाबला नहीं कर सकती। महिलाऐं नाजुक़ और कमजोर होती हैं और उनमें साहस की कमी होती है। वह छोटी छोटी बातों में पीछे हट जाती हैं। जैसे की अभी तुम्हीने व्हिस्की पीने से मना कर दिया था। भला वह पुरुषों का मुकाबला कैसे कर सकती हैं?” मैंने एक तीर मारा और नीना के जवाब का इन्तेजार करनेकरने लगा।
नीना ने तुरंत पलट कर कहा, “तो क्या हुआ? मैं भी व्हिस्की पी सकती हूँ। पर मैं आप लोगों की तरह बहक ना नहीं चाहती। तुम पुरुष लोग क्या समझते हो अपनेआपको? क्या हम कमजोर हैं?” नीना ने तब अनिल की और देखा।
अनिल ने तुरंत कहा, “राज, नीना बिलकुल ठीक कह रही है। आज की नारी सब तरह से पुरुषों के समान है। वह ज़माना चला गया जब औरतें घर में बैठ कर मर्दों की गुलामी करती थी। अब वह पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर चल सकती है। अब वह कोई भी तरह पुरुषों से पिछड़ी नहीं है। जो हम पुरुष करते हैं उसमे वह जरूर सहभागिनी बनती है।”
मैंने देखा की अनिल के सपोर्ट करने से नीना खिल सी गयी। नीना ने ख़ुशी के मारे अनिल के हाथ को अपनी जांघ पर रखा और उस पर अपने हाथ फेरने लगी। वह बोली, “राज, तुम अपने मित्र से कुछ सीखो। वह कितना सभ्य है।” मैं चुप हो गया।
हम फिर थोड़ी और देर तक कविताएं सुनते रहे। उस दौरान मैंने महसूस किया की अनिल ने नीना को अपने पास खीच लिया था। मैंने अँधेरे में भी ध्यान से देखा तब पता लगा की अब अनिल का हाथ नीना की साडी पर जांघ के ऊपर था और वह जांघ को साडी के ऊपर से सहला रहा था।
उस समय शायद नीना का हाथ अनिल की जांघों पर था। मुझे शक हुआ के कहीं अनिल ने नीना का हाथ अपनी टांगों के बिच तो नहीं रख दिया था। मेरी प्यारी पत्नी इतना कुछ होते हुए भी जैसे कविताएं सुनने में व्यस्त लग रही थी।
अनिल को मैंने कहा, “अरे अनिल, यार इस कार्यक्रम से तो तुम्हारी कहानी ही ठीक थी। चलो कार को कहीं और ले लो। यहां बहुत शोर है।“
अनिल ने कार को मोड़ा और वहाँ से दूर मुख्य रास्ते से थोड़ा हटकर कार को एक जगह खड़ा किया। बाहर दूर दूर कहीं रौशनी दिखती थी, पर कार में तो अँधेरा ही था। आँखों पर जोर देनेसे थोड़ा बहुत दिखता था। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।
कार रुकने पर पीछे की बात को जारी रखते हुए मैंने कहा, “अनिल तुम्हारी कहानी सटीक तो थी, एक बात कहूँ? तुमने तो कहानी को बिलकुल फीका ही कर दिया। सारा मझा ही किरकिरा कर दिया। ना तो तुमने कोई सेक्स कैसे हुआ यह बताया, ना तो सारी बातें स्पष्ट रूप से खुली की। शायद मेरी प्यारी और नाजुक़ पत्नीके डर से तुमने तो सारे मज़े का लुत्फ़ ही नहीं पर उजागर किया। मेरे ख्याल से मेरी पत्नी में इतनी तो हिम्मत है की वह पुरुषों के साथ बैठ के ऐसे सेक्सुअल बातें भी सुन सकती है। क्यों डार्लिंग? क्या तुम थोड़ी और खुली बातें सुनने से पीछे तो नहीं हट जाओगी?”
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