Padosan Bhabhi Ke Saath Pehli Baar

Deep punjabi 2016-10-06 Comments

Desi Sex Stories

हेल्लो दोस्तों आपका दीप पंजाबी आपकी सेवा में एक नई कहानी के साथ एक बार फेर हाजिर है।

ये बात पिछले 8 साल की है जब मै अपने मामा जोके खुद के स्कूल के प्रिंसिपल है, उनके स्कूल में पढ़ने के लिए अपने नौनिहाल गया हुआ था। मेरे मामा अभी तक कुंवारे थे। सो प्रिंसिपल का लाडला भांजा होने के कारण मुझे भी लेट आने या छुट्टी मारने में किसी का डर नही था।

उस वक्त आज की तरह इतनी सेक्स की जानकारी नही थी। शुद्ध भाषा में बोले तो सेक्स की क, ख से अनजान था। बस दोस्तों से सुनता था के कैसे पति पत्नी बच्चा पैदा करते है, मेरा खुद का इससे पहले का कोई अनुभव नही था।

मामा का घर स्कूल के बगल में ही था। जिसकी वजह से उनके ज्यादातर पड़ोसियों से मेरी अच्छी जान पहचान बन गयी थी।

सुबह 6 बजे जागना और स्कूल में कामवाली से साफ सफाई करवाना। बस यही मेरे मुख्य काम थे। कुछ महीने बाद हमारे स्कूल के सामने ही एक फेमली नई रहने आई थी। जिनमे 30 वर्षीय विकास भाई, 26 वर्षीय उसकी पत्नी संध्या और 5 वर्षीय बेटा राकेश को मिलाकर, 3 मेंबर रहते थे। विकास भाई की शहर की दाना मण्डी में किराना की दुकान थी। वो सुबह साढ़े 6 बजे ही घर से चले जाते थे।

बाद में उनका बेटा राकेश भी 7 बजे वैन से स्कूल चला जाता था। उन दोनों के बाद संध्या भाभी अकेली घर पे रह जाती थी। उनके जाने के बाद वो सुबह सुबह बालकॉनी में झाड़ू देने आती थी। धीरे धीरे कुछ ही दिनों में उनसे मेरी अच्छी जान पहचान हो गयी। उनको यदि बाज़ार से कोई समान मगवांना होता तो मुझसे बोल देती थी।

एक दिन मैं सुबह सुबह ऐसे ही स्कूल में सफाई करवा रहा था। तो सामने से संध्या भाभी भी बालकॉनी में झाड़ू लगाने आ गयी। मुझे देखकर उसने हल्की सी स्माइल दी और गुड़ मोरनिंग बोला। मेने भी सेम टू यु बोलकर जवाब दिया। उसने इशारे से मुझे अपने घर में आने का बोला।

मैं कामवाली बाई को 20 मिनट तक किसी काम से बाहर जाने का बोलकर उनके घर चला गया। उनके दरवाजे पे जाकर देखा दरवाजा अंदर से बन्द था। मेने डोरबेल बजाई। तो दो मिनट बाद संध्या भाभी ने ही दरवाजा खोला। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

मुझे बड़े आदर भाव से अंदर आने का बोला और सोफे की तरफ इशारा करके बैठने का बोलकर दरवाजा अंदर से लॉक कर लिया। वो मेरे पास ही थोड़ी दूरी पे वो बैठ गयी। मेने पूछा,” क्या बात है भाभी, इतनी सुबह बुला लिया। सब खैरियत तो है।

वो बोली, क्यों क्या बिना काम के आपको बुला नही सकती क्या ??

मै – नही भाभी मेने ऐसा भी नही बोला। बस ऐसे ही पूछ लिया।

वो – खैर, छोडो इस बात को आप बोलो चाय लोगे या ठंडा ?

मैं – चाय ले आओ भाभी, वेसे भी इतनी सुबह सुबह ठण्डा पीने का मन नही है।

वो उठकर चाय बनाने चली गई। करीब 5 मिनट बाद वो ट्रे में दो कप ले आई। भाभी एक कप मुझे पकड़ाने के लिये जैसे ही झुकी। तो भाभी के गोरे चिट्टे मम्मे देखकर मेरा लण्ड निक्कर में ही खड़ा हो गया। इस बात का शयद भाभी को भी पता चल चूका था।

वो मेरे साथ सटकर सोफे पे बैठ गयी और हंसते हुए बोली,” क्या हुआ देवर जी, कोई दिक्कत है क्या आपको?

मैं – नही भाभी कुछ नही बस ऐसे ही।

चाय पीते पीते हम बाते कर रहे थे। वो (हंसते हुए)- क्यों देवर जी, गांव में कितनी लडकिया पटा रखी है आपने ?

मैं उसके मुह से ऐसी बात सुनकर थोडा शर्मा सा गया और कहा,” नही भाभी एक भी नही है गर्लफ्रेंड तो मेरी।

वो (शरारती लहज़े में) – हो ही नही सकता देवर जी, आप इतने स्मार्ट हो, कोई लड़की न फंसी हो ये बात कुछ हज़म नही हो रही।

मैं – अब आपको कैसे यकीन दिलाऊ भाभी, मेने किसी लड़की को आज तक छूआ तक नही है।

वो – (मेरी निक्कर की तरफ इशारा करके हँसते हुए ) तभी तो मेरी हल्की सी हरक्त से आपका ये हाल हो गया।

भाभी की बात सुनकर मैं शर्म से लाल हो गया और लण्ड के उभार को हाथो से छिपाने लगा।

वो – सच सच बताओ न देवर जी, कभी किसी लड़की को प्रपोज़ या किस किया है आपने ?

मैं – नही भाभी एक बार भी नही। वैसे आप आज ऐसा क्यों पूछ रही हो ?

वो – वो आज 14 फरबरी है न वैलेंटाइन डे।

मैं – तो इसमें क्या खास है भाभी ?

वो – बुध्धू आज के दिन, लड़के लड़कियो को अपने प्यार का इज़हार करते है और अकेले में किस वगैरह भी करते है, मेने सोचा शायद आज आपने भी ऐसा कुछ सोचा हो या करने का मन बनाया हो।

मैं – नही भाभी जब कोई है ही नही, किसे इज़हार और प्यार करूँ ?

वो – आपका ये काम मैं कर सकती हूँ। परन्तु मेरी एक शर्त है।

मैं – कौनसी शर्त भाभी ???

वो – वो यह के जब तक मैं चाहूँगी, तुम्हे मुझे अकेले में मिलना होगा। मंजूर है तो हाँ बोलो वरना कोई ज़बरदस्ती नही है ओर अभी वापिस जा सकते हो।

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