Papa Ke Dost Ki Naukri Bachayi
मैंनें उसकी तस्वीरें इसलिए लीं ताकि वो मुझे ब्लैकमेल न कर सके। मैं जानती थी कि वो मुझे तस्वीरें दिखाने के बहाने ब्लैकमेल कर सकता है और वो शहर कका इज्जतदार आदमी है तो अगर मेरे पास उसकी नग्न तस्वीरें होंगीं तो उसे डर रहेगा। इन्हीं तस्वीरों के डर से वो अंकल को आगे से परेशान नहीं करेगा।
मैं अपनी मोटी गांड को सेक्सी तरीके से हिला कर चलने लगी और उसको उत्तेजित करने केलिए अपने बूब्ज़ हाथों में पकड़ कर उसको उछाल उछाल कर दिखाने लगी। वो मुझे कैट वॉक करती देख कर अपना लंड सहलाते हुए अपने मोबाइल पर मेरी मूवी बनाने लगा।
मैंने कुछ देर ऐसे उसको उत्तेजित किया और रुक गई। उसने मुझे चुदाई की मूवी बनाने को पूछा लेकिन मैंने मना कर दिया। लेकिन उसको बहुत प्यार से कहने से मैं मना नहीं कर पाई। उसने अपने मोबाइल का कैमरा चालू करके एक जगह लगा दिया औय मैंने भी अपना मोबाइल लगा दिया। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
उसका लंड अभी भी ठीक से नहीं खड़ा हुआ था। मैं उसके पास गई और सामने खड़ी हो गई। मैं वैसे ही उससे लंबी थी और अब मैंने तीन इंच की हील पहनी हूई थी। उसका सिर मेरे बूब्ज़ तक ही पहुंच रहा था। मैं सैंडिल उतारने लगी लेकिन उसने मना कर दिया और बोला सैंडिल मत उतारना डार्लिंग, हाई हील में बहुत सेक्सी लगती हो और तुम्हारी उभरी हुई गांड बहुत मस्त लगती है।
मैंनें कहा ठीक है और सैंडिल नहीं उतारे। मैंनें आगे होकर अपने होंठों को उसके होंठों से सटा दिया और हाथ से उसका लंड पकड़ लिया। मेरे कोमल हाथ का स्पर्श पाते ही उसका लंड तन गया। मैंने शुक्र मनाया कि उसका लंड खड़ा हो गया, अभी तक लग रहा था उसका लंड खड़ा नहीं होगा और मुझे बिना चुदाई के ही सबर करना पडे़गा।
मैंनें उसके लंड को देखा तो उसका लंड काफी मोटा, लंबा और शानदार हो गया था। मैं उसके होंठों को जोर जोर से चूसने लगी और लंड को हिलाने लगी। जैसे-जैसे मैं उसके लंड को हिला रही थी वैसे-वैसे उसका लंड फूल रहा था और बिल्कुल लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया। वो भी पूरी तरह गर्म हो गया और मेरे नर्म एवं रसीले होंठों को जोर से चूसने लगा और मेरे चूतडो़ं को हाथों से दबाने लगा। मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में धकेल दी और वो मजे से मेरी जीभ को मुंह से खींच कर रस निचोड़ने लगा।
हम दोनों बहुत जंगली तरीके से एक-दूसरे को चूमने लगे। हम एक-दूसरे के मुंह में जीभ घुसा कर मुंह के अंदर से रसपान करते, एक-दूसरे की जीभ को जोर से चूस कर जीभ का रस निचोड़ते और होंठों को चूस कर रसपान करते-करते दांतों से काट लेते। मुझे बहुत मजा आ रहा था और आज पहली बार अपने से छोटे कद वाले आदमी से चुदने जा रही थी।
मैं सीधा खड़ी हो गई और उसके चेहरे पर अपने बडे़-बड़े खरबूजों जैसे बूब्ज़ लगा दिए। वो बूढ़ा मेरा बूब्ज़ पर ऐसे टूट पड़ा जैसे उसने कभी बूब्ज़ देखे ही न हों। वो मेरे बूब्ज़ को बहुत जोर से मसलने लगा और मेरे निप्पलों को ऊंगली एवं अंगूठे के बीच दबा कर रगड़ने लगा।
वो मेरे बूब्ज़ को मुंह में भरकर चूसने लगा और मेरे निप्पलों पर जीभ घुमाते हुए मुंह में खींच कर चूसता। वो मेरे बड़े-बड़े एवं चिकने बूब्ज़ का बहुत जोर से रसपान करने लगा। वो एक दम वहशी बन गया था और मेरे बूब्ज़ को ऐसे चूस रहा था जैसे खा ही जाएगा। मुझे उसके वहशीपन से बहुत आनंद मिल रहा था और मैं जोर से उसका सिर अपने बूब्ज़ पर दबाने लगी।
कुछ देर पहले जो आदमी मुझे अच्छा नहीं लग रहा था, उसी आदमी पर मुझे बहुत प्यार आ रहा था और उसकी हर हरकत मुझे बहुत कामुक और उत्तेजिक लगने लगी। अब दिल करने लगा ये बूढ़ा आदमी मेरे साथ ऐसे ही छेड़छाड़ करता रहे और ऐसे चोदे कि कई दिन लगातार चोदने के बाद ही इसके लंड से पानी निकले।
उसने घुटनों के बल नीचे बैठ गया और मेरे गोरे, नाजुक एवं चिकने पेट को चूमने लगा। वो मेरे पेट को हर जगह से चूम रहा था और मेरी नाभि को ज्यादा चूम रहा था। वो मेरे पेट को चूमने लगा और नाभि में जीभ घुसा कर घुमा देता। मैं उसकी कामुक हरकतों से मचल रही थी। अब वो मेरे पेट को अपने मुंह में लेकर जोर से चूसने लगा और काटने लगा। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
जब जब वो वहशी होता तब तब मुझे उस पर ज्यादा प्यार आता। मैं चाहती थी वो मुझे इसी वहशीपन से चोद चोद कर मेरी चूत एवं गांड को फाड़ डाले और मेरी चुदाई की आग को अपने वहशीपन से शांत कर दे। उसने मुझे घुमा दिया और मेरे चूतडो़ं को चाटने और काटने लगा। जब वो मेरे चूतडो़ं की फांकें खोलकर गांड के छेद को चूमता तो मुझे अजीब सा मजा आता।
अब उसने दीवान पर लेट कर सिर नीचे लटका लिया और मुझे टांगें खोलकर अपने मुंह पर आने को बोला। मैं उसका सिर अपनी टांगों के बीच लेकर खड़ी हो गई। उसने अपने हाथ ऊपर करके मेरे बूब्ज़ पकड़ लिए और मेरी भरी हुई जांघों को अंदर से चूमते हुए मेरी चूत पर होंठ रख दिए। उसने मेरी चूत को जोर से चूमा और मेरी चूत में जीभ घुसेड़ दी।
Comments