Papa Ke Dost Ki Naukri Bachayi

Arashdeep Kaur 2017-01-31 Comments

वो मेरी चूत के अंदर तक जीभ ले जाकर हिला हिला कर चाटने लगा और मेरे बूब्ज़ बहुत जोर से दबाने लगा। उसके चूत चाटने से सपड़… सपड़… की आवाजे़ं आ रही थी, जिसकी वजह से मुझे मस्ती चढ़ने लगी। मैं मस्ती में मचलती हुई अपनी गांड हिला हिला कर अपनी चूत उसके मुंह पर रगड़ने लगी।

उसने मुझे दीवान पर कोहनियों के बल लेटा दिया और अपना लंड मेरे सामने कर दिया। अब मैंने पहली बार उसका लंड गौर से देखा जो मेरी कल्पना से कहीं ज्यादा लंबा और मोटा था। उसका शानदार लंड देखकर उसके लंड केलिए बेहद प्यार उमड़ने लगा। मैंने लपक कर उसके लंड की चमड़ी पीछे की और लाल टोपा बाहर आ गया।

उसके लंड का शानदार लाल टोपा देखकर मेरे मुंह में पानी भर आया और मैं उसके टोपे पर जीभ घुमा घुमा कर चाटने लगी। उसके गीले टोपे का नमकीन स्वाद बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने अपना मुंह खोलकर उसका सारा लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी।

मुझे उसके लंड का स्वाद बहुत अच्छा लग रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे मैं पसंदीदा डिश खा रही हूं। मैं उसके लंड को चूसते हुए एक हाथ से उसके अंडकोषों से खेलने लगी। वो आराम से खड़ा आंहें भर रहा था और मजा ले रहा था। मैं उसके वहशी होने का इंतजार करने लगी और जल्दी ही वो वहशी बन गया। उसने मुझे बालों से पकड़ा और मेरे मुंह में धक्के मारने लगा।

उसका लंड मेरे गले में अंदर-बाहर होने लगा और मैं भी सिर को आगे-पीछे करके उसका लंबा मोटा लंड गले के और नीचे तक लेने लगी। उसका वहशीपन मुझे अच्छा लग रहा था और मुझे ऐसी ही वहशी जोश वाली चुदाई अच्छी लगती है। लंड के मेरे गले के अंदर-बाहर होने से गप्प… गप्प… की आवाजे़ं आने लगीं और उसका जोश बढ़ता जा रहा था।

वो कुर्सी पर बैठ गया और मुझे गोद में आने को बोला। मैंने अपनी टांगें मोड़कर कुर्सी पर रखीं और उसके लंड पर अपनी चूत टिका दी। मैं धीरे-धीरे गांड को नीचे धकेलने लगी और उसका लंड मेरी चूत में फंसता हुआ जड़ तक बैठ गया। मैंने अपनी गांड ऊपर उठा कर तेज़ी से नीचे धकेल दी।

उसका लंड सीधा मेरी बच्चेदानी से टकरा गया और मेरे मुंह से आह निकल गई। उसने मुझे रुकने को बोला और गिलास में दारू डाल ली। उसने गिलास मेरे हाथ में देते हुए कहा मैं उसको अपने मुंह से दारू पिला दूं। मैंने अपने मुंह में दारू ली और उसके होंठों से होंठ लगा कर उसके मुंह में डाल दी।

फिर उसने अपने मुंह में दारू ली और मेरे मुंह में डाल दी। मैंने गटाक से दारू गले के नीचे उतार ली। मैंने दारू की बोतल उठाई जो आधे से कम थी और बोतल में ही सोडा मिला दिया। मैंने बोतल अपने होंठों से लगाई और काफी दारू खींच ली। थोड़ी दारू उसको पिला दी और बाकी दारू उसकी छाती और अपने बूब्ज़ पर गिरा ली। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..

मैंने अपने बूब्ज़ उसकी छाती पर मसल दिए और हम दोनों के पेट, उसकी छाती और मेरे बूब्ज़ पूरी तरह दारू से भीग गए। मैं सिर नीचे झुका कर उसकी दारू से भीगी छाती को जीभ से चाटने लगी।

उसकी कोमल छाती के निप्पलों से दारू चाटने का मुझे बहुत आनंद आ रहा था। मैंने अपने बूब्ज़ उसके चेहरे पर सटा दिए और उसके लंड पर उछलने लगी। वो मेरे बूब्ज़ को चूस कर दारू और मेरे बूब्ज़ के रस का एक साथ मजा लेने लगा।

वो कस कस कर मेरे बूब्ज़ चूसते हुए मेरी चूत में लंड पेलने लगा और मैं उसके गंजे सिर को चूमते हुए गांड ऊपर-नीचे हिलाकर चूत के अंदर-बाहर लंड करने लगी। लंड के अंदर-बाहर होने से फच.. फच.. की आवाजें आने लगी और मैं मस्ती में चिल्ला रही थी। उस बूढ़े के मुंह से भी आंहें निकल रही थी और उसको बहुत मजा आ रहा था।

मैंने उसका लंड चूत से निकाल लिया और खड़ी हो गई। उसने मुझे कहा अगर सही लगे तो क्या मैं गांड में लंड डाल सकता हूं, मैंने आज तक गांड का स्वाद नहीं देखा बस सुना है बहुत मजा आता है। क्या तुम मुझे वो मजा दे सकती हो प्लीज़। मैंने उसको स्माईल दी और होंठों को चूम लिया।

मैं दीवार से सट कर खड़ी हो गई और अपने चूतड़ खोलकर उसको स्माईल देखकर आंख मार दी। वो खुश हो गया और मेरे पीछे फर्श पर फट्टा रख कर खड़ा हो गया। उसने मेरी गांड पर थूक लगाया और अपने लंड पर भी थूक लगा लिया। उसने मेरी गांड के छेद पर लंड लगा दिया। वो मेरी गांड पर लंड दबाने लगा और मैं अपनी गांड को पीछे धकेलने लगी। उसका लंड मेरी गांड को खोलता हुआ गांड में समा गया।

मैं दीवार से हाथ लगा कर गांड आगे-पीछे करने लगी और वो मेरे बूब्ज़ को पकड़कर मेरी गांड चोदने लगा। उसका लंड मेरी गांड के अंदर तक जा कर मुझे मजा दे रहा था और मैं बहुत जोर से गांड को धकेल कर उसका लंड और अंदर तक लेना चाहती थी। जब लंड मेरी गांड के अंदर-बाहर हो रहा था तब मेरे चूतड़ में हलचल हो रही थी।

उसने मेरी गांड से लंड निकाल कर मुझे घुमा दिया और मेरी टांग उठा ली। नीचे फट्टा रखने से उसका कद मेरे बराबर हो गया था। उसने मुझे कस के पकड़ लिया औल मेरी चूत में लंड पेल दिया। मैंने भी उसको कस कर पकड़ लिया और मेरे बूब्ज़ उसकी छाती में दब गए। वो मेरी चूत चोदने लगा लेकिन उसकी मोटी तोंद की वजह से लंड पूरी तरह अंदर नहीं जा रहा था।

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