Sumit Aur Uska Parivar – Part 2

Dilwala Rahul 2016-06-24 Comments

This story is part of a series:

भावना- ये क्या है ऋचा, कैसे कपडे पहने है, आजकल के बच्चों को पता नहीं क्या हो गया, कौन लाया ये तेरे लिए, इतने छोटे कपडे हमारी संस्कृति में नहीं पहनते.

ऋचा- माँ… आप भी ना पुराने जमाने की औरत हो, मैं अपनी दोस्त सुरभि के साथ बाजार से लायी ये सब, उसने भी अपने लिए खरीदे ऐसे कपडे, आजकल सब यही पहनते हैं.

भावना- सूट सलवार पहना कर, ये सब अच्छा नहीं है, कल से ऐसे नहीं दिखनी चाहिए तू, समझी??

सुमित- अरे माँ, जाने दो, जमाना बदल गया है, आजकल सभी ऐसे ही कपडे पहनते हैं, मेरे कॉलेज में भी सब लड़कियां छोटे छोटे कपडे पहनती है.

भावना- तू चुप कर, क्या खेल रहा है तू कंप्यूटर में, कभी अपनी माँ को भी कंप्यूटर चलाना सीखा दे.

सुमित- आज सीख लो, आ जाओ.

(वहां केवल 1 ही कुर्सी थी तो सुमित उठने लगा)

भावना- अरे बैठे रह तू, तेरी गोद में बैठ जाऊंगी, ट्रेन में भी तो ऐसे ही बैठी थी.

ऋचा- हा हा हा, माँ आप क्या भैया की गोद में बैठकर आई, भैया तो पिचक गए होंगे.

भावना- तू पढ़ाई में ध्यान लगा, ज्यादा शैतानी मत कर.

(भावना सुमित की गोद में बैठ जाती है, भावना ने नाईटी के अंदर कुछ नहीं पहना था, उसका पूरा नंगा बदन वैसे ही नाईटी के बाहर से दिख रहा था, और अब वो सुमित की गोद में बैठ गयी थी..

सुमित ने पैजामा पहना हुआ था, जिसके अंदर उसने कच्छा नहीं पहना था, ऊपर केवल बनियान डाली हुयी थी, जिसमे उसके छाती के बड़े बड़े बाल दिखाई दे रहे थे, सुमित का लण्ड अपनी माँ की गांड के स्पर्श से खड़ा हो गया और भावना की गांड में झटके मारने लगा जिसका अहसास भावना को हो रहा था)

भावना- सीधे बैठे रह, ऐसे हिल मत.

सुमित- माँ मैं कहाँ हिल रहा हूँ.

भावना- तो कौन हिल रहा है फिर?

सुमित- छोड़ो अब, मैं आपको एक गेम खिलाता हूँ.

(सुमित भावना को गेम लगा कर देता है, भावना को गेम खेलना नहीं आता, तो सुमित खुद ही गेम खेलता है, उसकी गोद में उसकी माँ बैठी थी, अपनी माँ के बगल से हाथ बाहर निकालकर, अपनी छाती माँ की पीठ से सटाकर सुमित गेम खेलता है और लण्ड से भावना की गांड में झटके भी देता है, भावना भी उछल रही थी और सुमित का साथ दे रही थी, ऋचा ये सब देखे जा रही थी)

ऋचा- माँ-भैया आप ऐसे उछल क्यों रहे हो.

भावना- ये सुमित उछल रहा है गेम खेलकर और मुझे भी उछाल रहा है.

सुमित- गेम ही इतना खतरनाक है माँ, कहीं आउट न हो जाऊं इसलिए उछल रहा हूँ.

(और ऐसे ही उछलते उछलते झटके मारते मारते सुमित गेम में तो आउट हो ही जाता है लेकिन असली गेम में भी आउट हो जाता है और उसका सफेद वीर्य पैजामे में निकल जाता है जिसका साफ साफ गीलापन दिखाई दे रहा था और बदबू भी आ रही थी, कुछ वीर्य का गीलापन भावना की नाईटी में भी लग जाता है)

सुमित- अह्ह्ह्ह…. ओह माँ… आउट हो गया मैं तो… अह्ह्ह्ह्ह..

भावना- इतनी जल्दी आउट हो गया, क्या होगा तेरा.

(और भावना हँसते हुए सुमित की गोद से खड़ी हो जाती है और सुमित के पैजामे में लण्ड की तरफ देखकर मुस्कान देती है और कमरे से बाहर चली जाती है, भावना और सुमित दोनों एक दूसरे के इरादों को भांप लेते हैं लेकिन अभी भी कहीं न कहीं दोनों के बीच में माँ-बेटे के रिश्ते की शर्म थी इसलिए दोनों खुल नहीं पा रहे थे लेकिन अनऔपचारिक रूप से दोनों मजे ले रहे थे..

भावना के बाहर जाते ही ऋचा सीधे दौड़ी दौड़ी गेम खेलने के लिए सुमित की गोद में बैठ जाती है, सुमित का लण्ड अभी भी कड़क था और पूरा गीला था जो सीधा ऋचा के नेकर में गांड में घुसता है और ऋचा को झटका लगता है)

ऋचा- उईई माँ, आऊच…. ये क्या है भैया, आपने तो सुसु कर दिया पैजामे में, गीला हो रखा है.

सुमित- सुसु नही है बहना, ये तो पसीना है, जब ज्यादा गर्मी लगती है तो अपनेआप निकल आता है, तू बैठ जा आजा, भैया की गोद में बैठ जा.

ऋचा- और ये खड़ी कैसे हुयी है आपकी नुन्नू?

सुमित- बहना, तू कितनी भोली है, तुझे सब समझाना पड़ता है, ये नुन्नू जब किसी सुन्दर लड़की को देखती है तो ऐसे ही खड़ी हो जाती है.

ऋचा- अच्छा ऐसा होता है, जैसे मैं सुन्दर हूँ, ये नुन्नू मुझे देखकर खड़ी हो गयी? स्कूल में तो फिर मुझे देखकर सब की नुन्नू खड़ी हो जाती होगी.

सुमित- हाँ बहना तुझे देखकर खड़ी तो हो गयी लेकिन तुझ से पहले इस कमरे में एक और सुन्दर औरत थी, ये नुन्नू उसी ने खड़ी करी है.

ऋचा- माँ ने ?

सुमित- हाँ बहना, माँ अभी मेरी गोद में बैठी थी ना, तब में उछल रहा था तो ये खड़ी हो गयी, आजा अब तू भैया की गोद में बैठकर गेम खेल, तेरे बैठने से कुछ देर बाद ये खुद ब खुद बैठ जायेगी.

ऋचा- ठीक है भैया, मैं बैठ जाती हूँ आपकी गोद में.

(ऋचा सुमित की गोद में बैठती है लेकिन उसकी गांड में अभी भी सुमित का लण्ड चुभ रहा था)

ऋचा- भैया ये चुभ रही है, आपने तो कहा था ये बैठ जायेगी, लेकिन ये तो बहुत ज्यादा टाइट हो गयी, प्लीज भैया इसे बैठाओ आप किसी भी तरह.

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