Sumit Aur Uska Parivar – Part 1

Dilwala Rahul 2016-06-23 Comments

Indian Sex Story

देसी कहानी पढ़ने वाले सभी ठरकी लौंडों और लौंडियों का राहुल का लण्डवत प्रणाम, दोस्तों ये कहानी मेरे दोस्त बिजनौर निवासी सुमित, उसकी माँ भावना और छोटी बहन ऋचा की है.

सुमित एक 21 वर्षीय लड़का है जिसका अभी हाल ही में दिल्ली के कॉलेज में एडमिशन हुआ है, सुमित दिखने में हष्ट पुष्ट लड़का है जिसने अभी अभी कॉलेज की दुनिया में कदम रखा है.

सुमित की चौड़ी छाती के घने बाल लड़कियों के लिए आकर्षण का कारण हैं, सुमित के घर में उसकी छोटी बहिन ऋचा(उम्र *** वर्ष) और माँ भावना(उम्र 46 वर्ष) रहतीं हैं, सुमित का बाप नाम- भास्कर फौजी है जो असम में रहता है.

ऋचा *** वर्षीय 10वीं की गोरी,पतली,सुंदर छात्रा है जिसके जीवन में जवानी का बीच अभी अभी उगा है, ऋचा के उभरते हुए अमिया जैसे कच्चे स्तन काफी टाइट हैं जिसमे उसके टाइट कसे हुए छोटे छोटे निप्पल उसके स्तनों की बनावट में चार चाँद लगाते हैं..

ऋचा की पतली कमर, उभरते हुए कूल्हे, गोरा बदन देखने लायक है, ऋचा ने हाल ही में जवानी में अपना पहला कदम रखा है जिसका प्रभाव उसके चेहरे की तड़प में साफ़ साफ़ नजर आता है..

ऋचा घर में बिना बाँहों वाला छोटा टॉप और निचे नेकर पहने रहती है जिसके कारण उसकी गोरी गोरी मोटी जांघों के दर्शन सुमित को होते हैं तो सुमित का भी मन डोलने लगता है, गोरी गोरी टांगों में ऋचा ने काले धागे बांधे हुए हैं ताकि उसके हुस्न बदन पर किसी की बुरी नजर न लगे. सुमित कई बार अपनी बहन ऋचा से चिपकने का प्रयास करता है और उसके छोटे छोटे कच्चे अमिया जैसे बूब्स की एक झलक पाने के लिए हर समय आतुर रहता है.

वहीं दूसरी और सुमित की माँ भावना जिसकी उम्र 45 वर्ष है पति के घर में न होने की वजह से काफी परेशान रहती है, घर में भावना सुबह से श्याम तक नाईटी पहन के रखती है और उसके अंदर कुछ नहीं पहनती..

भावना दिखने में मोटी भैंस जैसी गोरे और सुडौल बदन की मालकिन है जिसके सुडौल मोटे उभरे हुए बूब्स उसकी नाईटी को फाड़ने के लिए उतारू रहते हैं, उसके बड़े बड़े निप्प्ल का आकार उसकी नाईटी के बाहर से साफ साफ दिखता हुआ प्रतीत होता हैं..

लेकिन वो सुमित और ऋचा से कभी नहीं शर्माती और घर में सुबह से शाम तक ऐसे ही बेझिझक नाईटी में रहती है, परन्तु सुमित की गन्दी नजर अपनी माँ के मोटे गठीले सुडौल बदन पर हमेशा रहती है और अपनी माँ को देखकर उसका लण्ड हर बार खड़ा हो जाता है..

कभी कभी वो बाथरूम में अपने माँ के गोर, मोटे, हाथी जैसे सेक्सी और कामुक बदन के बारे में सोचते हुए अपना गाढ़ा सफेद पानी निकालता है. अपनी माँ के बूब्स की एक झलक पाने के लिए वो हर समय तैयार रहता है, जब भावना झाड़ू लगाती है, पौछा लगाती है या घर का कुछ काम करती है तो सुमित अपनी माँ के बूब्स और गांड को चोरी छिपे देखता रहता है, कभी कभी उसकी वीडियो भी बना लेता है.

बात उस समय की है जब सुमित और उसकी माँ भावना दिल्ली से ट्रेन में बिजनोर आ रहे थे, जनरल डिब्बे में सीट न होने की वजह से सुमित को अपनी माँ की गोद पर बैठना पड़ा, गर्मी का मौसम था, भावना और सुमित दोनों पसीने में लतपत थे..

थोड़ा सफर तय करने के बाद सुमित भावना को अपनी गोद में बैठने को बोलता है. भावना सुमित की गोद में आ जाती है, 110 किलो की सुमित की 46 वर्षीय गोरी, मोटे बूब्स वाली माँ अब अपने बेटे की गोद में बैठी थी, ट्रेन स्पीड में थी और झटके मारते हुए चल रही थी और इसी झटके के साथ साथ भावना अपने बेटे की गोद में उछल रही थी जिस वजह से सुमित के लण्ड पर दबाव पड़ा और उसका लण्ड खड़ा हो गया और भावना की गांड में चुभ रहा था..

भावना मजबूरी में कुछ कर भी नहीं सकती थी, वह ऐसे ही अपने बेटे की गोद में बैठी रही, वहीँ दूसरी ओर सुमित की हालत खराब थी, उसका मन अपनी माँ की गांड में लण्ड डालने का कर रहा था लेकिन वो मजबूर था..

एक आदमी दूसरी सीट में बैठा हुआ ये सब दृश्य देख रहा था, उस आदमी की उम्र लगभग 52 वर्ष होगी, उसकी आँखों में हवस दिख रही थी, अचानक उस आदमी ने कहा –

आदमी- भाभी जी, आपका बेटा थक गया होगा, आप मेरी जगह में बैठ सकते हैं.

भावना- नहीं नहीं भाई साहब, धन्यवाद, अगर मैं आपकी जगह में बैठ गयी तो आप कहाँ बैठोगे फिर?

आदमी- भाभी जी, मैं खड़ा हो जाता हूँ थोड़ी देर तक.

भावना- नहीं भाई साहब, आपका बहुत बहुत शुक्रिया, मेरा बेटा अभी नहीं थका है, जब थक जाए तो मैं बता दूंगी.

आदमी- ठीक है भाभी जी.

(थोड़ा सफर तय करने के बाद झटके मारते हुए सुमित के लण्ड ने कच्छे में ही सफेद गाढ़ा माल छोड़ दिया और पुरे डब्बे में सुमित के वीर्य की दुर्गन्ध फैल गयी, भावना को ज्यादा बदबू आ रही थी, तो भावना ने उस आदमी को उठने के लिए बोला)

भावना- भाई साहब, अब उठ जाइए आप.

(आदमी ने थोड़ी जगह बनाते हुए भावना को थोड़ी सी सीट दी)

आदमी- उठने की जरुरत नही है भाभी जी, यहीं एडजस्ट कर लेंगे.

भावना- धन्यवाद भाई साहब.

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