Sumit Aur Uska Parivar – Part 4
This story is part of a series:
लेकिन उसके पंजों के बल खड़े होने से उसकी नाईटी ऊपर होती है और उसकी गांड के बाल दिखने लगते हैं, भावना ने अंदर से न तो कच्छी पहनी थी और न ही ब्रा, सुमित ये सब देखकर पागल हो जाता है और अपनी माँ की मदद के लिए दौड़ता है)
सुमित- माँ, मैं कुछ मदद करूँ क्या?
भावना- हाँ जरा मुझे पकड़ कर उठा दे, वो डब्बा निकालना है.
सुमित- ठीक है माँ.
(सुमित भावना को पीछे से पकड़ता है और ऊपर उठाता है, फिर भी भावना डब्बे तक नहीं पहुच पाती, दरअसल डब्बा निकलना तो एक बहाना था, डब्बा इतने ऊपर था कि उसे निकालने के लिए स्टूल चहिये था, लेकिन ये सब भावना की सोची समझी रणनिति थी)
भावना- सुमित थोडा और कोशिश कर बेटा, ऊपर उठा.
(सुमित कोशिश करता है, भावना की नाईटी कमर तक सरक गयी थी, उसकी गांड नंगी थी, जब ऊपर उठाने के बाद भावना नीचे आ रही थी तो सुमित का खड़ा लण्ड भावना की नंगी गांड को छू रहा था..
लेकिन भावना ने सुमित को और कोशिश करने को बोला, अब सुमित ने चुपके से अपना पैजामा उतार दिया, अब सुमित केवल टी शर्ट में था और उसका नंगा लण्ड उसकी माँ की नंगी गांड में छू रहा था, वो बार बार अपनी माँ को ऊपर नीचे उठाने का नाटक करने लगा और लण्ड को गांड में घिसते रहा)
भावना- कोशिश करते रह निकल जायेगा बेटा… अह्ह्ह्ह…
सुमित- हाँ माँ, अह्ह्ह्ह्ह… उम्म्म्म… कर रहा हूँ अह्ह्ह्ह…
(और सुमित भावना की नंगी गांड में अपना गरम गरम वीर्य छोड़ देता है और भावना को भी वीर्य का अहसास होता है, और सुमित भावना के पीछे उसे कस के पकड़ लेता है)
सुमित- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्…. माँ, निकल गया अह्ह्ह्ह…
भावना- लेकिन मेरा नहीं निकला बेटा. मेरा भी निकाल दे. मैं तड़प रही हूँ कबसे.
(सुमित भावना को अपनी तरफ सीधा करता है और उसके होंठ पर अपने होंठ रख देता है फिर जोरदार चुम्बन शुरू हो जाता है, जीभ से जीभ का मिलन, थूक से थूक का आदान प्रदान माँ बेटे के मुह से चलता है, दोनों मस्ती में चूर हो जाते हैं, सारी सिमाएं पार कर, सभी बंधनों को तोड़कर, सारे रिश्ते नाते भूल कर केवल पुरूष-महिला का रिश्ता ही समझते हुए एक दूसरे से चिपक जाते हैं और किस करते हैं..
उसके बाद सुमित अपनी माँ की नाईटी उसके शरीर से अलग फेंक देता है, अब उसकी माँ उसकी आँखों के सामने बिलकुल नंगी थी, माथे पे लाल बिंदी, सर पर लाल सिंदूर, हाथों में चूड़ियाँ और पैरों में घुंघरू बांधे उसकी माँ नंगी अपने बेटे से चुदाई करवाने को बेकरार थी..
भावना की कमर पर एक सोने की चैन बंधी हुयी थी, जो उसके बदन की शोभा बढ़ा रही थी, सुमित अपनी माँ के पुरे बदन को चूमे और चाटे जा रहा था, आज उसका इरादा भावना को खा जाने का था)
भावना- बेटा, अह्ह्ह्ह… अब सहन नहीं होता, डाल दे मगरमच्छ कीचड के अंदर, जल्दी कर बेटा, माँ को ऐसे ना तड़पा, अह्ह्ह्ह…. अह्ह्ह्ह…
सुमित- आज तुझे जन्नत दिखाता हूँ माँ, तू फिक्र न कर, तेरा बेटा तुझे संतुष्ट कर देगा.
(और सुमित अपना लण्ड अपनी माँ की चूत में लगाता है, और जोर लगा के हाइन्सा कर धक्के मारता है, माँ-बेटा चुदाई आरम्भ हो जाती है, भावना की सिसकारियाँ गालियों के साथ शुरू हो जाती हैं)
भावना- अह्ह्हह्ह्ह्ह… आह्ह्ह्ह्ह्… ऐसे ही जान, मेरे बेटे, हरामी, चोद अपनी माँ को और मादरचोद की उपाधि ले भोसडीके…अह्ह्ह्ह…
सुमित- मेरी जान, मेरी रानी माँ, अह्ह्ह्ह… रंडी नंबर एक, आज फाड़ दूंगा तेरी चूत चिनाल… अह्ह्ह्ह्ह…
भावना- बहिनचोद, रंडवे, फाड़ अह्ह्ह.. के दिखा अह्ह्ह.. उम्म्म… अगर गांड में दम है तो अह्ह्ह.. ओहोह्ह्ह्ह्ह्… गयी मम्मी मैं तो अह्ह्ह्ह… चोद चोद अह्ह्ह…
(सुमित अपनी रफ़्तार गतिमान एक्सप्रेस से भी तेज़ कर देता है और रफ़्तार के साथ और आवाज़ के साथ अपनी माँ की चूत में धक्के लगता है, फच फच की आवाज पुरे किचन में गूंजती है, साथ ही साथ भावना की चूड़ियों और घुँगरू की आवाज़ भी कामुक माहौल में एक समा बाँध देती है और सुमित का जोश दोगुना करती है)
भावना- हाँ बस ऐसे ही, अह्ह्ह्ह्ह…. मेरे राजा, अह्ह्ह्ह… मेरे स्वामी… अह्ह्हहह… उम्म्म्म्म्म…. ओहोह्ह्ह्ह्…. ऐसे ही चोदो, यही रफ़्तार, यही जोश अह्हहाआआ….
सुमित- मैं झड़ने वाला हूँ माँ…. अह्ह्ह्ह्ह….
भावना- मेरी चूत के अंदर ही डाल बेटा, अह्ह्ह्ह्ह माँ बना दे मुझे अपने बच्चे की, भर दे मेरी कोख एक बार फिर, डाल दे अपना बीज मेरी चूत में, अह्ह्ह्ह…. मैं भी झड़ने वाली हूँ बेटा अह्ह्ह्ह्ह्ह….. सुमित डार्लिंग अह्ह्ह्ह…
(अपनी माँ के मुह से ये सब सुनकर सुमित का जोश और बढ़ जाता है और चुदाई करते करते वो अपनी माँ की चूत के अंदर ही वीर्यपात कर देता है और भावना और सुमित दोनो एक साथ झड़ते हैं और दोनों बिल्कुल कस कर एक दूसरे से चिपक जाते हैं, बाद में 69 मुद्रा में दोनों एक दूसरे की चूत और लण्ड चूसते हैं और एक बार और चुदाई करते हैं)
9 महीने बाद जब ऋचा और भावना दोनों अपने अपने बच्चों को जन्म देती हैं तो कारणवश सुमित को अपनी माँ और बहन दोनों से शादी करनी पड़ती है और ऋचा और भावना एक दूसरे की सौतन ननद, जेठानी बनकर सुमित को अपना पति मानती हैं और उसी के साथ रहती हैं..
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
Comments