Bhoot To Chala Gaya – Part 2
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इस बिच मुझे दूसरे पुराने कर्मचारियों से पता लगा की समीर एक शादी शुदा इंसान थे। उनकी पत्नी को वह बहुत चाहते थे। परंतु माबाप की शारीरिक बीमारियों के कारण उन्हें अपनी पत्नी को उनके पास छोड़ना पड़ा था। उनका गाँव बहुत दूर था और वहाँ जाने के लिए रेल की सवारी कर और कई बसें बदल कर के जाना पड़ता था। जाने में ही दो दिन लग जाते थे। वह अपनी पत्नी से आखिर में छह महीना पहले मिले थे।
मेरी समझ में नहीं आ रहा था की मैं क्या करूँ जिससे समीर वापस उसी तरह हो जाएँ जैसे पहले थे। मेरी स्त्री सहज समझ यह बता रही थी की समीर सेक्स के भूखे थे। मैं कई बार उनको मेरे शरीर को चोरी छुपी से ताकते हुए पकड़ा था। मेरे मनमें एक अजीब सी दुविधा भरी हलचल हो रही थी। मैं उन्हें अपने करीब फटकने देना नहीं चाहती थी पर दूसरी और मैं उन्हें पहले की ही तरह चहकते हुए देखना चाहती थी। काफी सोचने के बाद मैंने अपने पति राज से इस बारेमें बात करना तय किया।
मेरे पति राज मुझसे बहुत प्यार करते थे। मेरे जॉब करके ऑफिस से आने के बाद रात को जब हम सेक्स करते थे तो मुझे चोदते हुए बार बार पूछते रहते थे की क्या ऑफिस में किसी पुरुष ने मुझे फांसने की कोशिश की या नहीं। कई हफ़्तों तक मैं उन्हें निराश करती रही। उसके बाद जब यह हादसा हुआ तो मैंने अपने पति राज को समीर के बारेमें बताया।
मैंने उन्हें बताया समीर मेरी कितनी मदद करते थे। उन्हीं की वजह से ऑफिस में मेरे कामकी प्रशंशा हो रही थी। पर साथ साथ मैंने यह भी कहा की समीर मेरे स्तनों को और मेरे नितंबों को चोरी छुपे घूरते रहते थे। उनके मेरे करीब आने की कोशिशों के बारेमें भी मैंने राज को बताया। फिर मैंने उन्हें बताया की कैसे मैंने समीर को लताड़ दिया और समीर ने मुझसे बात करना बंद कर दिया और कैसे समीर का स्वभाव एकदम बदल गया। राज ने मेरी सारी बातें पूरी गंभीरता और ध्यान से सुनी। कोई दूसरा पति होता तो शायद अपनी पत्नी के ऐसे कारनामे से खुश होकर उसे शाबाशी देता। पर मेरी बात सुनकर राज दुखी हो गये थे। उन्होंने तो उल्टा मुझे ही डाँट दिया।
वह गंभीरता पूर्वक बोले, “डार्लिंग, यह तुमने क्या किया? उस बेचारे समीर ने ऐसा क्या किया जो तुमने उसे इतनी बुरी तरह से लताड़ दिया? वह तो तुम्हारा इतना बड़ा शुभ चिंतक था। उसने तुम्हें इतनी तरक्की दिलाई। एकबार मान भी लिया जाए की वह तुम्हें ललचाने की कोशिश कर रहा था, जो की वह नहीं कर रहा था, तो भी तुम्हारा ऐसा वर्तन सही नहीं था।”
मेरे पति की बात तो सही थी। कोई भी मर्द से सेक्स की बातें सुनना या कोई गैर मर्द का छूना भी मेरे लिए बर्दाश्त करना बड़ा ही मुश्किल था। ट्रैन में बस में या फिर चलते फिरते मर्दों का स्पर्श तो हो ही जाता है। पर मुझे ऐसा होने पर एक तरह मानसिक दबाव महसूस होने लगता था। मैं खुद अपने इस वर्तन के कारण परेशान थी। पर क्या करती? चाहते हुए भी मेरे लिए सेक्स के डर से उभरने में असफल होती थी। मेरे पति राज मेरी इस कमजोरी जानते थे। मेरे पति अकेले थे जिनसे मैं निर्भीक थी। मुझे वहाँ तक पहुँचाने में मेरे पति का बड़ा योगदान था।
जब मेरी शादी हुई तो बड़ी मुश्किल हुई थी। मा बाप के आग्रह के कारण मैंने मज़बूरी में शादी तो की पर मैं मेरे पति से सम्भोग करने के लिए तैयार नहीं थी। हमारी शादी की पहली सुहाग रात तो एकदम बेकार रही। जब मेरे पति ने मुझे छूने की कोशिश के तो मैं उनसे लड़ने को तैयार हो गयी। मैंने उनको सख्त हिदायत दी की वह मेरे गुप्तांगो को न छुएं। मेरे पति राज बहुत सुलझे हुए इंसान हैं। हमारी शादी के बाद मेरे कारण उन्होंने बड़ी कुर्बानी दी।
उन्होंने मुझे भरोसा दिलाया की वह मेरे गुप्तांगों को नहीं छुएंगे, पर साथ में उन्होंने मुझे प्यार से समझाया और मुझसे एक साथ सोने की, चुम्बन करनेकी और आलिंगन करने की इजाजत ले ली। हम दोनों एकसाथ तो सोये पर मैंने उन्हें मेरे बदन से कोई कपड़ा उतारने नहीं दिया और मेरे गुप्तांगो को भी छूने नहीं दिया। धीरे धीरे उन्होंने समझा कर, उकसाकर और मना कर मुझे उनके साथ सेक्स करने के लिए राजी कर लिया। इस में उनको कई हफ्ते लग गए, पर उन्होंने अपना धैर्य नहीं छोड़ा। शायद मेरी माँ ने मेरे पति को मेरी यह कमजोरी के बारेमें आगाह किया होगा। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
मेरे पति की समझ में नहीं आ रहा था की मेरे मनमें सेक्स के प्रति ऐसा बिभत्स्ता पूर्ण भाव क्यों था। बाद में उन्होंने जब मुझे प्यारसे और धीरे धीरे प्रोत्साहित किया की मैं उन्हें वह सब बताऊँ जो मैंने सालों तक मेरे मन की गहरी गुफाओं में छिपा के रखा था।
मेरे इस रहस्य को समझने के लिए आपको मेरे बचपन में जाना पड़ेगा।
बचपन में करीब एक महीना मैं अपने मामा के घर रही थी। मेरे माता पिता तीर्थ यात्रा पर जा रहे थे। तब उन्होंने मुझे मेरे मामा मामी के आग्रह करने पर उन्हें सौंपा। मैं मेरे मामा मामी की मैं बहुत चहेती थी। वह दोनों मुझे बहुत प्यार करते थे। रात को मैं मामा मामी के कमरे में ही सोती थी। एक रात मैंने मामा और मामी को आपस में झगड़ते सुना। मैं जाग तो गयी थी पर दुबक कर सोने का ढोंग करते हुए उनकी बातें सुनने की कोशिश कर रही थी। अचानक मामा ने मामी को एक करारा थप्पड़ मार दिया और मामी रोने लगी। मामा मामी को अपनी बाहों में जकड़ कर उनके कपडे उतारने में लगे हुए थे और मामी उनको रोकने की नाकाम कोशिश कर रही थी।
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