Bhoot To Chala Gaya – Part 12

iloveall 2017-05-24 Comments

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समीर ने एक धक्का और दिया। फिर थोड़ा और दर्द पर उतना ज्यादा और असह्य नहीं था। मैं चुप रही। समीर ने उनका लण्ड थोड़ा पीछे खींचा और एक धक्के में उसे पूरा अंदर घुसेड़ दिया। चिकनाहट के कारण वह घुस तो गया पर दर्द के मारे बड़ी मुश्किल से मैंने अपने आपको चीखने से रोका। मेरे कपोल से पसीने की बुँदे बहने लगीं। यहां तो एक समीर ही थे जो मेरा यह हाल था। एक लड़की पर जब कुछ लोग बलात्कार करते होंगे तो उस बेचारी का क्या हाल होता होगा वह सोच कर ही मैं कापने लगी।

दूर सडकों पर चीखती चिल्लाती गाड़ियों की आवाजाही शुरू हो गयी थी। हमारी कॉलोनी में ही कोई गाडी के दरवाजे खुलने और बंद होने की आवाज सुनाई दे रही थी। नजदीक में ही कहीं कोई दरवाजे का स्प्रिंग लॉक “क्लिक” की आवाज से खुला और बंद हुआ। पर मुझे यह सब सुनने की फुर्सत कहाँ थी ? मेरा दिमाग तो समीर का कडा लंड उस समय मुझ पर जो केहर ढा रहा था उस पर समूर्ण रूप से केंद्रित था।

समीर ने एक बार उसका लण्ड अंदर घुसेड़ने के बाद उसे थोड़ी देर अंदर ही रहने दिया। दर्द थोड़ा कम हुआ। उसने फिर उसे धीरे से पीछे खींचा और बाहर निकाला और फिर अंदर घुसेड़ा। मेरी पूरी गर्भ द्वार वाली नाली समीर के लम्बे और मोटे लण्ड से पूरी भरी हुई थी।

मेरी पूरी खींची हुई चमड़ी उसके लण्ड को खिंच के पकड़ी हुई थी। हमारी योनियों मेसे झरि हुई चिकनाहट के कारण हमारी चमड़ी एक दूसरे से कर्कश रूप से रगड़ नहीं रही थी। दर्द सिर्फ चमड़ी की खिंचाई के कारण था।

मैंने अपना कुल्हा ऊपर उठा कर समीर को मेरी चुदाई चालु रखने का आग्रह किया। समीर ने मेरी प्यासी चूत में हलके हलके अपना लंड पेलना शुरू किया और फिर धीरे धीरे उसकी गति बढ़ाने लगा। उसका कडा छड़ जैसा लंड मेरी गरमा गरम गर्भ नाली में पूरा अंदर घुस जाता और फिर बाहर आ जाता, जिससे मेरी गर्भ नाली में और भी आग पैदा कर रहा था।

मैं भी अपने पेडू को ऊपर उठाकर और निचे गिराकर उसकी सहायता कर रही थी। कुछ ही देर में उसका लंबा लंड, मेरे गर्भ कोष पर भी टक्कर मारने लगा। इसके इस तरह के अविरत प्रहार से मेरी चूत की फड़कन बढ़ रही थी जिससे मेरी चूत की नाली की दीवारें समीर के मोटे लंड को कस के दबा रही थी, या यूँ कहिये की समीर का लंड मेरी चूत की नाली की दीवारों को ऐसा फैला रहा था की जिससे मेरी चूत की नाली की दीवारें समीर के लंड को कस के दबा रही थी।

बहुत सारी चिकनाहट के कारण हमारी चमड़ियाँ एक दूसरे से रगड़ भी रही थी और फिसल भी रही थी। इस अद्भुत अनुभव का वर्णन करना असंभव था। मैं अत्योन्माद में पागल सी उत्तेजना के शिखर पर पहुँच रही थी। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

समीर के हरेक धक्के पर मेरे मुंह से कामुक कराहट निकल ही जाती थी। समीर अपना लंड मेरी चूत में और फुर्ती से पेलने लगा। मैं भी उसके हरेक प्रहार के ताल का मेरे पेडू उठाकर बराबर प्रतिहार कर रही थी। मैं उसदिन तक उतनी उत्तेजित कभी नहीं हुई थी। शादी के दिन से उस दिन तक मेरे पति ने कभी मुझे इतनी तगड़ी तरह चोदा नहीं था। यह सही है की मेरे पति ने मुझे एक लड़की से एक स्त्री बनाया। तो समीर ने उस रात को मुझे एक स्त्री से एक दुनियादारी औरत बनाया, जो एक मात्र पति के अलावा किसी और मर्द से चुदवाने का परहेज नहीं करती थी।

समीर मुझे चोदते हुए बोलते जारहे थे, “नीना, मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ। तुम कितनी अच्छी हो। यह मैं तुम्हें सिर्फ सेक्स करने के लिए नहीं कह रहा हूँ। यह सच है।”

जवाब में मैंने भी समीर से कहा, “समीर, तुम भी बड़े गज़ब के चोदू हो। मैं भी तुम्हे चाहती हूँ और मैं तुमसे चुदवाती ही रहना चाहती हूँ। प्लीज मुझे खूब चोदो। आज अपना पूरा वीर्य मेरी प्यासी चूत में उंडेल दो। मैं तुम्हारा वीर्य मेरे गर्भ कोष में लेना चाहती हूँ।”

समीर अपने चरम पर पहुँच ने वाला था। उसका चेहरा वीर्य छोड़ने के पहले अक्सर मर्दों का चेहरा जैसे होता है ऐसा तनाव पूर्ण लग रहा था। समीर ने कहा, “नीना, मैं अपना छोड़ने वाला हूँ।”

मैं समझ गयी की वह शायद यह सोच रहा था की वह मेरे गर्भ में अपना वीर्य डाले या नहीं। मैंने उसे पट से कहा, “तुम निःसंकोच तुम्हारा सारा वीर्य मेरे अंदर उंडेल दो। मैं तो वैसे ही बाँझ हूँ। मैं गर्भवती नहीं होने वाली। मैं चाहती हूँ की तुम्हारा वीर्य मुझमें समाये। काश मैं तुमसे गर्भवती हो सकती। मैं अपने पति के बच्चे की माँ न बन सकी, तो तुम्हारे बच्चे की ही माँ बन जाती। पर मेरी ऐसी किस्मत कहाँ?”

मैं भी तो अपने उन्माद के शिखर पर पहुँचने वाली थी। समीर के मेरे गर्भ में वीर्य छोड़ने के विचार मात्र से ही मेरी चूत में सरहराहट होने लगी थी और मैं भी अपना पानी छोड़ने वाली थी। समीर के मुंहसे, “आह्ह… निकल पड़ी, और एक ही झटके में मैंने अनुभव किया की मेरे प्यासे गर्भ द्वार में उसने एक अपने गरम वीर्य का फव्वारा छोड़ दिया।

मुझे उसके वीर्य का फव्वारा ऐसा लगा की जैसे वह मेरे स्त्री बीज को फलीभूत कर देगा। मैं उत्तेजना से ऐसी बाँवरी बन गयी और एक धरती हीला देने वाला अत्युन्मादक धमाके दार स्खलन होने के कारण मैं भी हिल उठी। ऐसा अद्भुत झड़ना मैंने पहली बार अनुभव किया।

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