Bhoot To Chala Gaya – Part 11

iloveall 2017-05-21 Comments

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उनकी उँगलियों ने जब मेरी गाड़ की दरार में घुस ने की चेष्टा की तो मेरे मुंह से अनायास ही आह्हः निकल पड़ा। यह मेरी काम वासना की उत्तेजना को दर्शाता था। इंडियन हिन्दी सेक्स स्टोरीस हिंदी चुदाई कहानी

हम इतने करीबी से एक दूसरे के बाहु पाश में जकड़े हुए थे की जब मैंने समीर के लम्बे और मोटे लण्ड को अपनी हथली में लेने की कोशिश की तो बड़ी मुश्किल से हमारे दो बदन के बिच में से हाथ डालकर उसे पकड़ पायी। वह मेरी हथेली में कहाँ समाने वाला था? पर फिर भी उसके कुछ हिस्से को मैंने अपनी हथेली में लिया और उसकी पतली चमड़ी को दबाते हुए मैं समीर के लण्ड की चमड़ी को बड़े प्यार से धीरे धीरे आगे पीछे करने लगी।

मेरा दूसरा हाथ समीर की पिछवाड़े था। जैसे समीर मेरी पीठ, कमर और गाड़ को अपने एक हाथ से तलाश रहा था तो मैं भी मेरे एक हाथ से उसकी पीठ, उसकी कमर और उसकी करारी गांड को तलाश रही थी। जैसे वह मेरी गांड के गालों को दबाता था तो मैं भी उसकी गांड के गालों को दबाती थी।

समीर ने मेरी और देखा। मैंने शरारत भरी मुस्कान से उनको देखा और उनके लार को मेरे मुंह में चूस लिया। समीर ने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाली और उसे आगे पीछे करने लगे जैसे की वह मेरे मुंह को अपनी जीभ से चोद रहे हों। यह उनकी एक बड़ी रोमांचक शैली थी जिसका अनुभव मैंने पहले नहीं किया था। मुझे समीर का मेरे मुंह को जिह्वा से चोदना अच्छा लगा।

समीर ने फिर मेरे नंगे बदन को बिना कोई ज्यादा ताकत लगाये और ऊपर उठाया और अपना मुंह मेरी चूँचियों पर रख कर एक के बाद एक वह मेरी चूँचियों को चूसने लगे। हवामें उनकी बाहों में झूलते हुए अपनी चूँचियों को चुसवाना मेरे लिए एक उन्मत्त करने वाला अनुभव था। मैंने अपने हाथ समीर के गले के इर्दगिर्द कर फिरसे समीर को हल्का चुम्बन देते हुए कहा, “तुम एक नंबर के चोदू साबित हुए हो। लगता है जबसे तुमने मुझे पहली बार देखा था तबसे तुम्हारी नियत मुझे चोदने की ही थी। अपने भलेपन से और भोलेपन से तुमने मुझे फाँसने की कोशिश की ताकि एक न एक दिन मैं तुम्हारी जाल में फंस ही जाऊं। एक भोले भाले पंछी को फांसने की क्या चाल चली है? भाई वाह! मान गयी मैं।”

समीर मेरी और देख कर मुस्कुराये। उनके स्मित ने सब कुछ साफ़ कर दिया। उन्होंने आसानी से उठाते हुए मुझे पलंग पर लाकर लिटा दिया। उसके बाद मेरे भरे हुए रसीले स्तनों के पास अपना मुंह लगाया और फिरसे दोनों स्तनों को बारी बारी से चूसने लगे। फिर एक हाथ से उनको दबाने में लग गए। मैंने अपने एक हाथ में उनके बड़े लम्बे लण्ड की परिधि को मेरी दो उँगलियों को गोल चक्कर बनाते हुए उसमें लेनेकी कोशिश की, और उन्हें धीरे धीरे सहलाने लगी। मैंने उनके फुले हुए बड़े टट्टों को सहलाया और बिना जोर दिए उनको प्यार से मसला। मेरे पति ने मुझे यह बताया था की मर्दों को अपने अंडकोष स्त्रियों से प्यारसे सेहलवाना उन्हें उत्तेजित कर देता है।

उनके अंडकोष को सहलाने से समीर के मुंहसे “आह्हः…” की आवाज निकल पड़ी। मैंने समीर की छाती पर उनकी छोटी छोटी निप्पलों को एक के बाद एक चूमा। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

मेरी चूँचियों को अपनी चौड़ी हथेलियों में दबाते हुए समीर बोले, “ओह! जब से मैंने तुम्हें पहली बार देखा था तबसे मैं इन्हें इस तरह दबाना और सहलाना चाहता था। सही है की मैं तुम्हें पहले चोद ने की अभिलाषा रखता था। पर ऐसी आशा कौन नहीं रखता था? हमारे ऑफिस में सभी कार्यकर्त्ता अगर मौक़ा मिले तो तुम्हें चोदने की इच्छा अपने जहन में छुपाये होंगे। पर मैं भाग्यशाली रहा की तुम मुझे अपने सहायक के रूप में मिल गयी। मुझे तुम्हारी अकड़ और विरोध ने बहोत आकर्षित किया। उसने मुझे और जोश दिलाया। पर नीना प्लीज, मेरी बात मानो, मेरा आपको मदद करने के पीछे चोदने की गन्दी मंशा बिलकुल नहीं थी। पर हाँ, तुम्हारे इन रसीले होठों को चूमने की और तुम्हारे रस से भरे इन उरोजों को सहलाने और चूमने की तमन्ना जरूर थी।”

ऐसा कहते हुए समीर ने अपने होंठ मेरे होंठ पर रखे और एक बार फिर हम दोनों गाढ़ आलिंगन में लिपटे हुए एक दूसरे को चूमने लगे। मैं समीर के होठों के मधुर रस का आस्वादन कर रही थी। मैंने धीरेसे समीर के मुंह में अपनी जीभ डाली और उसे अंदर बाहर करने लगी, और जैसे पहले समीर मुझे कर रहे थे, मैं उनके मुंह को मेरी जीभ से चोद रही थी। समीर के हाथ मेरी चूँचियों को दुलार रहे थे और कभी कभी उन्हें दबाते और मेरी निप्पलों को चूंटी भरते थे।

उनके हाथ मेरी चूँचियों से खिसक कर धीरे धीरे मेरे सपाट पेट की और खिसकने लगे। उनका स्पर्श हल्का और कोमल था। उनका ऐसा प्रेमपूर्ण स्पर्श मुझे उन्मत्त करने के लिए काफी था। उनकी उंगलियां मेरे नाभि पर आकर रुक गयीं। धीरे से उन्होंने अपनी एक उंगली मेरी नाभि में डाली और उसे प्यार से मेरे नाभि की गेहरायीओंमें घुमाने लगे। उन्हें मेरी इस कमजोरी का पता लग गया था की मैं नाभि में उंगली डालने से कामातुर हो कर पागल हो जाती थी। थोड़ी देर बाद उनके हाथ नाभि से मेरे निचले हिस्से की और खिसक ने लगे और मैं काम वासना के मारे तड़पने लगी और मेरे मुंह से कामुक सिसकियाँ निकल ने लगी।

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