Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 22
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अनिल ने राज के सर पर हाथ फिराकर जैसे उन्हें मेरा होंठ चूमने की इजाजत दे दी। मैं तो इन्तेजार ही कर रही थी। राज के उष्मा भरे होंठ जब मेरे होंठों से मिले तो मेरे दिमाग में बत्तियां जलने लगीं। मैं चाहती थी की राज मुझे जोश से चूमे। राज की गरम गरम साँसे मेरे नाक और आँखों पर टकरा रही थी। हमारे होंठ मिलने पर राज की धड़कन भी बढ़ ही गयी होगी क्योंकि मेरा ह्रदय तो दुगुनी तेजी से धड़क रहा था। मैं राज की तेज धड़कन मेरी छाती पर अनुभव कर रही थी। राज भी मेरे ह्रदय की तेज धड़कन का अनुभव कर रहे होंगे।
मेरे पति अनिल पलंग पर लेटे थे। मैं उनके ऊपर उनकी और और अपनी गांड किये लेटी हुई थी और राज मेर ऊपर सवार हो रहे थे। मैं उन दो साँडों के बिच में फँसी हुयी थी। निचे से मेरे पति का लन्ड मेरी गाँड़ को टक्कर मार रहा था तो ऊपर राज का तना हुआ लन्ड ऐरी जांघों को दबा रहा था। राज पूरी तरह मेरे ऊपर चढ़ा नहीं था। अगर वह पूरी तरह चढ़ गया होता तो जरूर एक का लन्ड मेरी गांड में तो दूसरे का मेरी चूत में होता। मैंने कभी मेरे पति से अपनी गांड नहीं मरवाई थी। ना ही मुझे गांड में लन्ड डलवाना अच्छा लगता था। पर उस दिन मैं इतनी ज्यादा उत्तेजित थी कीअगर अनिल मेरी गांड में अपना लन्ड डाल देते तो मैं ले लेती।
राज के साथ जैसे ही मैं एक गहरे चुम्बन में जुड़ गयी की उनके शरीर के दबाव से मुझे निचे की और खिसकना पड़ा। मेरा वजन उस समय मेरे पति लन्ड पर पड़ रहा होगा। उनका तना हुआ खड़ा लन्ड मेरी पीठ से रगड़ रहा था। मेरे पति अनिल ने भी मुझे जगह दी जिससे मैं उनकी गोद में से हट कर बिस्तरे के ऊपर सीधी लेट गयी। राज ने मुझ पर सवार हो कर अपना चुम्बन जारी रखते हुए अपने हाथोंसे मेरे पुरे नंगे बदन को बड़े प्यार से सहलाने लगे। उनका हाथ मेरे बदन की एक एक गहराईयों को छूने लगा। उनकी उंगलीयाँ मेरी नाभि, मेरी गर्दन, मेरी नाक, मेरी आँखों इत्यादि को प्यार से छूने लगी।
राज की महीनों की मेरे नग्न बदन को देखने एवं स्पर्श करने की कामना आज पूरी हो रही थी। मैंने मेरे दोनों हाथों में राजका सर पकड़ा और ताकत से उसे मेरे सर पर दबाया। वह राज को मेरी उत्कटता दिखाने का एक प्रयास था। राज के मुंह से मेरे मेरे मुंह में राज की लार की जैसे धार बह रही थी। मैं राज की लार को बड़े चाव से निगल रही थी। वहीँ राज भी मेरी जीभ को चाटकर और चूस कर मेरी लार का आस्वादन ले रहे थे।
मैंने मेरे एक हाथ में मेरे पति अनिल का लन्ड पकड़ा और उसे हिलाने लगी। अनिल भी काफी उत्तेजित हो रहे थे। उनके जीवन की एक इच्छा उस दिन पूरी जो हो रही थी। राज अपनी जीभ से मेरे बदन को चाटने लगे। उन्होंने पहले मेरे नाक पर अपनी जीभ लगाई और धीरे धीरे मेरे गालों को चाटते हुए वह मेरी गर्दन पहुंच गए। उनका यह कार्यकलाप मुझे उन्मादित करने के लिए पर्याप्त था।
मैंने दूसरे हाथ से राज का लन्ड पकड़ा। राज का लन्ड लोहे की छड़ की तरह सख्त हुआ पड़ा था। मैंने राज के अंडकोष को अपने हाथों में लिया। राज के अंडकोश बड़े थे। मैंने हलके से उसकी गोलियां दबायीं। मैं उन्हें प्यार से सहलाने और लाड लड़ाने लगी। मैं जानती थी की पुरुषों को अपने अंडकोषों को सेहेलवाना बहुत भाता है। अनिल हमेशा मेरे इस तरह प्यार करने के लिए उत्सुक रहते थे।
मेरी ऐसी प्यारी हरकतों से राज के लन्ड का तापमान बढ़ता जा रहा था। उस दिन मेरा राज से चुदना तय था। मेरे पति ही जब मुझे चुदवाने को अधीर हो रहे थे तो भला मैं क्यों पीछे हटती? मैंने उस दिन तक किसी गैर मर्द से चुदवाना तो दूर, किसी गैर मर्द का लन्ड भी नहीं देखा था। हाँ, उस दिन जरूर पानी के फव्वारे में राज का खड़ा लन्ड उसके कपड़ों की पारदर्शिता के कारण देखा था। उसी लन्ड को मैं प्यार से सहला कर मुझे चोदने के लिए मैं उकसा रही थी। और इस काम में मेरे पति मेरे सहभागी थे। मेरे पति ने मुझे खिसका कर वह एक साइड में लेट गए और मुझे उनके और अपने मित्र राज के बिच में लिटा दिया और अपना हाथ लंबा कर मेरी चूत की सपाटी पर प्यार से मसलने लगे।
जब अचानक ही मेरे बैडरूम की बत्ती जल उठी। हम तीनों की आँखें चौंधियाँ गयीं। अचानक ही एकदम करीब से एक स्त्री की आवाज आयी, “यह क्या हो रहा है? अनीता, यह क्या है?”
एक दूसरे से लिपटे हुए हम तीनों चौंक उठे। कुछ देर बाद जब हमारी आँखें तेज रौशनी से ठीक से समायोजित हुई तो हमने नीना को पलंग के सिरे पर खड़ा पाया। वह हम तीनों को अर्ध नग्न हालात में सरसरी नजर से देख रही थी। तब भौंचक्का होनी की बारी मेरी थी। उस समय नीना तो शहर में थी ही नहीं ऐसा राज ने कहा था। फिर वह अचानक कैसे प्रकट हुई? मैं अपने आपको इस हालात में मेरी सखी के प्रत्यक्ष होने पर बड़ा सकुचाई।
मैं तो रँगेहाथ पकड़ी गयी थी। पर नीना भी तो इन दोनों मर्दों से चुदवा चुकी थी। फिर उसे मुझे लताड़ने का क्या अधिकार था? पर मैं कुछ बोलूं उसके पहले ही नीना एक ठहाका मार कर हंसने लगी और आगे बढ़कर मुझसे मेरी उसी अर्ध नग्न अवस्था में ही लिपट गयी और बोली, “वाह, मेरी छोटी बहिन अनीता। आज मैंने अपने पति को माफ़ किया क्योंकि तुझे और तेरी यह कामोद्दीपक कमसिन सुन्दरता देख कर तो मेरा मन भी ललचा गया है।
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