EK Galti Sudharne Ki Khatir

Deep punjabi 2017-07-03 Comments

मैं — क्या हुआ माँ, इतनी घबराई सी क्यों हो और आपने, अपना सूट भी नही बदला।

माँ — क.. क.. कुछ नही बेटा, बस कल रात से तू कमरे में आया नही था न इस लिए बुरे बुरे से ख्याल मन में आ रहे थे और रही बात कपड़े बदलने की तो थकावट की वजह से बदल नही पाई और ऐसे ही सो गई।

मुझे पता नही क्यों लग रहा था के माँ मुझसे कुछ छिपा रही है।

मैं एक साइड लेट गया और लेटते ही गहरी नीद आ गयी। जब सुबह उठकर बाथरूम गया तो क्या देखा, वहां यूज़ किया हुआ कंडोम पड़ा है। जिसे पीछे से गाँठ लगी हुई थी। पहले तो सोचने लगा के किसी का कंडोम हमारे बाथरूम में कैसे ?

फेर मुझे पूरी बात समझते देर न लगी के ये कंडोम संजीव का है। जो रात में माँ को कमरे मे छोड़ने आया था और उसके नशे की हालत का फायदा उठाकर माँ को चोद गया होगा।

उस वक्त मुझे संजीव पे बहूत गुस्सा आया लेकिन फेर दिमाग में ख्याल आया के ताली एक हाथ से तो बजती नही। इसके लिए दूसरा हाथ भी लगाना पड़ता है। उसी तरह से वो अकेला कुछ नही कर पता यदि माँ ने उसे कम्पनी न दी होगी। सो मैंने उसी वक़्त इन्हे रंगे हाथ पकड़ने की योजना बनाई।

उसी दिन मैं कमरे में ये कहकर लेटा रहा के मेरे पेट में दर्द है। मेरी बात सुनकर माँ ने विकास को बुलाया और कहा के इसे पास के डॉक्टर के पास लिजाकर दवाई दिला लाओ।

मुझे उनका अगला प्लान कुछ कुछ समझ आ रहा था के रात की तरह मुझे दूर करने की नई चाल चली जा रही है। ताजो ये कल रात की तरह रंगरलिया ना सके। सो मैं उनकी चाल समझकर खुद ही बोल पड़ा के माँ इसकी कोई जरूरत नही है मेरे पर्स में दो होलिया है पेट दर्द की , सो उन्हें लेकर कुछ पल आराम कर लेता हूं। दोपहर तक बिलकुल ठीक हो जायेगा।।

माँ के अरमानो पे तो जैसे पानी ही फिर गया हो।

माँ — नही बेटा, डॉक्टर की सिफारिश के बिना कोई गोली न खाना, अन्यथा लाभ की जगह नुकसान ही होगा।

तुम ऐसा करो यदि विकास के साथ नही जाना चाहते तो अकेले चले जाओ। मैंने माँ से पैसे लिए और इनको दिखने ले लिए होटल के बाहर चला गया। मुझे दूर जाता देख माँ की तो जैसे मनो कामना पूरी हो गई हो। मैंने जब वापिस देखा तो माँ अंदर चली। उसी वक्त मैं भाग कर वापिस आया और माँ की नज़र से बचकर स्टोर रूम में जाकर छिप गया। वो कमरा हमारे कमरे के पीछे था। जिसकी खिड़की से सब कुछ साफ साफ दिखाई और सुनाई पड़ता था। माँ ने अपने मोबाइल से मुझे फोन किया के कब तक वापिस आ रहे हो। तो मैंने 2 घण्टे तक आने का कहकर फोन काट दिया।

उसके बाद माँ ने संजीव को कॉल किया।

माँ — हलो संजीव आ जो, मैदान साफ़ है संजय तो दवाई लेने डॉक्टर के पास गया है। वहां उसे 2 घण्टे लग जायेंगे।
तब तक हमारा काम हो चूका होगा।

मुझे यकीन नही हो रहा था के मेरी माँ का एक रूप ये भी है। मैने सोचा चलो आज इनको रंगे हाथ ही पकड़ता हूँ। यही सोचकर मैं खिड़की के पास बैठकर उनके आने का इंतज़ार करने लगा।
खिड़की का शीशा काला होने की वजह से बाहर से अंदर की कोई भी प्रकिर्या बाहर नही दिखती थी। जबके अंदर से बाहर का नज़ारा बखूबी दिखता था।

करीब 20 मिनट बाद संजीव अपने 2 साथियो परवीन और रवि समेत हमारे कमरे में आया ।

माँ — ये क्या बदतमीज़ी है ? तुम्हे अकेले को आने को कहा था। तुम इन्हें भी साथ लेकर आ गए कौन है यह लोग, यहां क्यों आये हैं ?

सजीव — आंटी ये मेरे दोस्त है। परवीन और रवि, इन्होंने हमारी पिछली रात की वीडियो रिकॉर्डिंग करली है और मुझे ब्लैकमेल कर रहे है के आंटी को बोल के हमारे साथ भी सेक्स करे वरना हम ये वीडियो सोशल साइट्स पे वाइरल कर देंगे। मैंने इन्हें बहुत समझाया, बहुत मिन्नते की लेकिन मान ही नही रहे। अब आप हो बताओ इनका क्या करू ?

जिस जोश से माँ को काम चढ़ा था। उसी जोश से एक पल में ही उत्तर भी गया। उसे काटो तो खून नही। एक दम सुन्न सी हो गई। उसे सूझ नही रहा था के वो करे भी तो क्या।

माँ — पहले प्रूफ दिखाओ के आपके पास वो विडियो है।

उनमे से एक लड़के परवीन ने अपने मोबाइल में से वही वीडियो चला दी। जिसे देखकर माँ के होश उड़ गए। क्योंके वो नशे की हालत में बड़ा भद्दा बोल थी। जिसकी कल्पना भी नही की जा सकती थी, परवीन ने मोबाईल की आवाज़ बढ़ा दी, ओ संजीव फक मी, इतना मज़ा तो संजय के पापा भी नही दे पाते जितना आज तुम दे रहे हो। आई लव् यू संजीव काश मैं तुम्हारी बीवी होती। हम रोज़ाना ऐसे मज़े लेते।

माँ की आवाज़ को मैं बखूबी पहचानता था सो शक की कोई गुंजाईश ही नही बची थी के उनकी अवाज़ नकली है। माँ को खुद पे यकीन नही आ रहा था के रात को कोका कोला पीकर इतना कुछ किया मैंने। अब कुछ कुछ समझ में आ रहा था क संजीव ने कोका कोला में भी दारू मिलाकर हम दोनो माँ बेटे को पिलाई थी। शयद इसी वजह से संजय को पेट दर्द हो रहा होगा।

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