Mosa Ji Ki Tanhai Dur Ki – Part 1

Arashdeep Kaur 2017-01-16 Comments

मौसा जी ने नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा पागल हो तुम, मैं तुम्हारे पापा जैसा हूं और तुम मुझ से ऐसी बात कर रही हो। मैंने तपाक से जवाब दिया जब जोती दीदी (मौसा जी की बड़ी बेटी ) के साथ बैठकर शराब पी सकते हो और उसको चोद सकते हो तो मुझे क्यों नहीं।

मौसा जी ने हैरानी से मुझे देखा और सेक्सी स्माईल देते हुए मेरे गिलास में शराब डाल दी। हम दोनों ने चीयर्स किया और गिलास खाली कर दिए। मैने अपनी ब्रा से सिगरेट का पैकेट और लाईटर निकाल कर सिगरेट सुलगा ली और मौसा जी को दे दी।

मौसा जी ने एक कश लगाया और सिगरेट मेरे होंठों पर लगा दी। मेरे कश लगाने के बाद मौसा जी खुद कश लगाने लगे तो मैंने सिगरेट पकड़ कर उनको कश लगवाया। ऐसे ही हमने सिगरेट खत्म की और फिर मैंने मौसा जी को अपने हाथ से शराब पिलाई और मौसा जी ने मुझे।

ऐसा करते-करते शराब खत्म हो गई और मुझे अभी सरूर नहीं हुआ था। मौसा जी के पास और शराब नहीं थी तो मैं अपनी शराब की बोतल ले आई।

मैं वापस आ कर मौसा जी के बगल में बैठ गई और दो बड़े-बड़े पैॅग बना लिए। हमने एक-दूसरे को शराब पिलाई और मौसा जी ने मेरी भरी हुई चिकनी जांघों पर हाथ फिराते हुए कहा कि जब से जोती की शादी हुई है वो बिल्कुल तन्हा हो गए हैं और उनकी पत्नी को सेक्स में दिलचस्पी नहीं है।

महीने में एक आध बार सेक्स करती है और जब करती है बस टांगें फैला कर लेट जाती है और मजा नहीं आता। जोती उनकी तन्हाई का सहारा थी और अकेले में मौसा जी को जानूं बुलाती थी।

मैने मौसा जी के गाल को चूमा और कहा जब तक मैं यहां हूं अपने प्यारे मौसा जी को तन्हा नहीं होने दूंगी। मौसा जी ने एक एक और बड़ा पैॅग बनाया और मैं उनकी गोद में बैठ गई। हम एक-दूसरे के हाथ से शराब पीने लगे और नीचे से मौसा जी का खड़ा लंड मेरी गांड पर चुभने लगा। हम एक-दूसरे की आंखों में बहुत कामुक नज़रों से देखने लगे और नशा हमारी काम ज्वाला के अंगारे भड़काने लगा।

हमनें गिलास खाली कर के टेबल पर रख दिए और मैं अपने होंठों को मौसा जी के होंठों पर रखकर चूमने लगी। मौसा जी ने अपने एक हाथ को मेरी पीठ के ऊपर से घुमा कर मेरा नाजुक पेट सहलाने लगे और दूसरा हाथ मेरी भरी हुई चिकनी जांघों पर घुमाने लगे। मैंने मौसा जी का चेहरा अपने हाथों में पकड़ा और जोर से उनका निचला होंठ मुंह में लेकर चूसने लगी।

मौसा जी भी मेरे ऊपर वाले होंठ को अपने मुंह में लेकर चूसते हुए रसपान करने लगे। हमारे बदन से काम ज्वाला के अंगारे दहकने लगे। मैं अपनी टांगें दोनों तरफ करके मौसा जी की गोद में बैठ गई और हम एक-दूसरे को जोरदार तरीके से चूमने लगे। हम एक-दूसरे के मुंह में जीभ डालकर मुंह के अंदर से रसपान करते हुए एक-दूसरे की जीभ की मुंह में भरकर चूसने लगे।

हम एक-दूसरे के होंठों को चूमते एवं चूसते हुए बीच बीच में दांतों से हल्का हल्का काट भी लेते। ऐसे करते-करते हम दोनों चुदाई की दुनियां में खो से गए, हमें होश नहीं था कि क्या हो रहा है। हम दोनों पूरी तरह काम देव की वश में थे और जो काम देव करवा रहा था हम कर रहे थे।

मैंने मौसा जी के कान बारी से मुंह में भरकर चूसने एवं काटने लगी और नीचे से मौसा जी के खड़े लंड को अपनी मोटी गांड से मसलने लगी। मैंने मौसा जी को थोड़ा आगे किया और उनकी टी शर्ट खींच कर निकाल दी। मैं मौसा जी के के मजबूत कंधों पर हाथ रखकर उनकी गर्दन के नीचे जीभ से चाटने लगी। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..

इससे मौसा जी बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गए और उन्होंने मेरी पीठ जोर से मसलते हुए मेरी स्कर्ट ऊपर उठा दी और मेरे बड़े-बड़े गोल चूतड़ दबाने चालू कर दिए। मैंने अपना मुंह और नीचे किया और मौसा जी की सुडौल छाती के निप्पलों पर जीभ फेरते हुए मुंह में भरकर जोर जोर से चूसने लगी। मौसा जी मेरे सिर को अपनी छाती पर दबाने लगे और मैं उनके निप्पलों को चूसते हुए दांतों से काटने लगी।

मौसा जी ने मुझे थोड़ा पीछे किया और मेरा टॉप खींच कर निकाल दिया। मैं ब्रा पहने हुए उनकी गोद में बैठी थी और मौसा जी ब्रा के ऊपर से मेरे बड़े-बड़े बूब्ज़ दबाने लगे। मौसा जी ने मेरे कानों, गालों एवं गर्दन को चूसते काटते हुए मेरी ब्रा की हुक खोलकर मेरे बड़े-बड़े गोल बूब्ज़ को ब्रा की कैद से आजाद कर दिया।

मेरे बूब्ज़ मौसा जी की आंखों के सामने लहराने लगे और में कंधों को हिला कर अपने बूब्ज़ को छलकाने लगी। मौसा जी ने लपक कर मेरे छलकते हुए नंगे बूब्ज़ को अपने हाथों में थाम लिया और दबाने लगे। मौसा जी मेरे हल्के भूरे निप्पलों को पकड़ कर जोर से खींच कर छोड़ देते और मेरे बूब्ज़ हिलने लगते। मेरे हिलते हुए बूब्ज़ देखकर मौसा जी को बहुत आनंद आ रहा था।

मौसा जी ने मुझे खड़ी कर दिया और खुद कुर्सी पर बैठे-बैठे मेरी स्कर्ट और पैंटी खींच कर निकाल दी। उन्होंने मेरी कमर में हाथ डालकर अपनी तरफ खींच लिया और मेरी भरी हुई जांघों को सहलाने लगे। मेरी नज़र मौसा जी की लोअर पर गई, उनके लंड ने खड़ा होकर तंबू बना लिया था और ऐसा लग रहा था कि उनका लंड लोअर को फाड़कर बाहर निकल आएगा।

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