Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 3
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अनिल ने उसे अपनी बाहोँ में लपेट कर अपने होठ नीना के होठ पर रखना चाहा। तब नीना ने एक हाथ में पकड़ा मैगी का पैकेट फेंक दिया और उस हाथ से अनिल को धक्का देकर दूर हटाया और भागती हुयी बैडरूम में चली गयी। अचानक उसे ध्यान आया की उसने अपने पीछे बैडरूम का दरवाजा तो बंद नहीं किया था। वह डर के मारे कांप रही थी की कहीं अनिल पीछे पीछे बैडरूम में न आ जाए। पर जब नीना ने पीछे मुड़कर देखा तो अनिल भौंचक्का सा ड्राइंग रूम में बुत की तरह खड़ा उसे देख रहा था।
थोड़ी देर मैं नीना कपडे चेंज कर नाईट गाउन पहन कर आयी। अनिल ड्राइंग रूम में ही था। नीना ने अपने केश बाँधे नहीं थे। खुले बालों में वो फिर भी उतनी ही सेक्सी लग रही थी। अनिल ने देखा की गाउन के नीचे शायद नीना ने कुछ और पहना नहीं था। क्योंकि उसके बदन के सारे उभार उसके गाउन में से साफ़ नजर आ रहे थे। उस वक्त अनिल की शक्ल रोनी सी हो गयी।
अनिल ने नीचे झुक कर नींना से कहा, “भाभी मुझे माफ़ कर दीजिये। आप को उस हालत में देख कर मैं अपने आप को कण्ट्रोल नहीं कर पाया। मैंने बड़ी भारी गलती कर दी। जब तक आप मुझे माफ़ नहीं करेंगे तब तक मैं यहां से नहीं जाऊँगा। और राज को इस बारेमें मत बताइयेगा। कहीं वह मुझसे बोलना बंद न कर दे।“
नींना तो जानती थी की उस ने ही अनिल को उकसाया था। उसे तो पता था की अगर अनिल ने उसे ऐसी हालत में देखा तो क्या होगा। वह शुक्र मना रही थी की अनिल उसके पीछे बैडरूम में नहीं आया। अगर वह आया होता तो नीना उसे रोक नहीं पाती।
नीना तब हंस पड़ी और बोली, “अनिल तुम कोई चिंता मत करो। जो हुआ इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है। मुझे भी उस हालात में ड्राइंग रूम में नहीं आना चाहिए था। तुम्हारी जगह कोई और भी तो हो सकता था। तब तो और भी मुसीबत हो जाती। मैं राज को कुछ नहीं बताऊंगी। मैं चिल्लाने के लिए शर्मिंदा हूँ। तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आती हूँ।“ यह कह कर नीना रसोई में से चाय बना कर ले आयी।
अनिल को चाय देते हुए नीना ने अनिल से कहा, “माफ़ी तो मुझे भी तुमसे मांगनी है। मैंने तुम्हारी गिफ्ट को नकार दिया था उसके लिए प्लीज मुझे माफ़ कर देना। मैं तुम्हें गलत समझ रही थी। राज ने मुझे बताया की तुम वह गिफ्ट उसे पूछ कर ही मुझे दे रहे थे।“
फिर नीना ने उसे शरारत भरे लहजे में कहा, “अब मुझे वह गिफ्ट चाहिए। और वह ही नहीं और भी गिफ्ट लाते रहना।“
उसके बाद तो जैसे अनिल की चांदी हो गयी। इसके बाद नीना अनिल से कोई औपचारिकता नहीं रखती थी। जब भी अनिल आता तो नीना ख़ास उसे बात करने ड्राइंग रूम में उसके पास आती और उसके साथ भी बैठ जाती थी। कई बार नीना अनिल को रसोई में भी बुला लेती और दोनों इधर उधर की बातें करते।
मेरे सामने भी नीना अब अनिल से शर्माती नहीं थी। कई बार मैंने देखा तो वह अनिल के कोई जोक पर अनिल का हाथ पकड़ कर हंसती थी। परंतु उन के बिच कोई जातीयता वाली बात नहीं दिख रही थी। अब जब वह घर आता तो उसकी आव भगत होने लगी। वह मुन्नू के साथ खेलता और उसको कभी चॉकलेट तो कभी आइसक्रीम ला कर उसने मुन्नू का मन जीत लीया। नीना के साथ भी उसने काफी दोस्ती बनाली थी।
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
मैं जब नहीं रहता था तब भी अनिल आता जाता रहता था। जब भी अनिल मेरी अनुपस्थिति में आता तब मुझे अनिल और नीना दोनों बता देते थे। नीना अनिल को छोटे मोटे काम भी बताने लग गयी थी। अनिल कभी मेरी अनुपस्थिति में सब्जी लाता तो कभी ग्रोसरी।
मैंने महसूस किया की धीरे धीरे अनिल और मेरी पत्नी नीना के बिच कुछ कुछ बात बन रही थी। अगर बात बन नहीं रही थी तो उनके बिच कोई बात में वैमनस्य भी नहीं रहां था। नीना के मनमें अनिल के प्रति अब पहले जितना शक और डर नहीं रहा था।
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी.. और मेरी मेल आई डी है “[email protected]” आप सब मुझे प्लीज इस ईमेल पर अपनी टिपण्णी जरूर भेजें।
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