Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 4
This story is part of a series:
अनिल और नीना एकदम हड़बड़ाते हुए उठ खड़े हुए। नीना ने अपनी साड़ी ठीक की और बोली, “मैंने तो तुम्हे बुलाया था। तुम्हे फुर्सत कहाँ? तुमने अपने इस मित्र को भेज दिया और देखो क्या हुआ। मैं क्या करती?” नीना के गाल शर्म के मारे लाल हो रहे थे। वह आगे कुछ बोल नहीं पायी।
जब मैं वापस ड्राइंग रूम में आया तो अनिल मेरे पीछे पीछे आया और बोला, “राज, मुझे माफ़ करदे यार। यह सब जान बुझ कर नहीं हुआ।”
मैं हंस पड़ा और बोला, “पागल मत बन। मैं जानता हूँ। यह सब अचानक ही हुआ था। और यह कौन सी बड़ी बात है? ठीक है यार, वैसे भी तो कई बार हम एक दूसरे की पत्नियोंसे गले मिलते ही हैं न? यह छोटी मोटी छेड़छाड़ तो चलती रहती है। चिंता मत कर।” यह कह कर जैसे मैंने उसको आगे बढ़नेकी हरी झंडी दे दी।
अब तो अनिल मेरा ऋणी हो गया। वह मुझको अपनी पत्नी से मिलवाने के लिए उतावला हो रहा था। एकदिन जब हम फ़ोन पर बात कर रहे थे तब मैंने बात बात में अनिल को कहा , “मैं घर के सारे मशीनों, जैसे वाशिंग मशीन, टीवी, हीटर इत्यादि का छोटामोटा काम घर में ही कर लेता हूँ। सारा बिजली का काम भी मैं ही कर लेता हूँ। तुम्हें या अनीता को यदि कोई दिक्कत हो तो मुझे बेझिझक बुला लेना।”
यह सुन अनिल जैसे उछल पड़ा। वह कहने लगा की उसकी पत्नी अनीता घर में कोई भी उपकरण काम नहीं करते तो बड़ी गुस्सा हो जाती है और अनिल की जान को मुसीबत खड़ी कर देती है। मेरे प्रस्ताव से वह बहुत खुश हुआ और उसने कहा की वह जरूर मुझे बुलाएगा।
उसी दिन देर शाम को उसने मुझे फ़ोन किया और घर आने को कहा। उसने कहा की उसका टीवी नहीं चल रहा था। मैं अनिल के घर गया। मैंने तुरंत ही उसके टीवी को देखा तो बिजली के प्लग का तार निकला हुआ था। मैंने तार लगाया और टीवी चालू कर दिया। मुझे ऐसा लगा जैसे शायद अनिल ने ही वह तार जान बुझ कर निकाल दिया था ताकि वह उस बहाने मुझे बुला सके।
अनीता बहुत खुश थी। उसकी मन पसंद सीरियल तब आने वाली थी। अनीता इतनी खुश हो गयी की मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़ कर मेरा धन्यवाद करने लगी। उसने कहा, “राज, अनिल इन मामलों में बिलकुल निकम्मा है। वह छोटा सा काम भी कर नहीं पाता।”
मैंने बड़ी नम्रता से कहा, “भाभी जी, आप निश्चिंत रहिये, यदि कोई भी ऐसी परेशानी हो तो कभीभी, ऑफिस समय छोड़ कर चाहे दिन हो या आधी रात हो, मुझे बुला लीजिए। ज़रा सा भी मत हिचकिचाइए। मैं हाजिर हो जाऊँगा।” यह सुन अनीता बहुत खुश हुई और चाय बनाने के लिए जाने लगी।
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
अनिल ने उसे रोककर कहा, “देखो अनीता, राज मेरा ख़ास दोस्त है। अगर मैं न भी होऊं और तुम्हें यदि कोई भी दिक्कत हो तो दिन हो या आधी रात, उसे बुलाने में कोईभी झिझक न करना।”
बस अब तो मेरा रास्ता भी खुलता दीख रहा था। अनीता ने अनिल के रहते हुए मुझे एक दो बार बुलाया। अनिल ने फिर अनीता को जोर देते हुए कहा की उस की गैर मौजूदगी में भी वह मुझे बुलाने में झिझके नहीं। अनिल भी तो काफी समय टूर पर जाता रहता था।
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी.. और मेरी मेल आई डी है “[email protected]”.
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