Ganne Ke Juice Wali Lalita Aunty
(मैं ललिता के बदन को अपनी बाँहों में दबोच लेता हूँ, वो छुटने का बहुत प्रयत्न करती है लेकिन मेरी भुजाओं की शक्ति के सामने उस हड्डीमल आंटी की ताकत असफल हो जाती है, और मैं उसकी साड़ी को और ब्लाउज को उसके मरियल कमजोर बदन से अलग कर देता हूँ..
अब वो काली ब्रा में थी और निचे उसने कुछ नहीं पहना था, उसके शरीर में कमजोरी की हड्डियां चमक रही थी, बूब्स बिलकुल मुरझाये हुए थे जिनमे काले खड़े निप्पल ही अच्छे लग रहे थे, गले में मंगलसूत्र हाथों में चूड़ियाँ, गंदे फटे पैरों में पुरानी पजेब पहने हुए कमजोर शरीर वाली 50 साल की ललिता मेरे सामने नंगी थी और रो रही थी..
अचानक उसने चिल्लाना शुरू किया, मुझे गुस्सा आया और मेने उसके गाल पर 4 थप्पड़ जड़ दिए जिससे वो सुन्न हो गयी और उसके गले से एक भी आवाज़ नहीं निकली)
मैं- भेन की लोड़ी अगर अब चिल्लाई, यहीं जंगल में मार के फैंक दूंगा तुझे.
ललिता(रोते हुए)- बेटा ऐसा मत कर, मैं तेरी माँ के समान हूँ, बेटा छोड़ दे मुझे, बख्श दे मुझे, मुझे वापस छोड़ दे बेटा, ऐसा मत कर…
मैं- चुप हो जा रांड, मजे लेने दे बस उसके बाद छोड़ दूंगा तुझे, और अगर ज्यादा होसियारी दिखाई तो नंगा ही छोड़ दूँगा जंगल में, समझी चिनाल साली सुकड़ीमल….हड्डियों का ढांचा.
ललिता- इस पतली बीमार बूढी औरत में क्या मिलेगा तुझे बेटा, मत कर ये पाप, तूने ऐसा क्या देखा मुझ पर.
मैं- कुछ नहीं देखा, बस में ऐसी घटिया औरत का भी अनुभव लेना चाहता हूँ, देखना चाहता हूँ इन हड्डीयो के ढाँचे में कितना दम है.
(और मैं अपना लौड़ा अपनी पेंट से बाहर निकलता हूँ, जिसे देखकर ललिता घबरा जाती है और मैं लौड़ा उसकी मुरझाई हुयी बालों से भरी चूत में लगाता हूँ और जोरदार धक्का मारता हूँ, जिससे ललिता की चीख निकल जाती है और मेरा लण्ड बूढी चूत के अंदर समा जाता है)
ललिता- अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह… उईईईईई… गईईईईईईई मैं बेटा…. मार दिया रेरेरेरेरे… रहम कररररररर…. अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ
(और मैं लण्ड अंदर बाहर करके चुदाई करने लगता हूँ, शुरू से ही तेज़ रफ़्तार से मैं चुदाई करता हूँ, ललिता बेहोश होने वाली होती है, वो सिसकारियाँ भरते हुए गिड़गिड़ाती है, मैं उसकी चुच्चियां अपने दोनों हाथों से मसलता हूँ)
ललिता- बेटा, दर्द हो रहा है अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ ओहो ह्ह्ह्ह्ह…
मैं- अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह्… ओये होये, आंटी, अह्ह्ह्ह…गजब अह्ह्ह्ह… चूत अह्ह्ह… है अह्ह्ह… तेरी अह्ह्ह्ह…
(लगभग 15 मिनट तक लगातार चूत चुदाई के बाद ललिता बेहोश हो जाती है, कमजोर बदन की ललिता कमजोरी के चलते मेरे लण्ड को सहन नहीं कर पाती और बेहोश हो जाती है, उसकी बेहोशी के 15 मिनट बाद तक मैं उसकी चुदाई करते हुए उसकी चूत में निढाल हो जाता हूँ, और चूत के अंदर ही झड़ जाता हूँ)
(थोड़ी देर बाद ललिता के मुह में पानी फेंकता हूँ तो उसे होश आता है)
मैं- कैसी हो जान, दर्द कैसा है? मेने अपना माल तेरी चूत के अंदर ही छोड़ दिया, कितनी कमजोर है तू, मेरा लण्ड सहन नही कर पायी.
ललिता- हाये अम्मा, अह्ह्ह्ह्ह दर्द होता है, चूत के अंदर क्यों छोड़ा तूने रे, अब पेट से हो जाउंगी तो?
मैं- होने दे जान, मैं पाल लूंगा तेरे बच्चे को.
(मैं उसे उसका मुह खोलने को बोलता हूँ, ललिता जैसे ही मुह खोलती है, मैं अपना लण्ड उसके मुह में डाल देता हूँ)
मैं- इसे चूस, इसमें और माल है उसे भी निकाल अपने मुह में मेरी रांड.
(और मैं लण्ड को उसके मुह में अंदर बाहर करते हुए उसकी मुह चुदाई करता हूँ, गले तक उसका लण्ड भरते हुए मैं झड़ने वाला होता हूँ)
मैं- मैं झड़ने वाला हूँ ललिता… अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ऊईईईई अयायायाया…. मैं आया तेरे मुह में मेरी रानी…
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
(और मैं उसके मुह में ही झड़ जाता हूँ और वो मेरा सारा माल पी जाती है, इसके बाद वो थकी हुयी अपने कपडे पहनती है और मेरे साथ बैठ जाती है, मैं उसे उसकी गन्ने की ठेली में छोड़ देता हूँ, और उसे आँख मारते हुए वहां से चला जाता हूँ)
**इस कहानी के सभी पात्र और घटनाऐं काल्पनिक है, इसका किसी भी व्यक्ति या घटना से कोई संबंध नहीं है। यदि किसी व्यक्ति या घटना से इसकी समानता होती है, तो उसे मात्र एक संयोग कहा जाएगा**
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