Pyaar Bhari Coaching Life – Part 1

kallu2 2016-09-22 Comments

धीरे धीरे मैं और वो आपस में बात करने लगे और दोस्ती अब प्यार का रूप ले चुकी थी। प्यार को बयान कर्ण जितना मुसकिल है, महसूस करना उतना ही आसान। प्यार किस से कब और कैसे हो जाए कोई नही जानता। वो पहली नज़र मे भी हो सकता है और कुछ मुलाकातों के बाद। बस अब इस प्यार मे दो जिस्मो को एक जान मे समाना बाकी था। जिस दिन का मुझे बेशबरी से इंतजार था।

उस दिन बारिस भी तेज आई और सड़कों पर पानी होने की वजह से ऑटो भी नही चल रहे थे। कुछ देर तो मैंने बारिस रुकने का इंतजार किया पर फिर बातों ही बातों मे न जाने मुझे क्या सूझी मैंने अंजलि से पूछा क्यू न मेरे रूम पे चला जाए। वैसे भी तुम इतनी बारिस मे कही नही जा पाओगी। मेरा टिफिन भी आ गया होगा तुम खाना भी खा लेना।

और ना जाने कामदेव ने कोनसा तीर मारा वो तैयार हो गया। मेरा कमरा पास होने की वजह से ज्यादा समय नही लगा। रूम पर जाकर उसको तोलिया दिया उसने अपने बाल साफ किए। और मैं उसे निहार रहा था। इस तेज बारिस ने ठंड बढ़ा दी और पंखा तेज होने की वजह से वो थोड़ा सा सर्दी महसूस कर रही थी।

हम दोनों मेरे बेड पे कंबल मे पाँव डाल कर बैठे हुए थे। बस बादलो की गर्जना और ठंडी हवा ने पूरे माहोल को रोमांटिक बना दिया था। मैं कंबल के अंदर उसके पाँव सहला रहा था। जिससे उसकी आंखो मे छा रही मदशोषी साफ दिख रही थी। धीरे धीरे मे उसके करीब गया और प्यार से उसको बाहो मे भर लिया।

मैंने उसे बाहों मे भर लिया। उसके गुदाज बदन का वो पहला स्पर्श तो मुझे जैसे जनत मे ही पहुंचा गया। उसने अपने जलते हुए होठ मेरे होठों पर रख िदए। आह… उन प्रेम रस मे डूबे कांपते होठों की लजत तो किसी फरिस्ते का ईमान भी खराब कर दे। मैने भी कस कर उसका सिर अपने हाथों मे पकड़ कर उन पंखुडियों को अपने जलते होठो मे भर लिया।

वाह …क्या रसीले होठ थे। उस लज्जत को तो मे मरते दम तक नहीं भूल पाऊंगा। मेरे लिए क्या शायद अंजलि के लिए भी यह किसी जवान लड़के का यह पहला चुम्बन ही था। आह…प्रेम का वो पहला चुमबन तो जैसे हमारे अगाढ़ प्रेम का एक प्रतीक ही था।

पता नहीं कितनी देर हम एक दूसरे को चूमते रहे। मैं कभी अपनी जीभ उसके मुँह मे डाल देता और कभी वो अपनी नम रसीली जीभ मेरे मुँह मे डाल देती। इस अनोखे वाद से हम दोनो पहली बार पिरिचत हुए थे वर्ना तो बस पॉर्न विडियो और कहानियों मे ही पढ़ा था। वो मुझ से इस कदर लिपटी थी जैसे कोई बेल किसी पेड़ से लिपटी हो या फीर कोई बल खाती नागिन किसी चन्दन के पेड़ से लिपटी हो। मेरे हाथ कभी उसकी पीठ सहलाते कभी उसके नितंब।

ओह … उसके खरबूजे जैसे गोल गोल कसे हुए गुदाज नितंब तो जैसे कहर ही ढा रहे थे। उसके उरोज तो मेरे सीने से लगे जैसे पीस ही रहे थे। मेरा पप्पू (लंड) तो किसी अड़यल घोड़े की तरह हिनहिना रहा था। मेरे हाथ अब उसकी पीठ सहला रहे थे।

कोई 15 मिनट तो हमने ये चूसा चुसाई की होगी। फिर हम अपने होठो पर जबान फेरते हुए अलग हुए। क्या ही सुखद और असीम आनंद वाले पल थे ये। उसकी आंखे मानो पुच रही हो हाथ क्यू गए? फिर उसकी टॉप को मैंने अपने हाथो से उतारा। और काले रंग कि ब्रा भी उतार दी अब तो अमृत कलश मेरे आँख के ठीक सामने थे।

आह… गोल गोल संतरे हो जैसे। एरोला कैरम के गोटी जितना बड़ा लाल सुर्ख। इन घुंदियों को निप्पल तो नहीं कहा जा सकता बस चने के दाने के समान एक दम गुलाबी रंगत लिए हुए। मैंने ने जैसे ही उनको छुआ तो उसकी एक हलकी सी सीतकार निकल गई। मैं अपने आप को भला कैसे रोक पता। मैंने अपने होठो को उन पर लगा दीए।

वो मेरा िसर अपने हाथ से पकड़ कर अपनी छाती की ओर दबा दिया तो मेने एक उरोज अपने मुँह मे भर लिया… आह रसीले आम की तरह लगभग आधा उरोज मेरे मुँह मे समा गया। अंजलि की तो जैसे किलकारी ही निकल गई। मैंने एक उरोज को चूसना और दूसरे उरोज को हाथ से दबाना चालू कर दिया।

मेरे लिए तो यह स्वर्ग से कम नही था। अब मैं कभी एक को चूस रहा हूँ कभो दूसरे को। वो मेरी पीठ सहलाती हुए ज़ोर से सी सी कर रही थी। अब धीरे धीरे मैं नीचे बडने लगा उसके हर एक अंग को मैं चूमना चाहता था।

अब मैंने उसके पेट और नाभि कि चूमना चालू किया। उसकी नाभी मे मानो सारी कायनात ही समा जाए। जैसे ही मैंने चारो और जीभ फेरि एक मादक सीत्कार ने मेरा जोश और बढ़ा दिया। उसका सरीर अब कापने लगा था मेरे दोनो हाथ उसके उरोज को सहलाह रहे थे और मेरी जीब उसकी पेट पे फिर रही थी।

उसकी घुंडीयां इतनी सखत हो गई थी जैसे मूँगफली का दाँना हो। फिर अंजलि ने अपना हाथ मेरे पप्पू पे फेरा जो कि पेंट के अंदर घुट रहा था। ऐसा लग रहा था मानो पैंट मे से ही अभी बाहर आ जाएगा। उसने अपने हाथो से मेरी पेंट उतारी। और मैंने उसकी जीन्स।

अब तो बस उसके शरीर पर एक पेंटि बची हुए थी वो भी आगे से पूरी भीगी हुए। पैंटी उसकी फुली हुए फाँको के बीच फंसी हुई थी। मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसको उतरना शुरू किया। अंजलि तो मानो शरम के मारे मर ही जाएगी उसके गाल एकदम लाल टमाटर कि तरह हो गए। दोनों हाथो से अपना चेहरा छुपाते हुए वो साकाशात काम कि देवी ही लग रही थी।

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