Pyaar Bhari Coaching Life – Part 1

kallu2 2016-09-22 Comments

Indian Sex Stories

ये सब लौड़े और चुते कामदेव के हाथ की कठपुतलिया ही है। न जाने कब किसी चुत को कब लंड मिल जाए ये तो कोई भी नही जानता। पहली बार चुदवाने मे हर लड़की या औरत जरूर नखरा करती है..

लेकिन एक बार चुदने के बाद तो कहती हैआ लंड मुझे चोद बार बार, मोका मिले तो हज़ार बार ना जाने खुदा ने ये चुते क्यू बनाई, ना मिले तो रहा नही जाता मिल जाए तो ज्यादा देर तक इनकी गर्मी को सहा नही जाता। मतलब अमृत (वीर्य) की बरसात हो ही जाती है। न जाने क्या था उसकी मुस्कान मे बेबस होकर मे खींचा चला जाता था।

जब से उसको कोचिंग मे देखा था। बस एक उसी का चेहरा मेरे सामने घूमता रहता था। कुदरत ने क्या ही खूबसरत हुस्न ने नवाजा था उसको देखने वालों की नजरे बस वही पर जाम हो जाए। शायद 18-19 साल की होगी पर है एकदम बम पटाखा पूरा 7.5 िकलो आर डी अक्स। ढाई िकलो ऊपर और उमीद से दुगना यानि 5 कीलो नीचे।

नहीं समझे अरे यार उसके स्तन और नितंब। क्या कयामत है साली। एकदम गोरा सा रंग मानो की कोई परी साकाशात स्वर्ग से उतरकर इस धरती पे आई है। उसके लाल लाल होठ मानो की दूध मे दो गुलाब की कोमल पंखुड़िया हो। जैसे ही छु ले बस खून ही निकाल आए। गोरा रंग मोटी मोटी आँखे, काले लंबे बाल, भरे पूरे उनत उरोज, भरी पर सुडोल जांघपतली कमर। और सबसे बड़ी दौलत तो उसके मोटे मोटे मटकते कूल्हे।

आम तोर पर लड़कियो के नितंब भारी भरकम ही होते है पर अंजलि का तो जबाब ही नही है। माफ कीजिये मैं नाम बताना भूल गया था।

अंजलि नाम था उसका। लड़को को जला कर रख देती थी। बस उसके मटकते कूल्हे देखकर ही लड़को का पप्पू खुशी के आँसू रोने लगता था, जिस दिन उसकी मटकती हुए चाल को देख लिए रात को मुट्ठी मारे बिना नींद ही नही आती थी।

अंजलि के मटकते हुए कूल्हो को देखकर आप सनी लियोने को भी भूल जाओगे। मेरा परिचय तो दे दु आपको। मैं कलपेश शर्मा। अभी मेरी पढ़ाई कर रहा हूँ। मेरे लंड का साइज़ लगभग 7” है। लाल सुपाड़ा और सीधा ना गोरा ना ज्यादा काला लंड। सुंदर रंग रूप, हर रोज कशरत करने से सरीर भी फिट है।

कोई भी लड़की देखे तो पहली बार मे फिदा हो जाए। और जब से गुजरात मे आया हूँ, मानो की सवर्ग मे ही आ गया हूँ। यहा की सुंदरता का तो मैं दीवाना बन बैठा हूँ। लड़की की माँ और लड़की तो ऐसे लगता है की बहन हो। मम्मी मेकअप के बाद तो अपनी जवान लड़की को भी पीछे छोड़ देती है। जितना मीठा यहा के लोग खाते है उतने ही मीठे भी है।

यहा की औरतों को गाँड का तो कहना ही क्या ओह मेरे खुदा!!!! मेरा तो बस मटकती हुए गांड को देखकर ही खड़ा हो जाता है। हर औरत सुंदर मानो कामदेव ने खुद अपने हाथो फ्री टाइम मे बनाई हो॥

पहली बार अंजलि से मेरी बात एक क्लास खतम होने के बाद हुए।

तभी पीछे से एक मधुर से आवाज मेरे कानो मे पड़ी

कलपेश, कलपेश..

मुझे तुमसे कुछ पूछना था

मेरी रसायन विज्ञान (कैमिस्ट्रि) काफी अच्छी होने के कारण उसने मुझसे कुछ सवाल पूछे बस फिर क्या था। सारी रात उसकी मीठी मीठी आवाज ने सोने ही नही दिया। इंसान का दीमाक पूरी ज़िंदगी भर काम करता है, लेकिन प्यार और परीक्षा के समय साला ना जाने क्यूँ बंद हो जाता हैं।

यही से शुरू हुए है मेरी ये प्रेम मिलन कथा।

अगले दिन जब वो आई तो मैं उसके पीछे वाली बेंच पर ही बेठा था। उसके आने पर मैंने उसकी तरफ देखा और मैं मुसकराया और वो भी। गर्मी के दिन थे और वो पसीने से भीगी हुए आई जैसे ही उसने बैठ के अपने बाहों को पसीना सूखने के लिए ऊपर किया। एक मादक पसीने की गंध ने मेरे अंदर एक नयी मदहोश केआर देने वाली ऊर्जा को रॉम रॉम म भर दिया। जैसे शराब के बाद खुमारी होती है। शराब उतरने के बाद जो मीठा मीठा नशा रहता है उसे खुमारी कहते है। और ये तो जवान मादक हसीन लड़की के पसीने की गंध जो किसी के पप्पू को भी खुदखुसी करने के लिए मजबूर कर दे। शाम को जब वो पार्क मे खेलने जाती तो उसकी जांगे देख कर ऐसे लगता मानो संगमरमर की दो तरासी हुए बुलंद इमारते हो । जिसे देख कर हम जैसे मुट्ठी मारते। मुझे तो यही बात याद आती

तेरी जांघों के सिवा

दुनिया मे क्या रखा है।

उसकी गुलाबी जाँघो को देख कर यह अंदाजा लगाना कतई मुश्किल नहीं था कि बुर की फांक भी जरूर मोटी मोटी और गुलाबी रंग की ही हगी। मैंने कई बार उसके ढीले टॉप के अंदर से उसकी बगल (कांख) के बाल देखे थे।

आह… या हलके हलकेमुलायम और रेशमी रोयेँ थे। मैं यह सोच कर तो झड़ते झड़ते बचता था कि अगर बगल के बाल इतने खूबसूरत है, तो नीचे का या हाल होगा। मेरा पप्पू तो इस ख़याल से ही उछलने लगता था कि उसकी बुर पर उगे बाल कैसे होंगे मेरा अंदाजा है कि उसने अपनी झांट बनानी शुरु ही नहीं की होगी और रेशमी, नम, मुलायम और घुंघराले झांट के बालो के बीच उसकी बुर तो ऐसे लगती होगी जैसे घास के बीच गुलाब का ताजा खिला हुए फूल।

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