Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 5
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फिर मैंने नीना की चिबुक पकड़ कर कहा, “मेरी प्यारी डार्लिंग मेरी कसम है यदि तू ज़रा सा भी झूठ बोली तो। सच सच बताना, अनिल ने जब तुझे बाँहों में लेकर डांस किया था और जब तुम अनिल के ऊपर धड़ाम से गिरी और उस समय जब अनिल ने तुम्हे बाहों में लिया और तुम्हारे बूब्स दबाये तो क्या तुम उत्तेजित नहीं हुयी थी? आज सिर्फ सच बोलना।”
नीना जैसे सहम गयी। उसने कभी सोचा भी नहीं था की इस तरह कभी उसे भी कटहरे में खड़ा होना पड़ेगा। उसके गाल शर्म के मारे लाल हो गये। थोड़ी देर सोच कर वह बोली, “हां यह सच है। मैं झूठ नहीं बोलूंगी। उसे छू कर मेरे जिस्म में रोमांच सा हो रहा था। पर मैंने कभी भी उसके या किसी और के बारे में ऐसा वैसा नहीं सोचा। एक बात और भी है..
शादी का बंधन एक नाजुक धागे से बंधा हुआ है। कभी कभी उसे ज्यादा खींचने से वह धागा टूट सकता है। ऐसे पर पुरुष सम्बन्ध का मतलब उस धागे को ज्यादा खींचना। एक बात और। अपनी पत्नी को पर पुरुष से जातीय सम्बन्ध के लिए उकसाना खतरनाक भी हो सकता है। हो सकता है मुझे दुसरेसे चुदवाने में मझा आने लगे और मैं बार बार दूसरे मर्द से चुदवाना चहुँ तो?”
बातों बातों में मेरी सीधी सादी पत्नी ने मुझे वैवाहिक सम्बन्ध की वह बात कह डाली जो एक सटीक खतरे की और इंगित करती थी। मेरी बीबी ने मुझसे अनिल का नाम लिए बगैर यह भी कह दिया की एक बार चुदने के बाद हो सकता है वह अनिल से बार बार चुदवाना चाहे..
तब फिर मुझे इसकी इजाज़त देनी होगी। पर मैंने इस बारे में काफी सोच रखा था और मेरी पत्नी के लिए मेरे पास भी सटीक जवाब था। हालांकि मेरी पत्नी की बातों से मुझे एक बात साफ़ नजर आयी की पिछले कुछ दिनों में नीना और अनिल के थोड़े करीब आने से मेरी पत्नी का अनिल के प्रति जो भय अथवा वैमनस्य था, वह नहीं रहा था। मुझे अब हमारा रास्ता साफ़ नजर आ रहाथा।
तब मैंने कहा, ” डार्लिंग, मुझे एक बात बताओ, मानलो आज दिन में अनिल ने तुम्हे यदि चोद दिया होता, तो क्या तुम मुझे छोड़ देती? या क्या मैं तुम्हें छोड़ देता? मैं तुम्हें यह कहना चाहता हूँ की सेक्स और प्रेम में बहुत अन्तर है। आज हम पति पत्नी मात्र इस लिए नहीं हैं क्योंकि हम एक दूसरे से सेक्स करते हैं..
बल्कि हम पति पत्नी इस लिए भी हैं क्योंकि हम न सिर्फ एक दूसरे से प्यार एवं सेक्स करते हैं पर एक दूसरे की जिम्मेदारियां, खूबियाँ और कमियां हम मिलकर शेयर करते हैं और उसका फायदा या नुक्सान हम क़बूल करते हैं। यदि हम अपने इस बंधन से वाकिफ हैं तो ऐसी कोई बात नहीं जो हमें जुदा कर सके। मैं तो एक जातीय अनुभव करने के मात्र के लिए ही कह रहा हूँ।” नीना कुछ न बोली और चुपचाप मुझे देखने लगी।
उस रात को नीना बहुत खिली हुई लग रही थी। मैंने मेरी पत्नीको इतनी बार झड़ते हुए कभी नहीं देखा। शायद वह हमारी बातों को याद करके अपने ही तरंगों में खोयी हुई थी।
मेरी ज़िन्दगी में बहार सी आ गयीथी। अब मैं पहले से कई गुना खुश था। दूसरी और अनिल भी अपने सपनों में था। उस दिन जब रसोई में वह नीना के इतने करीब आ पाया था, यह सोचने से ही उत्तेजित हो रहा था। पहले उसने जब नीना को देखा था तो वह उसे एक मात्र सपनों में आनेवाली नायिका के सामान लग रही थी।
वह नायिका जो मात्र सपनों में आती है और जिसके छूने कि कल्पना मात्र करने से पुरे बदन में एक सिहरन सी दौड़ जाती है। वह वास्तव में भी कभी इतने करीब आएगी यह सोचने से ही उसके बदन में एक आग सी फ़ैली जा रही थी।
एकदिन शाम को हम दोनों दोस्त एक क्लब में जा बैठे। अनिल उसी दिन अपने टूर से वापस आया था। मैं वास्तव में बहुत खुश था। पिछली रात को नीना ने मुझे गले लगा कर इतना प्यार कियाथा की मैं उसके नशे में तब तक झूम रहा था। अनिल ने मुझे इतने खुश होने का कारण पूछा।
मैंने उसे कहा की इसका कारण वह खुद ही था। अनिल एकदम अचम्भे में पड़ गया। उस से जो मैं कहना चाहता था कह नहीं पाया और चुप हो गया। अनिल ने तब कहा, “खैर, मुझे यह बताओ की मेरे घरमें तुम्हारी विजिट कैसी रही? अनीता ने मुझे कहा की उसने एक बार तुम्हे रात को घर बुलाया था।”
मैंने फिर वही सारी कहानी पूरी सच्ची अनिल को सुनाई। जब अनिल ने सुना की अनीता मुझसे लिपट गयी थी तो वह जोर से हंस पड़ा और बोला, “देखा, मेरी बीबी ने भी यह बात मुझसे छुपाई थी। पर तुमने मुझसे नहीं छुपाई। अरे यार, तुम तो बड़े सच्चे और कच्चे निकले। तुम्हारी जगह अगर मैं होता न तो मैं तो अनीता की बजा ही देता।”
मैंने उसके मुंह पर हाथ रखते हुए कहा, “यार, मैं कोई साधू नहीं। पर तू मेरा पक्का दोस्त है। देख मैंने भी बड़ी मुस्श्किल से संयम रखा था। मन तो मेरा भी उछल रहा था। पर मैं तुम्हें आहत करना नहीं चाहता था।”
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
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