Sumit Aur Uska Parivar – Part 1

Dilwala Rahul 2016-06-23 Comments

(जगह कम होने की वजह से भावना धीरे धीरे ट्रेन के झटकों के साथ साथ उस आदमी की गोद में आ जाती है, अब भावना उस अनजान आदमी की गोद में बैठी थी, और आदमी से बात कर रही थी)

आदमी- मैडम, आप कहाँ से हो?

भावना- दिल्ली से भाई साहब और आप?

आदमी- मैं भी दिल्ली से हूँ. आपके हस्बैंड कहाँ काम करते है?

भावना- वो तो आर्मी में हैं, अभी असम में हैं इससे पहले लद्दाख़ में थे.

(ट्रेन के झटकों की वजह से आदमी का लण्ड भावना की गांड में छूने लगा और खड़ा हो गया, इस आदमी का लण्ड सुमित के लण्ड से भी ज्यादा बड़ा था और भावना को साफ साफ इसका आभास हो रहा था परन्तु सीट न होने के कारण वो उस आदमी की गोद में बैठने को मजबूर थी, सुमित ये सब ड्रामा देखे जा रहा था..

अचानक ट्रेन में जोर का झटका जोरों से लगता है और भावना आदमी की गोद से नीचे गिरने वाली होती है तो वो आदमी भावना को गिरने से बचा लेता है, वो भावना को टाइट पकड़ लेता है, जिस कारण उसके मोटे बूब्स आदमी के हाथों से दब जाते हैं, सुमित को ये सब नजारा देखकर बहुत गुस्सा आता है)

भावना(डरते हुए)- हाये दय्या, मैं तो गिर गयी थी अभी, भाई साहब आपका धन्यवाद आपने बचा लिया मुझे.

आदमी- ये तो मेरा फर्ज था भाभी जी. अब मैंने आपको कस कर पकड़ रखा है, अब आप नहीं गिरोगे.

भावना- हाँ भाई साहब ऐसे ही पकडे रहो.

(आदमी ने भावना को टाइट पकड़ रखा था, ट्रेन चल रही थी, झटके लगातार लग रहे थे, आदमी का लण्ड भावना की गांड की दरार को छू रहा था, भावना को भी अहसास हो रहा था और आनंद की अनुभूति भी हो रही थी, भावना ने अपने होंटों को दांतों से दबा लिया और आँखें बंद कर दी..

यह सब देखकर सुमित सब कुछ समझ गया और ऐसे ही अपनी माँ को तड़पते हुए देखता रहा, अब आदमी के झटके भी तेज़ होने लगे, भावना ने कोई विरोध नहीं किया.

अचानक आगे गुफा/सुरंग आई तो अन्धेरा हो गया, गुफा ख़त्म होने के बाद सुमित ने देखा उसकी माँ का साड़ी का पल्लू नीचे गिरा था और उसमे से लगभग 60 प्रतिशत बूब्स बाहर आने को व्याकुल है, वो सब कुछ समझ गया कि अँधेरे में गुफा में क्या कारनामा हुआ.

दूसरी गुफा आती है तो उसके बाद भावना की साड़ी झांघों तक आ गयी थी, अब सुमित की माँ भावना के बिना साड़ी के पल्लू केे बूब्स ट्रेन के डिब्बे में बैठे सभी लोगो के सामने थे और साड़ी झांघ तक थी, झांघ का काला तिल चमक रहा था..

अब तक डिब्बे में मौजूद सभी लोग समझ गए थे की अँधेरी सुरंग में क्या क्या हुआ, और सभी लोग सुमित को देखकर हंस रहे थे क्योंकि उसकी माँ उसी के सामने मजे ले रही थी.

तीसरी सुरंग आती है इसके बाद सुमित की माँ की काली ब्रा की स्ट्रिप लाल ब्लाउज में से साफ साफ बाहर दिखने लगती है और बूब्स लगभग 70 प्रतिशत बाहर आ गए जिसमे से हलके भूरे रंग के निप्पल का ऊपरी भाग भी नग्न था और सभी को नजर आ रहा था वहीँ दूसरी और उस अनजान आदमी के गालों में और गले में लिपस्टिक के निशान थे, और उसकी शर्ट के 4 बटन खुले हुए थे, ऐसा अश्लील वातावरण देखकर अब सभी को पता चल गया था कि क्या मामला है.

चौथी सुरंग आती है, सुरंग खत्म होने के बाद भावना का साड़ी का पीछे का हिस्सा पूरा खुला था और उसकी गांड में उस आदमी का लण्ड इस प्रकार घुसा हुआ था कि किसी को दिखाई न दे. भावना उस आदमी की गोद में बैठी आगे की और झुकी थी और उसके सर के बाल बिखर गए थे, माथे से पसीने की बूंदें उसके 70 प्रतिशत बाहर दिख रहे बूब्स की काली गहरी घाटी में समा रही थी, सुमित को अब यकीन हो गया कि उसकी माँ चुद रही है. सुमित भावना की ये हालत देख रहा था और भावना को घूरे जा रहा था.)

भावना(सुमित की ओर देखते हुए)- गर्मी बहुत है न बेटा, तुझे नहीं लग रही क्या?

सुमित- नहीं माँ, आपको बहुत ज्यादा लग रही है शायद.

भावना- हाँ बेटा, कैसे दूर होगी ये गर्मी.

आदमी- भाभी जी मैं कर देता हूँ दूर, अगली सुरंग आने दो.

(भावना और वो आदमी हंसने लगते हैं और सुमित को अपनी माँ की इस करतूत पर बहुत गुस्सा आता है,

पांचवी सुरंग आती है, और ये सुरंग थोड़ा लंबी भी थी, कुछ दिखायी नही दे रहा था, लेकिन भावना और उस आदमी की आवाज सभी को सुनाई दे रही थी, भावना की चूड़ियों की तेज तेज खनखनाहट रेल के डब्बे में गूंज रही थी, कुछ लोग बात भी कर रहे थे कि आज तो सुमित की माँ चुद गयी और हंस रहे थे, मजाक बना रहे थे)

भावना- अह्ह्ह्ह अह्ह्ह भाई साहब तेज… और तेज… जल्दी भाई साहब अह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म…

आदमी- अह्ह्ह्ह्ह भाभी जी अह्ह्ह्ह उईई हो गया बस…. अह्ह्ह्ह…

(कुछ देर बाद आवाजें बंद हो जाती है और सुरंग भी खत्म हो जाती है, आदमी ने लण्ड भावना की गांड से बाहर निकालकर अपने पैजामे में डाल लिया था और भावना ने भी साड़ी निचे कर ली थी और ब्लाउज भी सही कर लिया था और ठीक तरीके से संस्कारी शादीशुदा नारी की भाँती आदमी की गोद में ऐसे बैठी हुयी थी जैसे कुछ हुआ ही न हो..

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