Sumit Aur Uska Parivar – Part 1
अब भावना के बूब्स केवल 50 प्रतिशत बहार थे जो हररोज ऐसे ही बाहर लटकते थे, कुछ देर बाद उस आदमी का स्टेशन आ जाता है और वो ट्रेन से उतर जाता है)
भावना- सुमित बेटा यहीं बैठे रहना, मैं अभी आई.
सुमित- लेकिन माँ आप कहाँ जा रही हो?
भावना- 2 मिनट में आई बेटा, तू यहीं पर रुक कोई सीट न घेर ले.
(उस आदमी को उतरते देख भावना दौड़ी दौड़ी उसके पीछे जाती है और उसे रोकती है)
भावना- भाई साहब, रुकना…
आदमी- क्या हुआ भाभी जी?
(और भावना उस आदमी के होंठों से अपने होंठ मिला लेती है और किस करती है, स्टेशन पर मौजूद सभी लोग उन्हें देखते हैं, सुमित के डब्बे के लोग भी उन्हें देखते हैं लेकिन सुमित अपनी जगह में रहता है ताकि कोई जगह न घेर ले, इस चुम्बन का मनमोहक दृश्य देखने के लिए भीड़ इकट्ठा हो जाती है, और ट्रेन चलने वाली होती है तो भावना अपने डब्बे में आ जाती है, सभी लोग सुमित और उसकी माँ को देखकर हंसते हैं और ट्रेन में मौजूद सभी हरामी किस्म के लौंडे भावना को कुत्तों की तरह ऊपर से निचे तक घूरते हैं)
सुमित- कहाँ गयी थी माँ?
भावना- अरे उन भाई साहब का पर्स रह गया था वो देने गयी थी.
सुमित- यहाँ अभी पता नहीं क्या हुआ, सभी लोग उस तरफ देखे जा रहे थे जहाँ आप गए, लेकिन मैं अपनी सीट से नहीं उठा ताकि हमारी जगह कोई घेर न ले.
भावना- मेरा राजा बेटा, लेकिन उन अंकल की जगह में तो कोई और बैठ गया, अब मैं तेरी गोद में बैठूंगी.
सुमित- हाँ माँ आजाओ, बैठ जाओ.
(भावना फिर अपने बेटे सुमित की गोद में बैठ जाती है, सुमित का लण्ड एक बार फिर से अपनी माँ की गांड के घर्षण से झटके मारने लगता है और खड़ा हो जाता है, ट्रेन हिल हिल कर चलती है, सुमित पहले ही झड़ चुका था और पुरे डब्बे में उसके माल की बदबू फैली हुयी थी वहीँ दूसरी और उस अनजान आदमी ने भावना की साड़ी के पीछे वीर्य गिराया हुआ था, जिसके बारे में भावना को पता नहीं था, उसकी भी बदबू फैल गयी थी, सभी लोगों ने अपने नाक में हाथ रख दिया था, केवल भावना और सुमित को छोड़कर, अचानक सुमित के हाथ में भावना की साड़ी से उस आदमी का वीर्य लग जाता है और वो अपनी माँ से पूछता है)
सुमित- माँ ये चिपचिपा सा क्या लगा है आपकी साड़ी में?
भावना- ओहो, दिखा तो… अरे जब बाहर गयी थी तो तब लग गया होगा, जनरल डिब्बे में यही मुसीबत है, गंदगी ही गन्दगी रहती है.
अगली बार हम ए.सी. डिब्बे में जायेंगे ठीक है?
सुमित- ठीक है माँ. माँ मैं आपको वैसे ही पकड़ लेता हूँ जैसे अंकल ने पकड़ा था, कहीं आप गिर न जाओ.
भावना- हाये राम… मेरा बेटा कितनी फिक्र करता है मेरी, पकड़ ले बेटा.
(सुमित भावना को वैसे ही कस कर पकड़ लेता है, भावना फिर से उत्तेजित हो जाती है और अपनी जीभ अपने होंठों में फेरने लगती है, ट्रेन के झटकों से उसका पल्लू फिर से नीचे गिर जाता है..
डिब्बे में मौजूद सभी लोग भावना के 70 प्रतिशत बाहर झांकते हुए बूब्स का नज़ारा देख रहे थे और कुछ तो अपने लण्ड में हाथ भी फेर रहे थे. सुमित ट्रेन के झटके के साथ साथ खुद भी जोर जोर से भावना की गांड में झटके मार रहा था, और उसका लण्ड भावना को गांड में महसूस हो रहा था..
भावना आगे की तरफ झुकी हुयी थी, उसके बूब्स की काली गहरी घाटी साफ दिख रही थी, गले का मंगलसूत्र लटका हुआ था, माथे पर लाल बिंदी, मांग पर लाल सिंदूर भावना की सुंदरता में चार चाँद लगा रहे थे..
सुमित ने अपनी माँ को बूब्स के थोड़ा निचे हाथों से जकड़ा हुआ था और झटके मार रहा था, भावना ने अपने दोनों हाथ अपने घुटनो पर रखे थे, वो अपने बेटे सुमित की हालत से वाकिफ थी और उसके मजे में कोई मुसीबत नहीं डालना चाहती थी..
कुछ लोग डिब्बे में भावना और उसके बेटे की करतूत देख कर मुठ मार रहे थे, और कुछ लोग नज़रअंदाज कर रहे थे, कुछ सभ्य परिवार के लोग पहले ही दूसरे डिब्बे में चले गए थे..
अचानक फिर सुरंग आती है और इस सुरंग के चलते जो 6-7 लोग मुठ मार रहे थे उन्होंने अपना अपना माल भावना के ऊपर डाल दिया और कुछ माल सुमित के मुह पर भी पड़ा,भावना का मुह, गला और बूब्स तो माल से भीग गए थे, और सुमित का माल भी कच्छे में निकल गया, भावना भी झड़ गयी..
भावना और सुमित को पता भी नहीं चला कि ये किसने किया, कैसे हुआ क्योंकि सुरंग खत्म होने पर सभी लोग वैसे ही खड़े हो गए जैसे पहले थे, शक करें तो किस पर, सुरंग खत्म होने पर सबका स्टेशन आया और भावना का मुह 6-7 आदमियों के वीर्य से पूरा सफेद हो गया था..
सुमित के भी मुह में माल था, दोनों सभी से नजर छुपाते हुए ट्रेन से जल्दी जल्दी उतरे और घर चले गए, घर पहुँच कर भावना ऐसा बर्ताव कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही न हो, ऋचा भावना और अपने भाई सुमित को देखकर बहुत खुश हुयी..
ऋचा ने स्कर्ट और ऊपर एक हलकी सी नेट वाली बनियान पहनी हुयी थी जिसमे उसके कच्ची अमिया जैसे बूब्स हल्के से उभरे हुए लग रहे थे और निप्पल का गोल आकार भी दिख रहा था..
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