Kaamagni.. Ye Aag Kab Bujhegi – Part III

chutanshu 2015-09-17 Comments

This story is part of a series:

Kaamagni.. Ye Aag Kab Bujhegi – Part III

हम लोग नेशनल यूथ फेस्टिवल में हिस्सा लेने कोलेज गेट पर इकठा हो गए थे और हमारी जयना मेम भी आ गयी थी। अगली रात उसके पैर में मोच आ गयी थी फिर भी वो वक्त पे आ गयी। उसकी कार से गेट तक उसे अपने कंधो के सहारे में और तम्मना गेटतक लाये..

अब आगे..

अरेंजमेंट के मुताबिक मुझे सबके सामान को बस आते ही बस की डिकी में रखवना था और तमन्ना के पास सबकी टिकट्स थे तो उसे सबको अपनी सिटपर नंबरवाइज बिठाना था। हमारी बस अपने टाइम पर आगयी। मेरे अलावा सब लोग बस बैठे। लास्टमें में, सह्नाज़ और मेम बचे थे। में सामान को बस में रखवाकर वहा लॉक करवाकर बस के दरवाजे पे आया तो सक्कापक्का रह गया। मेम सह्नाज़ के कंधो के सहारे खड़ी थी उसका हाथ उसके गले के पीछे से होते हुए सह्नाज़ के मम्मे पर था। दोनों हंसहंस कर बाते कर रही थी। मेरे आते ही..

जयना: सह्नाज़ तू तमन्ना के पास बैठ, क्योंकि मुझे बस में चड़नेउतरने के लिए साहिल जैसे मजबूत और हट्टेकट्टे कंधो की जरुरत पड़ेगी। तुम लडकिया मेरा बोज ना उठा पाओगी। तो तुम और तमन्ना साथ बेठो, साहिल मेरे पास बेठेगा। ये बोलकर जयना ने मेरे तमन्ना के रातभर बस में दिल्ही तक साथ बेठने के प्लान पे पानी फेर दिया।

मैं चमका और सह्नाज़ के सामने देखा तो वो मुझे चुपके से आंख मार बेस्टलक का इशारा कर बस में चढ़ गयी। उसने जयना मेम को हाथ पकड़ बस में चढाने की कोशिश की पर उसे ऊपर चढ़ने दिक्कत हो रही थी तो मैंने मेम को पीछे जाकर कंधे से थोडा उठाया, और उसके कुलहो पर दबाव् डाल उसे उठाया तो वो अआआअ…ओउच करते हुए बस पे चढ़ गयी पर उसके मांसल कुलहो छूने से फिर से एक सेक्सी एह्स्सास मेरे अन्दर दौड़ने लगा और इससे शांत हो रहा मेरा लंड फिर निकर में टाइट होकर जटके देते हुए फंफंनाने लगा।

मेंने चुपके से बरमुडा में हाथ डाल अपने लंड को ऊपर की और सेट कर दिया पर उसके बावजूद मेरे बरमूडा के बीचोबीच मेरे कड़े लंड का उभार में छुपा नहीं सका। इस तरह करते हुए मुझे देख सह्नाज़ व्यंग में मुस्कुराई।

मैं जैसे ही बस में चढ़ा और जयना मेम के बगलवाली अपनी सिट पर बैठने जा रहा था तभी उसने अहिस्ता से किसी को पता न चले ऐसे अपने हाथ से मेरे लोडे पे एक मस्त रगड़ मारी, मेने उसकी और देखा तो वो अजीब सी सेक्सी मुस्कान बिखेरे तम्मु की सिट की और जाते हुए मुझे बाय कहा। में अन्दर ही अन्दर बोख्लाते हुए जा के अपनी सिट पर बैठा।

वहा जयना मेम पहले से ही फैल के बैठ चुकी थी और वो सिट बिलकुल बस के लास्टवाली थी ताकि कोई चलते फिरते उसका पैर न दुखाये। तमन्ना अपनी सिट पर मुह चढ़ाये गुस्सा हो कर बैठी बैठी मुझे और सह्नाज़ को गालिया दे रही थी। उसने जोर से सह्नाज़ को नाख़ून चुभोते हुए चिमटी काटी.. (सह्नाज़ दभी आवाज़ में चीखी)

तम्मु: साली सह्नाज़ की बच्ची..मेम की चमची हमलोग साथ में बेठना तुजसे देखा नहीं गया क्यों? यह सब तेरा किया कराया हे, साली हमदोनो को अलग कर तुजे क्या मिला?

सह्नाज़: आअईईईइ इसस ये मैंने नहीं, मेम ने किया हे… मुझे पता नहीं। मेतो ऐसे ही उससे बात कर रही थी। साहिल उसको अच्छे से उठा सकता हे तो मेम ने ही कहा हे यार मुझे दोष मत दो। ओह्ह्ह्ह मा..साली ला तेरे तो में नाख़ून काट फेक दू.. देख तो हरामखोर मुझे खून आ गया।

सह्नाज़: (उसे समजाते हुए) देख तम्मु की बच्ची साहिल तेरा ही माल हे तू उसे मार काट कुछ भी कर पर मुझे क्यों मार रही हो साली? और दिल्ही में तुजे दस दिन मिलेंगे… साली काट के खा जाना उसे तू…

उसने तम्मु को उसके स्कर्ट के ऊपर से उसकी जांघो पे चिमटी काटी और अपना बदला लेते हुए जोर से उसकी बगल में जोर से पटककर बैठी और उसके कान में बोली..

सहनाज: मेरे चिकन..साहिल यहाँ तेरे पास बैठके जो करनेवाला था वो में सारी रात करुँगी मेरी जान..! तुजे साहिल की याद नहीं आने दुगी उम्म्मम्म पुच (उसने तम्मु के गाल को हल्का सा किस किया..

तम्मु: (शरमाते हुए प्यार से उसके गुलाबी गाल पे हलके से थप्पड़ माँरते हुए) चल हट बदमास..ये ले ठेंगा। तुजे तो में हाथ नहीं लगाने दूंगी। एक और चिमटी..(तमु ने उसकी कोमल कमर फिर से ली..) सह्नाज़ अपना निचला होठ अपने दांतों में दबाये अपने आप को उनसे छुडाते हुए धीरे से ओह्ह्ह्हह.. माँ मर गयी.. साल्ली इतना मारती क्यों हे? अबतो देख साहिल को में इतनी लाइन मारूंगी… देख तू…

शैला और ध्वन्नी ये नज़ारा देख रही थी। दोनों पिछली सिट से नजदीक आके: क्यों आज दोनों का क्या इरादा हे? दोनों में प्यार तो नहीं हो गया ना..

इसबीच

जयना: चलो कोई बाकि नहीं ना? संजय ड्राईवर को बोलो बस चलाये..

संजय: (ड्राईवर को) चलो भैया सब आ गए.. बस चलाओ…..और बस चलने लगी…

शाम को करीब ७ बज चुके थे और हल्का सा अँधेरा छाने लगा था। बस का ए।सी। ठंडी खुशबूदार हवा फेक रहा था और मस्ती का आलम था। बस वोल्वो होने ने कारन एकदम मस्त हिचकोले लेते हुए चल रही थी। जयना के बदन से औरतोवाली एक निशिली खुशबू आ रही थी पर मेरा ध्यान तम्मु में था।

Comments

Scroll To Top