Kaamagni.. Ye Aag Kab Bujhegi – Part III

chutanshu 2015-09-17 Comments

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मैंने अक्सर उसे गुस्से में सबको डाटते हुए ही देखा हे, उसके तीखे नाक पे मैंने हमेशा गुस्सा और तीखे तेवर देखे हे। बहरहाल अभी तो उसके मुलायम बदन की रगड़ मुझे मजा देने लगी थी। एक बात कहू यार..? उसका बदन ए।सी। चालू होने के बावजूद भी गरम महसूस हो रहा था। जयना के बदन से औरतो वाली एक अजीब सी मीठी खुशबू और हलकी सी गर्माहट मेरे लंड को बगावत के लिए उकसा रहे थे। घुटनों के निचे की तरफ मेरे नंगे पैर ठण्ड से हलके से कंप रहे थे। मेम ने अपने पर्स से अपनी शाल निकाली और ओढने लगी और मुझे कहा।

जयना: चलो अपनी शाल निकालो और आराम करो..

मैं: ओह्ह मेम मेरी साल पीछे डिकी में सामान में रह गयी हे। अब में कैसे निकालू…

जयना: तुम लड़के ऐसे ही अनाड़ी होते हो। अपनी काम की चीज़ भी साथ नहीं रखते? ये ले मेरी शाल थोड़ी तू भी ओढ़ ले (उसने अपनी शाल मेरी और फैलाई..)

मैं: अहह जी मेम…

में मेम को कैसे समजाउ की मेरे लिए एक बड़ा सा कम्बल तम्मना लायी हे। काश में उसके पास होता तो उसके बदन की गरमी से अपने आपको सेक रहा होता..

मेने कंपते हाथो से उस शाल को थोडा सा ओढा.. अन्दर गजब की खुशबू मजे और दीवाना बना रही थी, मेरे दिमाग में एक सरबती एहसास होने लगा। वो मुझसे एकदम चिपकके बेठ गयी थी और मेरा लोडा निकर के अन्दर अपना सर जोरजोर से टकरा रहा था। मेरे दिमाग में आया की साली को दबोच के मशल दू पर हिम्मत नहीं हो रही थी।

जयना: अब ठण्ड नहीं लग रही ना।

मैं: नहीं मेम थैंक्स…

जयना: अरे इसमें थैंक्स क्यों? चलो सो जाओ..

में आंखे बंधकर अपना बदन ढीला छोड़ सिट पे अपनी पीठ को टिकाकर आंखे बन्ध कर सोने लगा। वो भी थोड़ी रिलैक्स हुई और मुझे शाल अच्छे से ओढाने मेरी और थोड़ी और खिसकी और जरा और सट के बैठी। उसका दाया कन्धा मेरे बाये कंधे के पीछे आ चूका था और उसके नर्म मोटे मम्मे मेरे कंधे से सटे और दबे रहे थे। साला मेरा दिमाग सून्न होने लगा, मेरा दिल जोर से धडकने लगा। मेरे बदन में गर्माहट आने लगी। में कांप रहा था।

एक अजीब सा नशीला एह्स्सास होने लगा जो मेने अपनी इतनी जिंदगी कभी नहीं किया था। जैसे जैसे बस हिचकोला लेती उसकी चुचिया हाथ पे जोर से दबती और मेरी सांसे रुक जाती। थोड़ी देर के बाद वो भी आंखे बन्धकर सो गयी और शायद नींद की वजह से उसने अपना सर मेरे कंधे पे दाल दिया और सिट पे दोनों पैरो को उठाके आशन लगा कर मुजपे काफी जुक कर गयी उसने अपनी जांघ मेरी जांघ पे रख दी थी। ओह्ह्ह्हह.. मेरे लंड के सुपाडे में अजीब सी सनसनाहट और जटके आ रहे थे।

दोस्तों असली कहानी यहाँ से शुरू हो रही हे दिल और लंड, चूत थाम के बेठो…

पढ़ते रहिये क्योकि.. कहानी अभी जारी रहेगी।

दोस्तों मेरी ईमेल आई डी है “[email protected]”। कहानी पढने के बाद अपने विचार नीचे कमेंट्स में जरुर लिखे। ताकी हम आपके लिए रोज और बेहतर कामुक कहानियाँ पेश कर सकें। डी.के

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