Khul Gaya Darwaja – Part 4
देव ने भी उसी प्यार भरे लहजे में कहा, “देख मेरी छम्मो। तुझे तो मेरी बनना ही है। मैं तुझे छोडूंगा नहीं। पर इसका मतलब यह नहीं है की हमारे बिच जो यह लुका छुपी कहो या पकड़म पकड़ी का खेल चलता आ रहा था वह ख़तम हो जाए। यह तो जारी रहना चाहिए। तुझे तेरे पीछे भागके पकड़ कर चोदने ने का जो मजा है वह मैं खोना नहीं चाहता।”
यह सुनकर मंजू का अल्हडपन सुजागर हो गया। वह देव के नंगे पेट पर अपना अंगूठा मार कर बोली, “साले, एक तरफ मुझे चोदना चाहता है, और फिर कहता है की मैं भाग जाऊं और तू मुझे पकड़ ने आये? अरे साले तू मंजू को नहीं जानता। मेरे पीछे भागने वाले बहुत हैं। तू मुझे क्या पकड़ता। यह तो मुझे तुझ पर तरस आ गया और मैं जानबूझ कर तुझसे पकड़ी गयी। अब चल जल्दी कर वरना मैं कहीं भाग निकली तो तू फिरसे हाथ मलता रह जाएगा।“
देव अपनी मुस्कान रोक न सका। उसे अच्छा लगा की उसकी मंजू कोई साधारण औरत नहीं थी की वह किसी भी मर्द की चगुल में आसानी से फँसे। उसे यह भी यकीन हो गया की आगे की उसकी राह उतनी आसान नहीं रहने वाली की जब उसका जी चाहे तो मंजू उससे चुदने के लिए अपने पाँव फैलाकर सो जायेगी। उसे वही मशक्कत करनी पड़ेगी जो उसने तब तक की थी।
देव ने कहा, “ठीक है मेरी रानी। अब ज़रा मैं तेरी जवानगी का और तु मेरी मर्दानगी का मजा तो लें! हाँ मैं तेरा जरूर ध्यान रखूंगा तू चिंता मत करियो। ”
ऐसा कह कर देव ने अपना कड़ा छड़ जैसा मोटा लण्ड मंजू की फैली हुई टांगों के बिच में उसकी उभरी हुई चूत के होठोंको के केंद्र बिंदु पर धीरे से सटाया।
मंजू ने अपनी उँगलियों से अपनी चूत के होठों को फैलाया और देव के फौलादी लण्ड को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर थोड़ी देर के लिए अपनी चूत पर रगड़ा ताकी दोनों का पुरजोर झर रहा पूर्व रस से देव का लण्ड और उसकी चूत पूरी तरह सराबोर हो जाए और मंजू को देव के लण्ड के अंदर घुसनेसे ज्यादा पीड़ा न हो।
उसके बाद मंजू ने अपना पेंडू को ऊपर की और धक्का देकर देव को यह संकेत दिया की वह उसका लण्ड अंदर घुसेड़ सकता है। देव ने जैसे ही अपना लण्ड मंजू की चूत में थोड़ा सा घुसेड़ा की अनायास ही मंजू के मुंह से निकल गया, “धीरे से साले यह मेरी चूत है। तेरे बाप का माल नहीं है।”
देव अपनी हंसी रोक न सका। उसने एक धक्का मारा और अपना लण्ड थोड़ा और घुसेड़ा। मंजू अपनी आखें मूँदे देव के छड़ का उसकी चूत में घुसने का इंतजार कर रही थी। मुझे दोनों की यह प्रेमक्रीड़ा का पूरा आनंद लेना था। मेरा लण्ड भी एकदम कड़क और खड़ा हो गया था।
मैं दरवाजे करीब पहुँच गया और छुप कर दोनों को देखने लगा। मेरा पलंग दरवाजे के एकदम करीब ही था और मुझे दोनों प्रेमियों की हर हरकत साफ़ दिख रही थी और उनका वार्तालाप साफ़ सुनाई दे रहा था। मैं सोच रहा था की शायद वह दोनों मुझे देख नहीं रहे थे। पर मैंने एक बार देखा की मंजू अपनी टांगें उठाकर देव के कन्धों पर रखे हुई थी और उसकी फैली हुई चूत मैं साफ़ देख रहा था तो उसने मुझे आँख मारी। मैं हतप्रभ रह गया। शायद मुझे मंजू ने चोरी से छिप कर उन दोनों को देखते हुए पकड़ लिया था।
पर उसके बाद जब देव ने अपना लण्ड मंजू की चूत में थोड़ा और घुसेड़ा तब मंजू के मुंह से सिसकारी निकल ही गयी। उसे बोले बिना रहा नहीं गया, “साले कितना मोटा है तेरा लण्ड। मेरी चूत फाड़ देगा क्या? साले धीरे धीरे डाल।”
मंजू की दहाड़ सुन कर मुझे हँसी आगयी। मैं अपने मन में सोच रहा था, “यह लड़की कमाल की है. चुदते हुए भी अपनी दादागिरी और अल्हड़पन से वह बाज नहीं आती। कोई और लड़की इसकी जगह होती तो चुप रहकर चुदने का मजा ले रही होती।”
देव ने उसका कोई जवाब न देते हुए एक हल्का धक्का और मारा की उसका आधा लण्ड मंजू की चूत में घुस गया। मंजू के मुंहसे आह.. निकल पड़ी पर वह और कुछ न बोली। देव ने फिर अपना लण्ड वापस खींचा और फिर एक धक्का और दिया। उस बार मंजू ने अपनी आँखें जोर से भिंच दीं। शायद उसने सोचा जो होता है होने दो। देव ने जब एक आखिरी धक्का और दिया और तब उसका फैला हुआ मोटा लण्ड मंजू की चूत में करीब करीब घुस ही गया तब मंजू के मुंह से कई बार “आह… आह… आह…” निकल गयी पर उस “आह..” में दर्द कम और रोमांच ज्यादा लग रहा था।
जब देव ने मंजू को चोदने ने की गति थोड़ी सी बढ़ाई तो मंजू के मुंह से बार बार “आह… आह… उँह…” निकलने लगा। वह दर्द की पुकार नहीं बल्कि मंजू को अपनी पहली चुदाइ का जो अद्भुत अनुभव हो रहा था उसका जैसे पुष्टिकरण था। शायद उसके मनमें यह भाव आरहा होगा की तब तक उसने देव को उकसाने की जेहमत की थी, वह इस चुदवाने के उन्मत्त अनुभव से सार्थक नजर आ रही थी। एक लड़की जो पहली बार चुदने में अद्भुत अनुभव पाने की आशा रखती है, जब उसे चुदने के समय वैसा ही अनुभव होता है तो उसके मन का जो हाल हो रहा होगा वह मंजू की यह “आह.. हम्फ … उँह…” से प्रतिपादित हो रहा था।
Comments