Ek Ajnabi Hasina Se Mulakat Ho Gayi

Deep punjabi 2017-07-05 Comments

नमस्कार दोस्तों, आपका अपना दीप पंजाबी आपकी सेवा में एक नई कामुक मेरी हिन्दी चुदाई कहानी लेकर हाज़िर है। ये कहानी भी पिछली कहानी की तरह मेल केे द्वारा एक नए दोस्त ने भेजी है। सो आगे की कहानी उसी की ही ज़ुबानी…

सबसे पहले तो देसी कहानी डॉट नेट साईट के सभी चाहने वाले समीर का प्यार भरा नमस्कार कबूल करे । मेरा खुद का अपना टेलिकॉम का बिज़नस है और मैं पंजाब से ही हूँ| मेरी उम्र 25 साल है। मैं इस साईट से कई महीनो से जुड़ा हुआ हूँ। ये मेरी पहली कहानी है। सो कृपया यदि कोई गलती लगे तो नौसिखिया बच्चा समझ के माफ़ कर देना।

आपका ज्यादा समय बर्बाद न करते हुए सीधा आज की कहानी पे आते है।

इस कहानी का बनना एक महज एक संयोग कह सकते है। हुआ यूं के एक दिन मैं अपनी दूर की रिश्तेदारी हरियाणा में किसी काम से गया हुआ था। वहां से हफ्ते बाद अपना वो काम निपटाकर वापिस अपने घर की तरफ लौट रहा था।

मेरा घर एक छोटे से गांव में होने की वजह से शहर से बस, ऑटो या टैक्सी लेकर आना पड़ता था। जो के मेरे गांव से 20 किलोमीटर दूरी पे था। सो उस दिन जैसे ही हरियाणा से सुबह की चली बस, पंजाब में एक चौक पे शाम को आकर रुकी। तो मैं नीचे उत्तर कर अपने घर की तरफ जाने वाले किसी वाहन की प्रतीक्षा करने लगा। इतने में मौसम एकदम बिगड़ गया और एक दम बरसात होने लगी। मैं भीगने से बचने के लिए भागकर किसी सुरक्षित स्थान की और दौड़ने लगा।

लेकिन दूर दूर तक कोई ठहर दिखाई न दी। वहां से काफी दूर थोड़ी देर आर्ज़ी तौर पे तयार की घास फूस की झोपडी की आड़ में सहारा लेकर भीगने से बचने का असफल प्रयास करने लगा। मैंने खुद को ज्यादा भीगता देखते हुए कोई और सुरक्षित ठिकाना ढूंढने का विचार बनाया। उस जगह से लगभग एक किलोमीटर दूर एक घर दिखाई दिया। जिसकी अंदर वाली लाइट रोशनदान से जलती हुई दिखाई दे रही थी। मैंने वहां जाकर उस घर का दरवाजा खटखटाया।

कुछ ही पलो में एक सुंदर सी लड़की जिसकी उम्र यही कोई 25 साल होगी, रंग गोरा, लम्बा गाउन पहने थी, उसने दरवाजा खोला। मेरे चेहरे और मुझे भीगा हुआ देखकर…
वो — हांजी कहिये ??

मेरे गले में लटके बैग को देखकर उसने मुझे शयद कोई सेल्समन समझ लिया होगा ऐसा मेरा मानना था।

मैं — जी मैं यहाँ से 20 किलोमीटर दूर के गांव का रहने वाला हूँ, अपनी दूर की रिश्तेदारी से वापिस आ रहा था, तो रास्ते में बारिश शुरू हो गयी, अब क्या पता कब तक बारिश रुके तब तक के लिए आपके घर में थोड़ी देर रुकने की इज़ाज़त लेने आया था।

वो — वो सब तो ठीक है लेकिन एक अजनबी को मैं कैसे पनाह दे सकती हूँ। माफ़ करना घर में अकेली हूँ और कोई खतरा मोल नही ले सकती। कृपया कोई और घर आगे देखो और ये कोई धर्मशाला नही है। इतना सब कुछ वो एक ही पल में चाबी भरे खिलोने की तरह बोल गई और दरवाजा बन्द कर लिया।

उसके ऐसे रूखे व्यवहार से मेरा दिल एक दम चकनाचूर हो गया और सोचने लगा यार, कैसे लोग है शहर के किसी की मज़बूरी भी नही देख सकते ?
सो मैं वहां से भीगता हुआ क़िसी और सहारे की तलाश करने लगा। मेरे मन में तरह तरह के सवाल उठ रहे थे।
इन्ही सवालो से झूँझता मैं दुबारा एक पार्क के नाम पे तयार हो रहे एक कमरे में जाकर रुक गया। उस वक़्त मैं पूरी तरह से भीग चूका था और ठण्डी चलती हवा की वजह से कपकपी भी उठ रही थी। थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद एक कार मेरी तरफ आती दिखाई दी तो मैंने सोचा पूछता हूँ ड्राईवर से शायद शहर तक जायेगी तो इसपे ही चला जाउगा। मैं इन्ही सोचो में खोया था के तभी वो कार मेरे पास आकर ही रुक गयी। मैं कपकपाता उस कार को देख रहा था। उसमे रेनकोट पहने एक सक्ष जिसका चेहरा कोट के साथ लगी टोपी से ढका हुआ था, बाहर आया और हाथ में बैटरी जलाये मेरी तरफ ही आ रहा था।

एक दम मेरे पास आकर उसने अपने सर से वो टोपिनुमा नकाब निकाला और मेरी तरफ देखा।

एक दम मुझे याद आया, अरे यार ये तो वही लड़की है जिसने 20 मिनट पहले मेरा प्रस्ताव ठुकराया था।

मैं — (थोडा नराजगी से) — हाजी कहिये, अब क्या दिक्कत है आपको ?
यहां खडना भी ज़ुर्म है क्या ??

वो — मुझे माफ़ कर दीजिये, मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी। दरअसल उस वक़्त मेरा मूड थोड़ा खराब था। बस ऐसे ही किसी का गुस्सा आप पे निकाल दिया। आइये अब घर चलते है। अब चाहे एक रात रुक भी जाना। मुझे कोई आपत्ति नही है।

मैं — नही धन्यवाद मैडम, पहले ही आप मेरी बहुत सेवा कर चुकी है। आप जाइये मैं अब अपने ही घर जाऊँगा। चाहे देरी से ही जाऊ लेकिन अब आपके साथ तो बिल्कुल भी नही आउगा।

वो — अब गुस्सा थूक भी दीजिये न कह तो दिया बस मूड खराब की वजह से गलती हो गयी। मुझे माफ़ कर दीजिए। मैं अपने किये पर बहुत शर्मिंदा हूँ। प्लीज़ मुझसे माफ़ करदो।

मैं — (गुस्से से) — क्यों अब क्या हो गया। अब कोनसी फ़ौज़ आपके पास होगी और वैसे भी आप मेरी वजह से डिस्टर्ब ही होंगी । सो कृपया आप मुझे भी माफ़ करे और अपने घर जाइये। मैं चला जाउगा अपने घर। साली इंसानियत नाम की चीज़ ही खत्म हो गयी है आप जैसे लोगो की वजह से, अब खडी क्यों हो जाइये न, क्यों अपना वक्त खराब कर रही हो। सो जाओ जाकर घर अपने।

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