Ek Ajnabi Hasina Se Mulakat Ho Gayi
वो — फेर तो आप मेरी मज़बूरी अच्छी तरह से समझ सकोगे ?
मैं — कैसी मज़बूरी ? मैं समझा नही मैडम ?
वो — पहले तो आप मुझे मैडम नही मीनाक्षी कहकर पुकारे। मुझे अच्छा लगेगा। मेरे पति तो मुझे कामिनी कह कर भी बुलाते है।
मैं — अच्छा जी, अब आपको मीनाक्षी बोलू या कामिनी ।
वो — जो आपका दिल करे बुला सकते हो। आज की रात आपकी मर्ज़ी चलेगी।
मैं इतना तो पक्का समझ गया था वो चुदवाने की खातिर इतने पापड़ बेल रही है।
परन्तू मैं अपनी तरफ से पहल नही करना चाहता था। वो बार बार ग्रीन सिग्नल के तौर पे बात करते करते आँख मारना, होंठो पे जीभ फेरना, अपनी चूत को खुजलाना आदि कामुक इशारे कर रही थी।
आग के पास घी कब तक ठोस रहता। सो एक तो ठण्ड, ऊपर से कई दिनों तक बीवी से दूर रहना पड़ा। जिसकी वजह से कई दिनों से सोये अरमानो को उसकी अदाओं ने रोम रोम में काम जग दिया। मन में सोचने लगा, सच में ही इसके पति ने इसका कामनी नाम बड़ा सोच समझ कर रखा होगा। मेरा आधे घण्टे में ये हाल है। उसका तो इस से भी बुरा हाल होता होगा।
जब रोज़ाना इसकी कातिलाना अदाओ के तीर उसके दिल पे लगते होंगे। मैने उसके नज़दीक् होकर उसको बाँहो की ग्रिफत में ले लिये। उसने जरा सा भी विरोध नही किया। जिससे साफ साबित होता था के वो भी कब से ऐसा ही चाहती थी। मैंने उसका चेहरा पकड़कर उसके नरम होंठो में अपने गर्म होंठ रख दिए। उसने आँखे बन्द करके खुद को मुझे समरपित्त कर दिया।
उसने मेरे गले में अपनी बाँहो का हार डाला और मेरी छाती से अपने नरम नरम मुम्मे रगड़ने लगी। मैंने उसका इशारा समझ गया और उसको गोद में उठाकर उसके बैडरूम में ले गया। वहां लिजाकर उसको बेड पे लिटा दिया। फेर उसके ऊपर लेटकर उसके माथे, होंठ, गाल, ठोड़ी, गर्दन आदि पे चुम्बनो की बोछार करदी। उसके मुंह से आह्ह्ह्ह…अाह्ह्ह्ह् की कामुक सिसकिया निकल रही थी।
लेकिन मुझे उसे चूमने में दिक्कत हो रही थी। इस लिये मैंने उसे कपड़े उतरने को कहा। इसने शरमाते शर्माते अपना लम्बा नाईट सूट उतार दिया। अब वो एकदम नंगी हो चुकी थी मैंने उसे बड़ी गौर से देखा। उसे बदन का रोम रोम खड़ा हो चूका था। सेक्स की भूख में वो इतना पागल हो चुकी थी के उसका शरीर गर्म भट्ठी की तरह धहक रहा था। उसकी आँखे काम उतेज़ना से भर गयी थी और ज़ुबान भी लड़खड़ाने लग गई थी।
वो — समीर जल्दी दे डाल दो न पलीज़ अब और सब्र नही हो रहा। मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ। मुझे और न तड़पाओ, मेरे सब्र की और परीक्षा न लो, एक हफ्ते से चुदी नही हूँ। जिसकी वजह से न तो अच्छी तरह से नींद आती है और न ही कही दिल लगता है।
मैं उसकी व्याकुलता को समझते हुए उसे पहले अपना लण्ड चूसने को कहा। उसने एक पल भी व्यर्थ न गंवाते हुये, उठकर मेरा इलास्टिक वाला पयज़ामा घुटनो तक निचे करके, मेरा तना हुआ 6’3″ लण्ड को मुंह में लेकर बेसब्री से चूसे जा रही थी।
मैं — जरा धीरे करलो अपना काम, हमे कोनसी जल्दी है। यह में सुबह तक हम दोनों ही तो है। आराम से करो तुम्हे भी मज़ा आएगा और मुझे भी, इतनी तेज़ी से तुम्हे भी खांसी लग जायेगी और मेरा भी काम जल्दी हो जायेगा।
वो — क्या करू समीर, सब्र ही तो नही हो रहा, चूत में आग ही इतनी लगी है के बस पूछो मत। इस से पहले भी कई बार पति कई कई दिन बाहर रहते थे। लेकिन आज जितनी तड़प कभी नही दिल में उठी।
मैं — ओह्ह.. अब समझ आया क मुझे वापिस क्यों लेकर आई।
वो — (लण्ड चूसना एक पल के छोड़कर) — हाँ सही कहा आपने, आज से पहले के 5-6 दिन तो जैसे तैसे ऊँगली, वाइब्रेटर की मदद से निकाल लिए थे। लेकिन आज सुबह से ही मोटा तगड़ा लण्ड लेने की चाह हो रही थी। इस लिए पति को फोन किया के कब आओगे। उसने ये कहकर डाँट दिया के मीटिंग में बिज़ी हूँ, शाम को बात करेंगे। जिसकी वजह से मुझे गुस्सा आ गया के अब इनको कभी भी फोन नही करूगी और अपनी काम अग्नि को ठंडी करने का खुद इंतज़ाम करूंगी।
इस लिऐ आज सारा दिन बाज़ार घूमती रही। वहां मुझे कोई मेरी पसन्द का सक्ष नही मिला। फेर शाम को घर आकर बैठी ही थी के आप आ गए। जिसकी वजह से आपसे मैने बुरा बर्ताव किया। लेकिन बाद में ख्याल आया के पागल, कही यही वही तो नही है, जिसे सारा दिन बाज़ार में ढूंढती रही। फेर मैं आपके पीछे गाड़ी लेकर आ गयी और आपको लेकर अपने घर आ गयी। अब बताओ मैंने कुछ गलत किया?
मैं — नही नही मैडम, अपने कुछ गलत नही किया, आपकी कहानी सुनकर आप पे बेपनाह प्यार आ रहा है। चलो अब लेट जाओ ताजो आपकी भी कुछ सेवा कर सकु।
वो मेरा लण्ड चूसना छोड़कर बेड पे टांगे खिलकर लेट गई। मैंने अपने बचे खुचे कपड़े भी उतार दिए और उसके ऊपर जाकर लेट गया। उसने मेरे कान में कहा अब चूमना चाटना छोडो पलीज़ अब लण्ड डाल्दो।
मैंने उसकी बात मानते हुए थोड़ा पीछे हटके उसकी चुत का जायजा लिया। जो लबालब पानी छोड रही थी। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत के मुंह पे सेट करके उसकी एक टांग आपने कंधे पे रखकर हल्का सा झटका फिया। लण्ड चूत की चिकनाहट की वजह से गहरायी में फिसलता हुआ उसके गर्भाश्य से जा टकराया। जिसकी वजह से इसकी हलकी सी चीख निकल गयी और थोडा मुझे भी दर्द हुआ। मैंने कुछ पल रुककर एक बार फेर हल्का सा धक्का दिया। तो उसकी सीसीसी…आह…अहह्ह…आआह्ह की हल्की हल्की सिसकिया निकलने लगी।
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