Ek Ajnabi Hasina Se Mulakat Ho Gayi
उसकी आँखे बन्द थी और उसने अपने हाथ पीछे की और मोड़कर तकिया को जकड़ रखे थे। उसके चेहरे के हाव भाव से पता चल रहा था के उसे बहुत मज़ा आ रहा था। उसकी एक टांग उठाये रहने की वजह से मैंने थोडा थक गया। तो मैंने अपनी कमर हिलानी बन्द करदी। जिसकी वजह से उसकी बन्द आँखे खुल गयी और उसने लेटे ही मेरी तरफ देखके पूछा, क्यों जी आपने हिलना बन्द क्यों कर दिया कोई दिक्कत है क्या ?
मैंने उसे अपने थक जाने का कारण बताया तो उसने कहा,” बस इतनी सी बात एक मिनट पीछे हटो, मैं हट गया। मेरा लण्ड उसकी चूत में से निकल गया। अब वो तकिये को ठीक करके उसपे डौगी स्टाइल में हो गई। मुझे उसकी बात पे हंसी भी आई के औरते अपने मज़े के लिए कुछ भी कर सकती है। अब मैं अपने घुटनो को मोड़कर उसकी गांड के पीछे खड़ा हो गया और उसे अपनी गांड थोड़ी ऊँची उठाने को कहा। वो आज्ञाकारी बच्चे की तरह मेरा हर हुकम माने जा रही थी।
मैंने एक बार फेर अपना तना हुआ लण्ड उसकी टाँगो के पीछे से उसकी चूत पे डाला तो उसकी तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गयी हो। उसने पीछे की और मुंह करके मुझे कहा आप ऐसे ही खड़े रहो अब मैं हिलती हूँ और अगले ही पल वो डॉगी स्टाइल में अपनी गांड हिला हिलाकर चुदने लगी। पहले धीरे धीरे और बाद में उसकी स्पीड तेज़ हो गयी और करीब 10 मिनट बाद एक लम्बी आह्ह्ह्ह लेकर झड़ गयी और कुछ पल के लिए तकिये पे ही लेट गयी।
उसका काम तो हो गया ता लेकिन मेरा अभी होना बाकी था। कुछ पल आराम करने के बाद उसने मुझे कहा अब आप नीचे आ जाओ मैं ऊपर आती हूँ। अगले ही पल मैं बैड पे पीठ के बल लेट गया और वो मेरे लण्ड को हाथ में लेकर हिलाने लगी और चूसने लगी। थोड़ी देर तक ऐसे ही करने के बाद वो मेरे ऊपर आकर लण्ड को अपनी चूत पे सेट करके धीरे धीरे निचे की और वजन देने लगी ताजो मेरे फूले हुए लण्ड का सुपाड़ा उसकी गीली चूत में आसानी से जा सके।
थोड़ी जद्दो जेहद के बाद लण्ड उसकी चूत में घुस गया और वो मेरे उपर लेटी ही उठक बैठक करने लगी। वो कभी झुक कर अपने मम्मे मेरे मुंह में देती तो कभी मेरे होंठो को चूमने लगती। जब मुझे लगा के मेरा काम भी होने वाला है तो मैंने भी उसकी कमर को हाथो में लेकर नीचे से अपनी कमर हिलाकर उसकी चूत में लण्ड अंदर बाहर करने लगा और अगले 5 मिन्ट तक मैं भी एक लम्बी आःह्ह्हह लकेर उसकी चूत में पिचकरियां छोडता ही झड़ गया।।
वो मेरे ऊपर मैं उसके निचे, सर्दी की रात होने की वजह से भी पसीने से भीगे लेटे हुए थे के इतने में उसके पति का फोन आ गया । उसने मेरी छाती पे बैठे ही बैड के दराज से फोन उठाया और हलो कहा,
उसका पति — इतनी देर से फोन कर रहा हूँ उठाया क्यों नही ?
वो — वो मैं काम कर रही थी सो ध्यान नही आया।
उसका पति रुमांटिक होकर बात करने लगा। इधर मीनाक्षी ने ये कहकर फोन काट दिया के बारिश की वजह से आवाज़ साफ नही आ रही।
फोन काटने के बाद वो हंस पड़ी और बोली आज इसे सबक सिखाया मैंने, सुबह बड़ा डाँट रहा था, अब प्यार से बोला तो मैंने बात नही की ।
फोन रखने के बाद वो बोली,” चलो समीर बहुत रात हो गयी है, अब इकठे साथ में नहाकर सोते है।
मैंने कहा,” इतनी सर्दी में नहाना न बाबा न, अब नहाकर मरना है क्या, सर्दी तो शाम वाली अब तक शरीर से नही निकली।
वो — अरे ! डरते क्यों हो गर्म पानी है गीज़र वाला।
मैं उसके साथ बाथरूम चला गया और उसने गीज़र चालू कर दिया। करीब 5-7 मिनट में पानी हमारे नहाने लायक हो गया और हम दोनों शावर के निचे खड़े होकर एक दसरे को मल मल कर नहलाने लगे। उसने बैठकर मेरे लण्ड पर साबुन लगाया। जिस से उसके हाथ का स्पर्श पाकर एक बार फेर से खड़ा हो गया। उसने मेरी तरफ देखा और मुस्करकर कहा,” अब इसका कया करू ?
मैं — (हँसते हुए) — मुझे क्या पता तुमने जगाया ह तुम ही सुलाओ !
वो मेरे इशारे को समझ गयी और मुंह में लेकर चूसने लगी। ऊपर से गर्म पानी और निचे से उसकी गर्म सांसे सर्दी में गर्माहट का एहसास दिला रहे थे। जब लण्ड पूरा तन गया तो खुद ही घोड़ी वाली पोज़िशन में आ गयी।
मैंने तना हुआ लण्ड फेर उसकी चूत में डाल दिया और अपनी कमर हिलानी चालू कर दिया। वो आँखे बन्द किये इस चुदाई का मज़े लेने लगी। करीब 10 मिनट के बाद हम दोनों इकठे रस्खलित हुए। बाद में हम नहा कर इकठे ही सो गए। सुबह उसने करीब 7 बजे मुझे उठाकर चाय पिलाई और मैंने उसे वही दबोच लिया।
वो — थोड़ा सब्र करलो जी, खाना खाकर फेर मौज़ मस्ती करेंगे। उस वकत उसे मैंने लिप किस करके छोड़ दिया। इतने में मेंरे घर से फोन आ गया के कब तक आओगे। मैंने उनकी दीवार घड़ी की तरफ देखा तो सुबह के सवा 7 बज रहे थे। मैंने उन्हें 12 बज़े तक आ जाने का कहके फोन काट दिया।
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