Chudai Ki Baat, Bhuli Na Wo Raat – Part 2

findfuckforget 2016-06-28 Comments

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मेरी चुदाई की मिन्नतें सुन कर उसे बड़ा मजा आ रहा था. मेरे हाथ और मेरी आँखे बंधी होने के कारण मैं तो अपनी चूत की प्यास अपनी ऊँगली से भी नहीं बुझा सकती थी. तभी शायद उसको मुझ पर तरस आ गया और उसने मेरी चूत से निकाला हुआ वाइब्रेटर मेरी गांड में धकेल दिया और फुल स्पीड पर छोड़ दिया. मैं फिर से जन्नत की सैर पर निकल पड़ी.

मैं तो इस बात से हैरान थी की उसका कितना कंट्रोल था खुदपर. अगर वह चाहता तो मुझे पांच बार झड़ सकता था और खुद भी झर सकता था. पर उसे तो खेल खेलना था मुझे रंडी होने का एहसास करवाना था. मुझे उस दिन पता चला की चुदाई की चीटियां जब काटती है तो कोई भी औरत रंडी बनने को भी तैयार हो सकती है.

मैं सोच में थी तभी उसने मुझे मेरी जांघों से उठा लिया. वाइब्रेटर अभी भी मेरी गांड मैं फुल स्पीड पर चल रहा था. इसने मेरी दोनों जांघों को अपनी कमर के इर्द गिर्द लपेट लिया और मेरी गांड को पकड़ कर मुझे उप्पर को उठाया. उसके जबरदस्त लण्ड का गरम अंगारे जैसा सुपाड़ा मेरी गुलाबी प्यासी चूत के मुंह से टकराने लगा.
उसके सुपाड़े ही गर्मी से मेरी चूत ने अपना मुँह खोल दिया. उसने कुछ देर मेरी चूत के दाने को रगड़ा और फिर मेरी चूत की पत्तियों को फैलाकर मुझे अपने लोहे जैसे लण्ड पर दबा दिया. उसके लण्ड मेरी गुलाबो जैसी कोमल चूत को चीरता हुआ आधा धस गया.

जैसे ही मेरी चूत मैं लण्ड घुसा मेरी नस नस मैं बिजलियाँ कौंध गई. दर्द को सहते हुए मैं चिल्लाई. हाँ मैं तेरी रंडी हूँ.. हरामज़ादे.. मैं छिनाल भी हूँ और.. मैं तेरे लण्ड की भूखी भी हूँ.. चोद साले चोद मुझे. फाड़ डाल मेरी चूत को जैसे तूने मेरी गांड को चोदा है वैसे ही मेरी गुलाबी चूत की भी धज्जियाँ उड़ादे.

इतना सुनते ही वह भी जोश मैं आ गया और झटके से आठ इंच का मूसल जैसा लण्ड मेरी चूत मैं उतार दिया और मुझे दिन मैं ही तारे नजर आ गये दर्द के मारे मैं हाथ पैर मारने लगी. और हाय हाय करने लगी पर वह कहाँ सुनने वाला था उसने दना दन मुझे चोदना शुरू किया.

उसकी ताकत देखके मैं हैरान थी वह खड़ा खड़ा मुझे गोदी में पकड़ कर ऐसे चुदाई कर रहा था जैसे मैं कोई गुड़िया हूँ. वह सुपाड़े तक लण्ड निकालता और घप से लण्ड जड़ तक पेल देता और उसके लण्ड की ठोकर से मेरी बच्चेदानी हिल जाती.

लगभग पांच मिनट के बाद उसने मेरी हाथ जो की ऊपर बंधे हुए थे खोल दिए. और मुझे गोदी में ही चोदते हुए बेड पर ले गया. मैंने आँखों की पट्टी उतारनी चाही पर उसने उतरने नहीं दी. तभी उसने मुझे बेड पर चित्त लेता दिया और मेरी दोनों टांगो को अपने कंधे पर रख लिया.

फिर वह मेरे ऊपर झुक गया मेरी टाँगे मेरी चूचियों से लगने लगी. फिर उसने ताबड़ तोड़ चुदाई शुरू की. सारे कमरे में ठप ठप की आवाजे गूंजने लगी. उसका लण्ड इस तरह चोद रहा था की जैसे कोई मशीन मुझे चोद रही हो मेरा अंग अंग टूट चूका था पर में फिर भी झरना छह रही थी.

मेरी चूत का छेद एक दम चौड़ा हो गया था जब वह लण्ड को सुपाड़े तक खींचता तो ऐसा लगता की मेरी बच्चेदानी बहार आ जाएगी. और जब वह लण्ड को जड़ तक पेलता तो ऐसा लगता वह मेरी रस भरी चूत को बीच में से चीर देगा. उसने आधा घंटा मुझे उसी तरह चोदा.

मैं अब झरने वाली थी तभी वह बोला की इस बार मैं रुकूंगा नहीं तैयार हो जायो मेरे लण्ड का अमृत अपनी चूत को पिलाने को मैं भी सम्भल गयी तभी उसने इतनी जोर से चुदाई शुरू कि के सारा बेड हिलने लगा जैसे भूचाल आता है उसके लण्ड कि चोट से मेरा सारा बदन हिलने लगा.

मैं भी चिल्लाने लगी चोद मेरे गांडू चोद दे. बर्बाद कर दे मेरी चूत को भरदे अपने मूसल जैसे लण्ड के पानी से इसे, मैं तेरे लण्ड कि दासी बन के रहूंगी चोद डाल चोद डाल. और यह कहते कहते मैं झर गयी. मेरी चूत से मेरे रस कि नदियां बह गयी इतना पानी तो मेरी गुलाबो ने कभी नहीं छोडा था. मेरा सारा शरीर कांप रहा था. मेरी चूत रुक रुक के पानी छोड रही थी.

तभी वह बोला ले मेरी रंडी पी ले मेरे लण्ड के पानी को जी भर के पी और वह भी झर गया. उसके लण्ड ने भी ऐसा गरम फवारा छोडा कि मेरी चूत को पूरा भर दिया. वह धीरे धीरे झटके मारता रहा जब तक की उसके लण्ड के मस्त पानी की एक एक बूँद न टपक गयी.

वह मेरे ऊपर ही निढाल हो कर पड़ा रहा. मैंने अपनी आँखों कि पट्टी हटानी चाही पर उसने ऐसा न करने दिया. मैंने भी ज़ोर नहीं डाला किउं कि मुझमें इतनी हिम्मत ही नहीं थी कि मैं उससे कोई बहस करती.

मेरी चूत अब भी झटके मर रही थी वह थोड़ा सा हिला और उसने अपना लण्ड मेरी सूज चुकी चूत से बाहर निकाला जैसे ही लण्ड बाहर निकला एक चीस सी उठी मेरी चूत में. मेरी चूत से उसके माल और मेरी रस कि नदी सी बहती हुई मेरी गांड के छेद को भिगोने लगी. वह मेरे ऊपर से उठ चूका था.

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