Mere Dost Ki Maa Meena – Part 1

Dilwala Rahul 2016-05-20 Comments

Hindi Sex Stories

देसी कहानी पढ़ने वाले सभी लौड़ेधारियों और चूत की मल्लिकाओं को राहुल का एक बार फिर से खड़े लण्ड का प्रणाम। आज जो कहानी आप पढ़ने जा रहे हैं वो मेरे पक्के दोस्त मयूर खन्ना की मम्मी के बारे में है। आपसे गुज़ारिश है कहानी पूरी पढ़ने के बाद ही सभी मयूर की मॉम के नाम का अपना अपना पानी निकाले।

मेरा दोस्त मयूर और मैं कॉलेज में साथ में पढ़ते हैं। मैं कभी कभी उसके साथ उसके घर में आता जाता रहता हूँ। मयूर के घर में उसकी 55 साल की माँ मीना, 26 साल की उसकी बहन स्वाति रहती है, उसके पिताजी प्रभाकर किसी बड़ी कम्पनी में विदेश(अमेरिका) में कार्यरत हैं।

मयूर काफी अमीर परिवार से ताल्लुक रखता है। उसका घर भी काफी बड़ा है। मैं उसके घर पहली बार उसी के साथ गया तो हमारा स्वागत एक बूढ़ी औरत ने किया जो मयूर की माँ मीना है। आंटी है तो बूढी लेकिन आंटी का सुडौल बदन देखकर आज भी कई लोग मुट्ठ मारते हैं।

आंटी ने गुलाबी रंग की चिपली फिसलनदार नाईटी पहन रखी है, आंटी का बदन मोटा है और बूब्स सुडौल है, बूब्स का आकर नाईटी में स्पष्ट पता चल रहा है, आंटी दिखने में दूध की तरह गोरी-चिट्टी लगभग 53 से 55 साल के मध्य की सुन्दर मोटी औरत है जिसने मांग में सुर्ख लाल रंग का सिंदूर भरा हुआ है।

हाथों में लाल रंग की चूड़ियाँ पहनी हुयी है, हाथों और पैरों के नाखूनों में गुलाबी रंग की नेल पोलिश आंटी के सेक्सिपन में 4 चाँद लगा रही है, आंटी के गले में एक सोने की चेन और मंगलसूत्र है, मतलब पूरी तरह से एक परफेक्ट सुशील, शादीशुुदा, संस्कारी भारतीय नारी के लक्षण आंटी में विद्यमान हैं।

पहली बार आंटी को देखने में ही वो मेरी नज़रो में चढ़ गयी, उसकी ख़ूबसूरती से मेरी आँखें चकाचौंध हो गयी और मेरे मन में अपने दोस्त की माँ के बारे में गंदे, हवसपूर्ण विचार पनपने लगे, आंटी ने दरवाजा खोलकर मयूर और मेरा वेलकम किया।

मीना(मुझे पूछते हुए)- वेलकम बेटा, कैसे हो, नाम क्या है आपका ?

मैं- नमस्ते आंटी, मेरा नाम राहुल है।

मयूर(मुझे बताते हुए)- ये मेरी मॉम है राहुल भाई।

मैं- हाँ भाई पता है तेरी मॉम है, और कौन होगी वरना।

मीना- मयूर बेटा कभी मिलवाया नहीं तुमने मुझे राहुल से।

मयूर- तो आज मिल लो मॉम।

आंटी- अरे बच्चों बाहर ही खड़े खड़े सब बाते करोगे या अंदर भी आओगे, चलो अंदर आओ जल्दी से, अंदाजा लगाओ मेने तुम्हारे लिए क्या बनाया है ? राहुल पहले तुम बताओ बेटा।

मैं- पता नहीं आंटी जी, आप ही बता दो।

आंटी- अरे ऐसे थोड़े ही होता है, जरा सोचो तो सही, तुम बताओ मयूर बेटा।

मयूर- मॉम आई थिंक आपने इडली बनायीं है।

आंटी- वाव।।। सो इंटेलीजेंट मयूर, अच्छा ह्यूमर है तुम्हारा।

मयूर(इतराते हुए)- वो तो बचपन से ही है, लेकिन कभी घमंड नहीं किया।

(हम सब हंसने लगते है और इसके बाद आंटी हमारे लिए इडली लाती है और हम बड़े चाव से इडली खाते हैं। बहुत ही लाजवाब इडली बनायीं थी आंटी जी ने। मेरे जाने का समय हो गया था, लेकिन आंटी ने मुझे वहीँ रुकने को कहा)

मैं- ओके आंटी मैं चलता हूँ।

आंटी- अरे बेटा इतनी जल्दी, आज यही रुक जाओ, आराम करो, कल चले जाना।

मयूर- हाँ राहुल भाई आज यहीं रुक जा, कल चला जइयो।

मैं- आप लोग इतनी जबरदस्ती कर रहे हो तो ठीक है। रुक जाता हूँ।

(आंटी खुश हो जाती है और मुझे अपने गले लगा लेती है जिससे कि आंटी के बूब्स मेरी छाती से दब जाते हैं और मेरा बदन सिहर उठता है और लण्ड खड़ा हो जाता है, ऐसी अनुभूति मुझे शायद ही पहले कभी हुयी हो, जब आंटी मुझ से गले लगी तो उनसे भीनी भीनी इत्र की खुशबु आ रही थी जैसे अमीर लोगों से आती है और आंटी इस बुढ़ापे की उम्र में भी गजब लग रही है, एकदम साफ़ चेहरा, साफ़ नाखून, गोरा बदन, गोरे हाथ पैर, अप्सरा जैसे लग रही है, अगर आप देखना चाहते हैं आंटी कैसी लगती है तो गूगल में “पून्नम्मा बाबू” मलयालम अभिनेत्री सर्च करना, मयूर की मॉम मीना आंटी बिलकुल वैसे ही लगती है)

आंटी- ये.. आज राहुल यही रुकेगा.. क्या खायेगा राहुल डिनर में बताओ ?

मैं- कुछ भी बना देना आंटी, मैं सब कुछ खा लेता हूँ।

आंटी- आज तो स्पेशल बनेगा कुछ राहुल के लिए, मयूर बेटा जा तू मार्केट से चिकन ले आ।

मयूर- ठीक है मॉम। चल राहुल तू भी चल मेरे साथ।

आंटी- अरे राहुल को यहीं रहने दे, मेरे साथ गप्पे शप्पे मारेगा, पहली बार तो आया है।

मयूर- ओके मॉम, मैं आता हूँ, राहुल को बोर मत करना आप प्लीज।

आंटी- अच्छा जी, दोस्त की इतनी चिंता और राहुल ने मुझे बोर कर दिया तो, मेरी चिंता नहीं है तुझे।

मयूर(मेरी तरफ देखते हुए)- राहुल मेरी मॉम को भी बोर मत करना, मैं यूँ गया और यूँ आया।

मैं- तू फिक्र मत कर मयूर भाई तेरी माँ मेरी माँ है मैं बोर नहीं होने दूंगा मॉम को।

आंटी- ओह कितने स्वीट हो तुम दोनों, आज से मेरे दो बेटे हैं, राहुल आज से मुझे माँ कहकर बुलाना ओके ?

मैं- ओके आंटी, ओह सॉरी मेरा मतलब ओके माँ।

(और हम सब हंसने लगते हैं और मयूर बाजार चला जाता है, अब घर में सिर्फ मैं और आंटी अकेले थे, गप्पे मार रहे थे)

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