Do Bund Zindagi Ki
Sex Stories In Hindi
हैल्लो मित्रो, कैसे हो आप सब? उमीद है ठीक ही होंगे। आपका दीप पंजाबी एक बार फेर एक नई कहानी लेकर हाज़िर है।
ये बात तब की है, जब मैं घर से बाहर दूसरे शहर में पढ़ाई के लिए गया हुआ था। जिस घर में मुझे रहने के लिए एक कमरा मिला था। उनका एक 4 साल का एक बच्चा रोहित था। जो अक्सर मेरे साथ खेलने मेरे कमरे में आ जाता था।
एक बार रविवार के दिन जब मैं बाजार से कुछ जरूरी सामान लेकर लौटा ही था तो हमारे एरिया में प्लस पोलियो बूथ वाली मैडम बच्चों को पोलियो की बूंदे पिलाने आई हुई थी। गर्मी का दिन था और पूरा परिवार पड़ोस की लड़की की शादी जो के पैलेस में हो रही थी, वहाँ गया हुआ था।
बुलाया तो मुझे भी गया था पर एग्जाम की तैयारी की वजह से मैंने घर पे रहकर पढना उचित समझा। मैं दरवाजा बन्द करके पढ़ाई कर रहा था। तो दरवाजे की घंटी ने मेरा ध्यान किताब से तोडा। मैंने उठकर दरवाजा खोला तो देखा एक 30 साल के करीब उम्र की औरत जिसके कन्धे पे एक बक्सा टांगा हुआ था।
वो – नमस्ते जी !!
मैं – नमस्ते!! हांजी, कहिये कैसे आना हुआ?
वो – जी, हम सरकारी अस्पताल से 5 साल से कम उमर के बच्चों को पोलियो की बूंदे पिलाने आये है। क्या आपके घर में कोई छोटा बच्चा है?
मैं – हांजी बच्चा तो है, पर अभी घर पे नही है।
वो – क्यों किधर गया है, घर पे नही है तो?
मैं – वो दरअसल पड़ोस में शादी हो रही है, उसमे उसके माँ बाप भी शामिल हुए है। तो वो भी उनके साथ ही है। वो तो शाम तक वापिस आयेंगे।
वो – ह्म्म्म… अच्छा। क्या एक पानी का गिलास मिलेगा।
मैं – हांजी क्यों नही, आइये अंदर आइये।
वो – थैंक्स।
अंदर आकर वो मेरे सिंगल बैड पे ही बैठ गयी। मैंने उसे घड़े से ठंडा पानी निकाल कर गिलास भरके दिया। वो शायद बहुत प्यासी थी। उसने जल्दी जल्दी गिलास खाली कर दिया। मेने और पानी उसके गिलास में डाला, वो भी पी गयी। पानी पीकर गिलास वापिस करती हुई बोली,” बहुत बहुत धन्यवाद आपका, मेरा प्यास से गला सूख रहा था।
मैं गिलास धोकर वापिस रख कर उसके पास आकर बैठ गया। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।
वो – बात दरअसल यह है, मेरी ड्यूटी आपके एरिये में लगी है। मतलब आपके इलाके में मेरा आज पहला दिन है। मैं ज्यादा वाकिफ नही हूँ इस एरिया की, कृप्या आप मुझे बताएंगे किन किन घरो में छोटे बच्चे है?
मैं – मैडम, मैं भी यहाँ का मालिक नही हूँ, मैं भी यहाँ अजनबी हूँ, मेरा अपना शहर कोई और है। मैं यहां किराये पे रहता हूँ। सो माफ़ करना आपकी इस मामले में कोई खास मदद नही कर पाउगा।
वो (थोड़ा उदास सी होकर) – चलो कोई बात नही जी, कोई और घर देखती हूँ। आप तो खुद मेरे जैसे हो।
मैं – मैडम उदास मत होइए, बैठो चाय पानी पीकर जाइये, वैसे भी बाहर धूप बहुत है। थोडा टाइम आराम कर लीजिये। बाद में चले जाना। यहाँ कोनसा किसी को जानती हो, जो उसके पास बैठ जाओगे। सभी लोग घरो को अंदर से लॉक लगाकर सोये होंगे। शाम होनें दो थोड़ा फेर लोग दरवाजे खोलेंगे।
वो – बात तो आपकी ठीक है!!
उसने अपना दवाई वाला बक्सा पास पड़े टेबल पर दुबारा रख दिया और बैठकर बाते करने लगी। मेने रूम में रखे हीटर पे दो कप चाय चढ़ा दी और बाते करने लगा। करीब 5 मिनट बाद चाय बन गयी और दो कपो में डाल ली, एक कप मैडम को पकड़ाया और एक खुद ले लिया।
वो – इसकी क्या ज़रूरत थी? ऐसे ही परेशानी उठाई आपने!!
मैं – इसमें परेशानी वाली कोनसी बात है। आप इस वकत एक मेहमान हो और मेहमान को चाय पिलाना हमारा फ़र्ज़ है। वैसे भी मुझे पढ़ाई के वक़्त नींद न आये इस लिए चाय बनाई है। वैसे आप कहाँ की हो मैडम और आपका नाम क्या है?
वो – मेरा नाम अनीता शर्मा है और मैं हरियाणा से हूँ। मेरी ड्यूटी आपके शहर के 5 साल से कम उमर के तमाम बच्चों को पोलियो की बूंदे पिलाने की लगी है। कोई भी बच्चा इन बूंदो सर वंचित नही रहना चाहिए। एक बच्चा भी रह गया तो पोलियो का शिकार हो जायेगा। इसलिए आपसे मदद मांगी थी।
मैं – मैडम है आप हरयाणा की और नौकरी पंजाब में यह बात कुछ समझ से बाहर है।
वो – दरअसल बात यह है के हरियाणा के अस्पताल में नौकरी करती हूँ। वहां से मेरी बदली यहां की कर दी गयी है। मुझे घर से आये हुए एक हफ्ते का समय ही हुआ है। मेरा सुसराल उधर ही है।
मैं – क्या बोला आपने सुसराल? लगती तो है नी आप के शादीशुदा हों।
वो – शादी को दो साल हो गए है मेरी, मेरा पति बिजली विभाग हरियाणा में कर्मचारी है।
मैं – फेर तो मैडम आपका बेबी भी होगा कोई?
वो (मेरी बात सुनकर थोड़ी उदास सी हो गयी) – नही बेबी एक भी नही है।
और फक फक करके रोने लगी।
मैं – मैडम क्या हुआ, मैंने कुछ गलत पूछ लिया क्या? ऍम सॉरी प्लीज़ !!!
वो – नही नही आपने कुछ गलत नही पूछा!
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