Bhatija Bna Pati – Part 2

Deep punjabi 2016-08-13 Comments

अब आगे की Sex Story – अब मैं कब तक सब्र करता। आग से पास आकर घी पिघल ही जाता है। सो उसके चुम्बन ने मेरे शरीर में कामवासना जगा दी और मैं भी उसे चूमने लगा। उसके मम्मे दबाने लगा। हम दोनों बेशर्म होकर एक दूसरे के कपड़े निकालने लगे और जब हम बिलकुल नंगे हो गए तो उसको बैड पे लिटाकर उसके मम्मे चूसने लगा। वो बहुत गर्म हो चुकी थी और मौन कर रही थी।

बुआ — बंटी अब डाल भी दो प्लीज़, नही रहा जा रहा अब मैंने भी उसकी बेकरारी को समझते हुए उसकी गीली चूत में अपना 5 इंची लन्ड पेल दिया। जो के पहले झटके में थोड़ा सा घुसा और बुआ की तो जैसे जान निकल गयी।उसके चेहरे से उसके दर्द का अंदाज़ा लगाया जा सकता था।

वो बोली,” बंटी आप रुको मत मेरे दर्द की परवाह न करो। आप अपना काम जारी रखो। इधर मेने भी पोज़िशन सेट करके बुआ को अगला झटका दिया पूरा जड़ तक लण्ड बुआ की चूत में घुस गया और मैं कुछ पल ऐसे ही उसपे लेटा रहा।

जब बुआ का दर्द कम हुआ तो वो भी निचे से गांड उठा उठा के मेरे हर वार का जवाब दे रही थी। थोड़ी देर बाद बुआ एक लम्बी आह्ह्ह्ह्ह् लेकर झड़ गयी। अब मेरी झड़ने की बारी थी। तो मेने पूछा बुआ कहाँ निकालू ?

वो बोली,”अंदर ही निकाल दो तुम्हारा वीर्य अपने अंदर महसूस करना चाहती हूँ। मेने भी बुआ की बात मानते हुए गर्म गर्म लावा बुआ की चूत में भर दिया। कमरे में पंखा चलने के बावजूद भी हम पसीने से नहा गए। अब बुआ के चेहरे पे संतुष्टि के भाव साफ दिखाई दे रहे थे।

फेर मैं और बुआ साथ में नहाये और खाना खाया बाद में मैं अपने घर चला आया। जब भी उसका दिल चुदवाने को करता मेरे घर या अपने घर बुलवा लेती। एक बार करवाचौथ का व्रत था। बुआ सुबह से ही सज धज कर व्रत की तैयारी कर रही थी।

मेने पूछा बुआ फूफा तो पास नही है व्रत कौन खोलेगा आपका ?

वो शरारती अंदाज़ में बोली,” व्ही जिसने उस दिन मेरे कपड़े खोले थे और उसका इशारा समझकर मैं भी हंस पड़ा। शाम को बुआ का फोन आया के मेरे घर आ जाओ आज माँ बापू घर पे नही है, वो किसी तीर्थ स्थान पे एक हफ्ते के लिए गए हैं। मैं थोड़ी देर बाद उनके घर चला गया। अंदर जाते ही देखा बुआ ने दुल्हन के लिबास में पूरे गहने, होंठो पे लिपस्टिक, पूरा मेकअप किया हुआ था के मानो आज ही शादी हुई हो ।

मुझे आया देख कर कहा,”आ गए जी आप, आपको जरा सी भी फ़िक्र नही ऐ आपकी दुल्हन सुबह से भूखी प्यासी आपकी राह देख रही है। वो देखो चाँद भी निकल आया है अब मेरा व्रत खुलवाओ, बहूत प्यास लगी है पानी पीने का दिल कर रहा है।

बुआ और मैं छत पे व्रत वाला सारा समान लेकर चले गए और बुआ ने मुझे पति मानते हुए मेरे पैरों को छूआ और मेरी आरती उतारी। उसने छननी में मेरा चेहरा देखकर अपना व्रत खोला, मेने उसे पानी की घुट पिलाई और हम छत से नीचे आ गए।

नीचे आकर हमने साथ में खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे। बुआ ने अपने बैडरूम को सुहागसेज़ की तरह फूलो से सजाया हुआ था।

बुआ बोली,” देखो पतिदेव आज हमारी सुहागरात है। जल्दी न सो जाना।

मैंने पूछा,” तो उस दिन क्या था।

वो बोली,”उस दिन सिर्फ रिश्ता तय हुआ था और उसकी शुरआत थी। मैं चुप हो गया।

करीब 5 मिनट बाद फेर बोली,”अब दुल्हन की मदद तो करो आप गहने उतरने में !

मैं उसके पास होकर उसके गहने जैसे टीका,कान की बालिया, मंगलसुत्र वगैरा उतारने लगा। उसके बाद उसने ने मुझे दूध का गिलास दिया जो हमने आधा आधा पिया। अब हम दोनों एक दूसरे को बाँहो में लेकर लेट गए और एक दूजे के होंठ चूमने लगे।

अब हमारे कपड़े हमारे रोमांस में बाधा डाल रहे थे तो उठकर हमने वो बाधा दूर की, जब दोनों बिलकुल नंगे हो गए तो 69 की पोज़िशन में आकर श्वेता मेरा लण्ड चूसने लगी और मैं उसकी चूत चाटने लगा।

करीब 10 मिनट माध हम दोनों एक दूसरे से मुह में झड़ गए। बाद में मैं निचे लेट गया और शवेता मेरे ऊपर आकर लण्ड सेट करके उसपे बैठ गयी और अपनी कमर हिलाने लगी।

उसके के झूलते मम्में मुझे चूसने के लिए उकसा रहे थे। मैं कभी उसके मम्मे मुंह में लेके चूसने लगता तो कभी उसके होंठो को चूसता। करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद हम एक साथ झड़ गए। उस रात हमने 3 बार चुदाई की हर बार वीर्य श्वेता के गर्भ में ही गिराया।

फेर एक दिन उसकी एक खास सहेली की शादी थी। जो के हिमाचल प्रदेश के ऊना शहर से थी। उसने श्वेता को खासतौर पे न्योता दिया। उसे सिर्फ श्वेता की शादी का ही पता था, उसके तलाक़ का पता नही था। इधर श्वेता के घर वाले अकेली होने की वजह से जाने से मना करने लगे।

श्वेता ने बोला आप चिंता न करो मेरे साथ बंटी जा रहा है, मैं कोनसा अकेला जा रही हूँ। इसपे उसके घर वाले मान गए और हम दोनों को जाने की इज़ाज़त मिल गयी। वहां जाकर श्वेता ने मुझे अपने पति के रूप में सबसे मिलवाया और हमे रहने के लिए एक स्पेशल कमरा भी दिया गया।

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