Uncle Foj Me, Aunty Moj Me
मैं(मुठ कमला के ऊपर डालते हुए)- अह्ह्ह्ह्हह्ह्ह… ओये होये ह्ह्ह्ह्ह…
कमला- राहुल ये क्या कर रहे हो, तुम्हे तमीज भी है कुछ, बेशर्म कहीं का, कोई ऐसे करता है भला, हरामी, जाहिल.
मैं- सॉरी आंटी, मुझे माफ कर दो, गलती से हो गया, मुझे पता नही क्या हो गया था, अब नही होगी ऐसी गलती.
कमला- इतना बड़ा हो गया, गर्ल फ्रेंड नही बनायीं क्या अभी तक ?
मैं- नहीं आंटी कोई नहीं बनायीं, मैं ऐसे ही हाथ से काम चलाता हूँ.
(आंटी मेरे पास आती है और मेरे होंठ पर अपने होंठ रख देती है, मैं आश्चर्यचकित हो जाता हूँ, लेकिन फिर अचानक आंटी अलग हो जाती है)
मैं- क्या हुआ आंटी ?
कमला- अह्ह्ह्ह्ह… ये गलत है राहुल, जो भी हम कर रहे हैं, ये सब गलत है.
मैं- नहीं आंटी, कुछ गलत नहीं है, आपको भी ये सब करने का मन है, आपको भी आजादी है.
कमला- नहीं राहुल, तुम मेरे बेटे के दोस्त हो, मेरे बेटे जैसे, हम ये सब कैसे कर सकते हैं, ये पॉसिबल नहीं है बेटा, तुम चले जाओ अपने घर, पंखा ठीक करने के लिए थैंक्स.
(मैं ऐसे कुछ किये बिना नहीं जा सकता था, मेने पतली दुबली आंटी को अपनी ओर जोर से खींचा और वो हवा की तरह मेरे सीने से लग गयी, मैंने अपने होंठ उनके होंठ पर रख दिए और चूसने लगा, अब वो भी मेरा साथ देने लग गयी..
मेने आंटी की कमर कसके अपने दोनों हाथों से पकड़ ली और आंटी की कमर इतनी पतली थी कि मेरे दोनों हाथों में फिट आ गयी, और मेने आंटी को ऊपर उठा लिया, आंटी आसानी से लिफ्ट हो गयी क्यों आंटी का वजन लगभग 40 किलो था, ऊपर उठा कर आंटी ने अपने दोनों पैर मेरी कमर में बांध दिए, और अपनी चूत को मेरे पेट से रगड़ने लगी, हम दोनों अभी खड़े ही है और किस कर रहे हैं, जीभ से जीभ मिला रहे हैं..
इसके बाद मेने आंटी का सूट उतार दिया, और सलवार भी उतार दी, अब आंटी मेरे सामने केवल काली रंग की ब्रा और पेंटी में थी, आंटी के बूब्स बहुत छोटे थे, मेने आंटी की ब्रा भी उतार दी, आंटी के निप्पल काले रंग के नोकदार खड़े हो रखे थे, मेने निप्पल को चूसना शुरू किया और आंटी ने सिसकारियाँ भरना शुरू किया)
कमला- उफ्फ्फ… आह्ह्ह्ह… ओहोहोह्ह्ह्ह्ह… राहुल बेटा, मर गयी मैं तो, उफ्फ्फ्फ्फ… मम्मा…प्लीज जोर जोर से चूसो बेटा… अह्ह्ह्ह्ह!!!
(आंटी का जोश देखकर मुझे भी जोश आ गया और मेने दोनों निप्पल चूस चूस कर लाल कर दिए, इसके बाद मेने आंटी की पेंटी उतारी, जिसके अंदर चूत रूपी खजाना मेरे हाथ लगा, हलके हलके बाल से घिरी हुयी 46 साल की आंटी की छोटी सी चूत ऐसी लग रही थी जैसे इस रास्ते में कई साल से कोई मुसाफिर नहीं आया..
और अब पेट्रोल से भरी हुयी लंबी रेलगाड़ी इस चूत में घुसने के लिए तैयार थी, मेने आंटी को कन्धे पर इस तरह उठाया कि आंटी की चूत सीधे मेरे मुह में लग कर सट गयी, और मैं आंटी की चूत को जीभ से चाटने लगा, धीरे धीरे जीभ चूत के दाने में फेरने लगा, जीभ को चूत के अंदर बाहर करने लगा, जिससे आंटी पागल हो गयी और जोर जोर से चिल्लाने लगी और गालियां भी दे रही थी)
कमला- मेरे राजा… अह्ह्ह्हह्ह… उईईईईईई… मार डाला मेरे स्वामी… चाट और चाट, चाट चाट कर फालूदा बना दे बहिनचुत्तड़, मादरचुत्तड़, अहहह्हह्हह्हह… हाये शहह्ह्ह्ह्ह स्स्स्सस्स्स्स… जीभ फेर, पानी निकाल मेरा भोसडीके……
(फिर आंटी ने मेरे मुह में ही सारा पानी छोड़ दिया और झड़ गयी, इसके बाद मेने आंटी को बिस्तर में पटक दिया, और अपना 6 इंच का लण्ड आंटी की चूत में सेट कर दिया, और एक जोरदार धक्का लगाया, आंटी की चूत फट गयी, आंटी दर्द से रोने लगी, लेकिन मुझ पर सेक्स का भूत सवार है, चाहे आंटी की जान ही क्यों न चली जाये, मेरा माल आंटी की चूत में किसी भी हालत में गिरना चाहिए, मेने अपना लण्ड अंदर बाहर करना शुरू किया, और तेज तेज आंटी को चोदने लगा, आंटी की चूत से खून की धार बहने लगी, लेकिन मेरा रुकने का नाम नहीं है)
कमला- बेटा, अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह… रुक जा, रहम कर, भगवान के लिए रुक जा राहुल, खून आ रहा है, उफ्फ्फ्फफ… मर गईईईईईईई…
मैं- अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… रंडी, आज फाड़ दूंगा तेरी चूत को, ओहोहोहोहो…. अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह… स्स्स्सस्स्स्स… उम्मम्मम्मम्मम्म… क्या कसी हुयी चूत है मेरे दोस्त की माँ की अह्ह्हह्ह्ह्ह…
(फिर लगभग 20 मिनट चोदने के बाद मैं कमला की चूत में ही झड़ गया और उसके बदन के ऊपर निढाल हो गया, कमला को बेहोशी से चक्कर आ गए, मेने उसके मुह में थूका तो उसे होश आया, हम ऐसे ही एक दूसरे के ऊपर पड़े रहे और किस करते रहे, एक दूसरे को पति पत्नी की तरह प्यार करते रहे, चूत से खून बह रहा है, लेकिन हम एक दूसरे में इतने खोये हैं कि कुछ पता नहीं चला)
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
(कुछ टाइम बाद पता चला की कमला आंटी पेट से है, यह बात ऑफिस में पता चली तो बिल्ला शर्म से लाल हो गया, उसे पता नहीं था कि उसकी माँ के पेट में किसका पाप है, कुछ समय बाद कमला आंटी में मेरे बेटे को जन्म दिया जिसका नाम आंटी ने राहुल रखा, तब बिल्ला को शक हुआ की उसकी माँ ने उसके भाई का नाम राहुल क्यों रखा और उसकी शक्ल हूबहू मुझ से मिल रही थी).
** इस कहानी के सभी पात्र और घटनाऐं काल्पनिक है, इसका किसी भी व्यक्ति या घटना से कोई संबंध नहीं है। यदि किसी व्यक्ति या घटना से इसकी समानता होती है, तो उसे मात्र एक संयोग कहा जाएगा **
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