Bhoot To Chala Gaya – Part 5

iloveall 2017-05-07 Comments

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शुरू में तो चूहे के डर के मारे, मेरे होशो हवास उड़े हुए थे। पर जैसे मुझे जुछ समझ आने लगा तो समीर के मेरे स्तनों से खेलने और मेरे कुल्हेमें उंगली करने से मैं जैसे मंत्रमुग्ध सी हो गयी। ऐसा मैंने पहले कभी अनुभव नहीं किया था। चाहते हुए भी मैं उनका हाथ मेरी चूँचियों पर से हटाने में अपने आपको असमर्थ पा रही थी। मुझे लगा जैसे मैं एक नशे में थी। ऐसे ही दो या तीन मिनट बीत गए होंगे और मुझे पता भी न चला। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

धीरे धीरे मुझे परिस्थिति का एहसास होने लगा। मैं समझ गयी की अगर मैंने उस समय कुछ नहीं किया तो पक्का ही था की उस रात वहाँ कुछ न कुछ जरूर हो जाता। मैंने धीरेसे समीर का हाथ मेरे स्तनों पर से हटाया और अपने आपको संतुलित करने की कोशिश की।

मैं खड़ी हुई और अपने आप को सम्हाला। मुझे समझ नहीं आ रहा था की मैं चूहे निकालने के लिए समीर शुक्रिया करूँ या मेरी चूँचियों को और कूल्हों को सहलाने और दबाने के लिए उनकों डाँटू। मैं चुप रही। और क्या करती? मैं बड़ी ही उलझन में थी। इसलिए नहीं की समीर ने मेरे साथ जो किया वह ठीक नहीं था, पर इसलिए की मैं समीर की शरारत का विरोध करना तो दूर, मैं उसके कार्यकलाप से उत्तेजित हो रही थी। समीर का मेरी चूँचियों को सहलाना मुझे अच्छा लगने लगा था। समीर भी मुझे बाहों में लेकर बहुत गरम हो गए थे। उन्होंने जब मेरी दोनों टांगों को अपनी दोनों टांगों के बिच जकड़ कर पकड़ा हुआ था तब उनका लण्ड एकदम कड़ा और खड़ा हुआ था और मेरी जांघों के बिच में ठोकर मार रहा था ।

जब समीर की उत्तेजना कम हुई और उन्हें अपनी गलती समझ आयी तो वह एकदम शर्मिंदा होकर हिचकिचाते हुए माफ़ी मांगते हुए बोले, “मुझे माफ़ करदो नीना। मैं अपने होशोहवास में नहीं था। जो हुआ वह इतना अचानक हो गया। ऐसा करनेका मेरा कोई इरादा नहीं था प्लीज?

मैंने समीर की और देखा। ऐसा लग रहा था की वह वास्तव में दिल से पश्चाताप कर रहे थे। मैं समीर की और देखकर मुस्काई और मैंने कहा, “चलो भाई, ठीक है। चिंता मत करो। कभी कभी ऐसा हो जाता है। हम बहाव में बह जाते हैं।” मैं खड़ी हुई और अपने कपड़ों को ठीक करते हुए अपनेआपको सम्हालते हुए काममें लग गयी।

मेरे बॉस तो मेरी रिपोर्ट देखकर ख़ुशी से पागल से हो गए। उनको मुझसे इतनी जल्दी और इतनी बढ़िया रिपोर्ट की उम्मीद नहीं थी। रिपोर्ट को समीर ने इतने सुन्दर तरीके से बनाया था की हमारे डायरेक्टर ने मेरे बॉस को पूछा की इतनी बढ़िया रिपोर्ट किसने बनायी थी। हमारे डायरेक्टर ने दो दिन के बाद सारे स्टाफ को बुलाया और सबके सामने मेरे उस काम की भूरी भूरी प्रशंशा की और मुझे खास तोहफा दिया। पुरे कार्यक्रम के दरम्यान मैं समीर की और देखती रही। सारा काम तो समीर ने किया था। मैं समीर को आगे करना चाहती थी। मैं चाहती थी की इनाम समीर को मिले। पर समीर ने मेरी और देखकर मुझे चुप रहने का इशारा किया और कुछ भी बोलने से मना कर दिया। मुझे बहुत तालियां और मुबारक बाद मिले और मैं मन में ही मनमें दुखी होती रही की जो यश समीर को मिलना चाहिए था, वह मुझे मिल रहा था।

प्रोग्राम के बाद जब मैंने समीर से पूछा की उसने मुझे कुछ भी बोलने से रोका क्यों? तो समीर ने कहा, “अरे बुद्धू लड़की! अगर तू यह बताती की वह काम तूने नहीं किया था तो जानती है क्या होता? तुझे अभी तक काम आया नहीं इस लिए तेरी नौकरी खतरे में पड़ जाती। और अगर उन्हें यह पता लगता की वह रिपोर्ट मैंने बनायीं थी तो बॉस मुझ पर इल्जाम लगाते की मैं तुम पर ज्यादा ध्यान दे रहा हूँ और मेरे काम पर कम। तो मेरी नौकरी को खतरा होता। इसिलए जो हुआ वह ही ठीक था।’

मुझे अपना फीडबैक देने के लिए कृपया कहानी को ‘लाइक’ जरुर करें। ताकि कहानियों का ये दोर देसी कहानी पर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।

समीर की बात भी बड़ी तर्कसंगत थी। वास्तव में यह सही था की समीर ने मेरी व्यावसायिक प्रगति को चार चाँद लगा दिए। मुझे समझ नहीं आया की मैं उनका शुक्रिया कैसे करूँ। मुझे यह बहुत ही अजीब सा लगा की मैं समीर के एहसान का बदला कैसे चुकाऊं?

मैंने समीर से कहा, “समीर, मुझे समझ में नहीं आ रहा की मैं आपका यह क़र्ज़ कैसे चुकाऊँगी। ”

आँख मटकते कहा, “चिंता मत करो, मैं सूद के साथ इसको वसूल करलूँगा।” मैं सोच रही थी की अच्छा होता वह मुझसे कुछ मांग लेते। पर कुछ न मांग कर समीर ने मुझे एक उलझन में डाल दिया।

मैंने परे पति राज को सारी बातें विस्तार पूर्वक बतायीं। मैंने नहीं छुपाया की कैसे समीर मेरे स्तनों से खेलता रहा और मेर कूल्हों की दरार में ऊँगली डालता रहा। मैंने राज से कहा, “वाकई मैंने समीर को न डांटने की भूल की है। मुझे अब ऐसा लग रहा है की जैसे मैंने ऐसा न करके पाप किया है। मैं अपने आप को दोषी मान रही हूँ।”

पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी..

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