Meri Padosan Roopa Bhabhi

Deep punjabi 2016-07-16 Comments

Desi Sex Stories

हेल्लो दोस्तों मैं दीप पंजाबी, पंजाब से हूँ। मेरी उम्र 30 साल कद 5 फ़ीट 4 इंच रंग गेंहुआ है और मैं एक किरयाना स्टोर का मालिक हूँ। जो के मेरे घर में ही है। आपका ज्यादा समय बर्बाद न करते हुए सीधा कहानी पे आता हूँ।

मेरे पड़ोस में जमीदार का घर हैं तो उन्होंने घर का कूड़ा कर्कट उठाने के लिए एक काम वाली रखी हुई थी। उसका नाम रूपा (नाम कहानी में बदल रहा हूँ क्योंके प्राइवेसी भी जरूरी है न) था। वो शादीशुदा थी और एक 3 साल के बच्चे मुन्ने की मम्मी भी थी। उसका पति भी किसी ज़मीदार के घर साल पे मज़दूर था।

दोनों मियां बीवी अनपढ़ थे। उसकी उम्र 28 के लगभग होगी। रंग सांवला और शरीर भी स्लिम सा इंडियन अभिनेत्रियों की तरह फिट और ढीले से कपड़े पहनती थी ! जब भी रूपा पड़ोस के घर में आती थी तो दुकान पे बच्चे को कुछ न कुछ खाने को दिलाके लेके जाती थी।

मतलब कहने का मेरी दुकान पहले और उसके कम करने की जगह बाद में आती थी। दुकान पे रोज़ाना आने की वजह से उस से अच्छी जान पहचान हो गयी थी ! जान पहचान की वजह से उस से हंसी मज़ाक भी कर लेता था। पहले तो सिंपल हंसी मज़ाक चलता था।

फिर धीरे धीरे उसके स्वभाव को देखते हुए हम एक दूजे से डब्ल मतलब वाला मज़ाक भी करने लगे। मेने बातो बातो में यह नोट किया मुझमें इंटरेस्ट ले रही है।

हुआ यूँ के दीवाली को गए हुए दो दिन हो गए थे। तो दीवाली के कुछ बचे हुए पटाखे अभी तक मेरे पास पड़े थे। दुकान पे मैं साफ सफाई कर रहा था। तो रूपा अपने बेटे जो के 3 साल का होगा, के साथ आई और उसका बेटा जिद करने लगा के सांप वाली डिबिया लेनी है (वही बारूद की गोलियां जिसे आग लगाने पे सांप निकलते है बचपन में आप लोगो ने भी जलायी होंगी) तो वो बिक जाने की वजह से मेरे पास नही थी।

मेने समझाया के बेटा वो खत्म हो गयी है कोई और पटाखा ले लो। पर बच्चो वाली ज़िद के नही सांप ही लेना है। उसकी मम्मी भी समझाने लगी के कल को अंकल ला देंगे बाज़ार से, आज कुछ और ले लो। बड़ी देर बाद ज़िद्दी बच्चे ने ज़िद छोड़ी और दूसरी खाने की चीज़ लेके चला गया।

दो दिन तक फेर दोनों माँ बेटा नही आये। जब तीसरे दिन अकेली रूपा आई तो मेने पूछा आपका बेटा नही आया और 2 दिन आये क्यो नही। उसने कहा उसकी माँ की तबियत ठीक नही थी। तो दो दिन के लिए मायके गयी थी और बेटा वही रुक गया नानी के पास।

एक दो दिन में आके उसको छोड़ कर जायेंगे और वो वापसी पे रुकने का कह के जल्दी से चली गयी क्योके दो दिन न आने की वजह से काम बहुत हो गया था। उस दिन वापसी पे नही आई। फिर एक दिन मैं मेरे मामा जी के यहां चला गया उन्होंने कोई पूजा रखी थी। अगले दिन वापिस आया।

दिन के 12 का समय था। गर्मियों के दिन थे तो दोपहर को लाईट जाने की वजह से मैं दुकान के बाहर छाँव में बेठा था। इतने में उसका आना हुआ। उसके साथ उसका बेटा भी था। दोनों दुकान में आये और फिर वही फरमाइश के सांप की डिबिया दो।

तो हंस के रूपा बोली इसे अपना सांप दे दो और हम दोनों हंसने लगे। उसके ऐसा बोलने से मेरी भी हिम्मत बढ़ गयी। मेने भी कहा,” ये सांप बच्चे को नही, उसकी मम्मी को दूंगा”। पहले तो मैं सहम सा गया फेर सोचा जो होगा देखा जायेगा। सो वो भी मेरी इस बात पे ठहाका लगाके हंसने लगी।

मेने हिम्मत करके उसका हाथ पकड़ लिया। वो कोई आ जाएगा यार छोडो के इलावा कुछ नही बोली। मेने एक दिन उसे अकेले में मिलने को बोला। पहले तो बहाने बनाने लगी। जब पैसों का लालच दिया फट से मान गयी।

सो एक दिन फिक्स किया गया मुलाकात का। संयोगवश मेरी भुआ की लड़की की शादी भी उसी दिन होनी थी तो सारा परिवार गया। दुकान बंद होने और घर पे कोई न होने का बहाना लगाके मैं घर पे ही रुक गया।

शादी तीन दिन तक चलनी थी। सो मेरे मम्मी पापा मेरे पड़ोस की भाभी को मेरा खाना और देखभाल का ज़िमाँ देके चले गए। आखिर मुलाकात का दिन आ गया। पर रूपा नही आई। मुझे बहुत गुस्सा आया।

अगले दिन भी नही आई। मेने सो्चा चलो दिन के समय ग्राहक कम आते है सो पतंग उड़ाया जाये। इस से टाइम पास भी हो जायेगा और मन भी बेहल जायेगा। पर पतंग मर भी मन नही लग रहा था और बार बार मन बोल था के साला इसके लिए घर पे भी रहा, शादी में भी नही गया और यह भी नखरे दिखा रही है और छत से निचे आ गया।

तीसरे दिन आई मुझे गुस्सा तो था ही। उसने बुलाया मेने अपसेट मुड़ से ही एक दो बातों के जवाब दिए। वो भी समझ गयी क क्यो नराज है। फेर बोली मैं जानती हूँ, दीप तुम नराज़ हो, पर यार मेरी भी मज़बुरी समझो। कितने घरो का कॉम होता है। समय बहुत कम होता है एक जगह पे बात करने का ! इतने में उसका बेटा बोला मम्मी पतंग लेना है। तो मेने देरी न करते हुए अपना बना पतंग उसे दे दिया ओर वोह अकेला ही पतंग लेके ज़मीदार के घर की तरफ भाग गया।

Comments

Scroll To Top