Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 9
This story is part of a series:
अनिल को और कुछ नहीं चाहिए था। वह तो नीना के दूध को पीने के लिए अधीरा था। परंतु मुझे तब बड़ा आश्चर्य यह हुआ की उसके सामने नीना के बड़े बड़े और सख्त मम्मे गुरुत्वाकर्षण के नियम को न मानते हुए उद्दंड से ऐसे खड़े थे जैसे अनिल को चुनौती दे रहे हों। फिर भी अनिल ने उन्हें हाथों में न पकड़ ते हुए नीना के कानों में कुछ कहा। यह सुनकर नीना मुस्कायी और उसने अपना सर हामी दर्शाते हुए हिलाया। मुझसे अपनी जिज्ञासा रोकी नहीं गयी। मैंने अनिल से पूछा, “तुमने नीना से क्या कहा?
अनिल ने इसका कोई जवाब न देते हुए मेरी पत्त्नी के दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों में भरते हुए कहा, “मैंने नीना से इसके लिए इजाजत मांगी थी।”
मैं अनिल की इस हरकत से हैरान रह गया। कमीना, उसने अपना काम भी करवा लिया और ऊपर से शराफत का नाटक भी कर के नीना की आँखों में शरीफ बन गया।
उसने नीना के दोनों मम्मो को अपने दोनों हाथों में बड़ी मुश्किल समाते हुए रखा और बोला, नीना तुम्हारे स्तनों का कोई मुकाबला नहीं। मैंने कभी किसी भी औरत के इतने सुन्दर मम्मे नहीं देखे। इसमें अनीता भी शामिल है।”
मैंने मेरी पत्नी की और देखा तो वह शर्म से लाल हो रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था की वह क्या करे। तब मेरी बीबी ने अनिल को अपनी और खींचा और उसके मुंह को अपने स्तनों में घुसा दिया। अनिल का मुंह बारी बारी कभी एक मम्मे को तो कभी दूसरे को जोर से चूसने लगा।
जब वह मेरी बीबी के एक स्तन को चूसता था तो दूसरे को जोर से दबाता और खींचता था और अपनी उँगलियों में नीना की निप्पलों को जैसे चूंटी भर रहा हो ऐसे दबाता था। कई बार तो वह इतना जोर से दबा देता की नीना के मुंह से टीस सी निकल जाती। तब वह अनिल को धीरे दबाने का इशारा करती।
बस और क्या था? अब तो मुझे और अनिल को जैसे लाइसेंस मिल गया था। मैंने भी नीना के रस से भरे मम्मों को चूसना शुरू किया। अब अनिल कहाँ रुकने वाला था? वह नीना के दूसरे मम्मे को अपने मुंह में रख कर उसकी निप्पल को काट ने लगा। नीना के हाल का क्या कहना? उसकी जिंदगी में पहली बार उसके स्तनों को दो मर्द एक साथ चूस रहे थे।
नीना इतनी गरम और उत्तेजित हो गयी थी की वह अपने आप को सम्हाल नहीं पा रही थी। अब तक जो मर्यादा का बांध उसके अपने मन में था अब वह टूटने लगा था। अपने स्तनों पर अनिल के मुंह के स्पर्श से ही अब वह पागल सी हो रही थी।
मैंने झुक कर प्यार से मेरी प्यारी पत्नी के रसीले होठों पर चुम्बन किया और उसके कानों में फुसफुसा कर बोला, “मेरी जान, आज तूमने मुझे वह गिफ्ट दिया है जिसके लिए में तुम्हारा ऋणी हूँ। तुमने मेरे कहने पर अपनी लज्जा का बलिदान किया है इसका ऋण मैं चूका नहीं सकता। नीना मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और अब तो मैं तुमसे और भी प्यार करने लगा हूँ। मैं चाहता हूँ की आज तुम लज्जा को एक तरफ रख कर हम दोनों से सेक्स का पूरा आनंद लो और हमें सेक्स का पूरा आनंद दो। आज तुम हम दोनों के साथ यह समझ कर सेक्स करो जैसे हम दोनों ही आज रात के लिए तुम्हारे पति हैं।“
नीना आँखे बंद कर मेरी बात ध्यान से सुन रही थी। जब वह कुछ न बोली तो मैंने उसे कहा, “डार्लिंग, अब आँखे खोलो और मुझे जवाब दो।”
तब मेरी शर्मीली खूबसूरत पत्नी ने अपनी आँखे खोली और और मेरी आँखों में आँखे डाल कर मुस्काई। उसने मेरा सर अपने दोनों हाथों में लेकर मेरे होंठ अपने होंठो पर दबा दिए और मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल दी। ऐसे थोड़ी देर चुम्बन करने के बाद मेरे कान में फुसफुसाई, “चलो भी। अब जो होना था वह हुआ। अब बातें कम और काम ज्यादा।”
अनिल ने जब हमारा आपस में प्रेमआलाप देखा तो वह भी मुस्काया और समझ गया की अब नीना भी हमारे साथ है। अनिल ने और मैंने तब प्यार से नीना को पलंग पर लिटा दिया। हम दोनों उसके दोनों और बैठ गए और उसकी चूचियों को चूसने लगे। नीना ने हम दोनों को बड़े प्यार भरी नजर से देखा और फिर अपनी आँखें बंद करली।
अब वह हमारे प्यार का आनंद ले रही थी। उसे ऐसा अनुभव कभी नहीं हुआ था। आज तक उसने सिर्फ मेरे प्यार का ही अनुभव किया था। अब उसे दो प्रेमियों के प्यार का आनंद मिल रहा था। आगे चलकर यह अनुभव क्या रंग लाएगा उसकी कल्पना मात्र से ही वह उत्तेजित हो रही थी और मैंने वह उसके शरीर में हो रहे कम्पन से महसूस किया।
मैंने धीरे से मेरा हाथ उसके गाउन के अंदर डाला। उसकी नाभि और उसके पतले पेट का जो उभार था उसको मैं प्यार से सहलाने लगा। मेरी पत्नी मेरे स्पर्श से काँप उठी। मैंने मेरे हाथ नीना की पीठ के नीचे डाल दिए और उसे धीरे से बैठाया। उसे बिठाते ही उसका खुला गाउन नीचेकी और सरक गया और वह आगे और पीछे से ऊपर से नंगी हो गयी। अनिल जिसकी मात्र कल्पना ही तब तक करता था वह नीना के कमसिन जिस्म को ऊपर से पूरा नंगा देख कर उसे तो कुबेर का खजाना ही जैसे मिल गया।
Comments