Bhoot To Chala Gaya – Part 12

iloveall 2017-05-24 Comments

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समीर ने धीरेसे अपना लंड मेरी भरी हुई चूत में से निकाला। वह अपने ही वीर्य से लथपथ था। अब वह पहले जितना कड़क तो नहीं था, पर फिर भी काफी तना हुआ और लंबा लग रहा था। पर तब तक मैंने यह पक्का कर लिया की समीर के वीर्य की एक एक बून्द वह मेरी चूत में खाली कर चुका था।

मुझे समीर का वजन मेरे ऊपर बहुत अच्छा लगा रहा था। अपना सब कुछ निकाल देने के बाद समीर धीरे से नीच सरका और समीर और में हम दोनों एक दूसरे की बाहों में पलंग पर थक कर लुढ़क गए। मैं अपनी गीली चूत और समीर का लथपथ लंड की टिश्यू से सफाई करने में लग गयी। उस रात समीर तो बिलकुल नहीं सोये थे। कुछ मिनटों में ही वह गहरी नींद सो गए।

मैं एक बार फिर गरम पानी से नहाना चाहती थी। मैं खड़ी हो कर बैडरूम से बाहर आयी। बैडरूम का दरवाजा पूरा खुला हुआ था। मैं बाथरूम की और जाने लगी। मैंने कपडे पहनना जरुरी नहीं समझा। अचानक मेरी नजर ड्राइंग रूम की तरफ गयी। मेरी जान हथेली में आ गयी जब मैंने मेरे पति राज को ड्राइंग रूम में सोफे पर सामने वाली टेबल पर अपना पाँव लम्बा कर गहरी नींद में सोते हुए देखा।

उन चंद लम्हों में मुझे लगा जैसे मेरी दुनिया गिरकर चकनाचूर हो गयी। पता नहीं कब परे पति राज आये और कब सोफे पर आ कर सो गए। फिर अचानक मुझे दरवाजा खुलने और बंद होने की आवाज की याद आयी। उस समय मुझे अपनों मदहोशी में कोई और चीज का ध्यान ही नहीं था। बाप रे! बैडरूम का दरवाजा खुला हुआ था। मतलब मेरे पति ने समीर को मुझे चोदते हुए देख लिया था।

मेरे पाँव के निचे से जैसे जमीन फट गयी। मेरी आँखों के सामने अँधेरा छा गया। मुझे समझ में नहीं आया की मैं क्या करूँ। मैंने हड़बड़ाहट में गाउन पहन लिया और भागती हुयी मेरे पति राज के पास पहुंची। मुझे ऐसा लगा की मैं क्यों नहीं उसी क्षण मर गयी? राज के सर पर मैं झुकी तब मेरी आँखों में आंसू बह रहे थे। मैं फफक फफक कर रोने लगी। आँखों में आंसूं रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। आंसूं की कुछ बूँदें राज के सर पर जा गिरी। राज ने आँखें खोली और मुझे उसके ऊपर झुके हुए देखा। राज थके हुए लग रहे थे। उनकी आँखे धुंधली देख रही होंगी।

उनके जागते ही मैं राज को लिपट गयी और ऊँची आवाज में रो कर कहने लगी, “मुझे माफ़ करो डार्लिंग! मैंने बहुत बड़ा पाप किया है। मैंने आपको धोका दिया है और उसके लिए अगर आप मुझे घर से निकाल भी देंगे तो गलत नहीं होगा। मैं उसी सजा के लायक हूँ।

मेरे पति राज ने मुझे अपनी बाँहों में लिया और बोले, “क्या? तुम पागल तो नहीं होगयी हो? तुम्हें किसने कहा की तुमने मुझे धोका दिया है? तुम्हें माफ़ी मांगने की भी कोई जरुरत नहीं है। अरे पगली, यह तो सब मेरा रचाया हुआ खेल था। प्यारी निश्चिंत रहो। याद है मैंने क्या कहाथा? ‘भूत तो चला गया, भविष्य मात्र आश है, तुम्हारा वर्तमान है मौज से जिया करो’ मैं जब आया तो मैंने समीर और तुम को अत्यंत नाजुक स्थिति में देखा। आप दोनों को उस हालत में देख कर मुझे बड़ी उत्तेजना तो हुई और तुम दोनों के साथ जुड़ने की इच्छा भी हुई, पर मैंने आप दोनों के बिच में उस समय बाधा डालना ठीक नहीं समझा। मेरी प्यारी नैना, तुम ज़रा भी दुखी न हो।”

राज ने खड़े हो कर मुझे अपनी बाहों में लिया और उबासियाँ लेते हुए कहा, “अभी उठने का वक्त नहीं हुआ है। पूरी रात मुश्लाधार बारिश में सफर करके मैं परेशान हो गया हूँ। गर तुम्हें एतराज न हो तो मैं तुम्हारे और समीर के साथ सोना चाहता हूँ। जानूं, आओ, चलो एक बार फिर साथ ही सो जाएँ हम तीनों। जानूं मैं तुम्हें बहोत बहोत चाहता हूँ।”

मेरे पति की बात सुनकर मुझे एक बहुत बड़ा आश्चर्य हुआ। तब मैं थोड़ी रिलैक्स भी हुई। राज ने मुझे उठा कर पलंग पर नंगे गहरी नींद में लेटे हुए समीर के साथ में सुलाया। राज ने मुझे समीर के बाजू में सुलाया और खुद मेरी दुसरी तरफ बैठ गए। फिर मुझे अपनी बाहों में लिया और एक घनिष्ठता पूर्ण चुम्बन दिया और बोले, “समीर बिस्तरे में कैसा था? क्या तुम्हे समीर से सेक्स करने में मज़ा आया?”

मैंने मेरे पति की आँखों से आँखें मिलाकर बेझिझक कहा, “हाँ, वह अच्छा है। पर तुम और भी अच्छे हो। ”

मेरे पति ने मुझे ऐसे घुमाया जिससे मेरी पीठ उनकी तरफ हुयी। वह मुझे पीछेसे चोदना चाहते थे। मैं भी मेरे पति की बातें सुनकर उन्हीं की तरह गरम हो गयी थी। मैं समर से चुदने के बाद मेरे पति राज से भी चुदवाना चाहती थी।

मुझे अपना फीडबैक देने के लिए कृपया कहानी को ‘लाइक’ जरुर करें। ताकि कहानियों का ये दोर देसी कहानी पर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।

मैं एक ही रात में दो लण्डों से चुदना चाहती थी। उस सुबह मेरे पति ने मुझे खूब चोदा। वह मुझे करीब १५ मिनट तक चोदते रहे और आखिर में अपना सारा माल मेरी चूत में छोड़ा। हमारी कराहट और पलंग के हिलने से समीर थोड़ी देर में जग गए। मेरे पति राज को इतने क़रीबसे मुझे चोदते हुए देखने का सदमा जब धीरे धीरे कम हुआ उसके बाद जो हुआ वह एक लंबा इतिहास हैं।

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