EK Galti Sudharne Ki Khatir

Deep punjabi 2017-07-03 Comments

उन सबने इस राज़ को राज़ रहने का भरोसा दिया और माँ को बाइक से डॉक्टर के पास दवाई दिलाने ले लिए ले गए। जब तक माँ वापिस कमरे में आई तब तक मैं स्टोर रूम से निकल कर अपने कमरे में आ गया था।

मुझे खुद से पहले आया देख माँ को हैरानी हुई। वो लँगड़ा के चल रही थी।

मैंने उन्हें बिलकुल भी शक नही होने दिया के मुझे उनका राज़ पता है।

मैंने माँ से पूछा,” क्या हुआ माँ लँगड़ा के कयूँ चल रही हो ?

माँ — वो बेटा बस रात को डास करते वक्त पेर में मोच आ गयी थी।

अगर आपको मेरी कहानी पसंद आई हो तो प्लीज निचे कमेंट लिखिए और कहानी को लाइक कीजिये।

मैं मन ही मन हंसा के ये क्यों नही कहती के गांड पे रवि का लण्ड बजा है । किसे बुध्धू बना रही हो।

इस तरह हम 5वे दिन शादी दे वापिस घर आ गए। वो दिन मेरी ज़िन्दगी का एक यादगार दिन बन गया।

सो दोस्तों ये थी एक और कामुक कहानी। उम्मीद है आपको पसन्द आई होगी। आपकी जो भी इस कहानी को लेकर राय है मुझे “[email protected]” पे भेज सकते हो। आपके कीमती सुझाव हमे आगे आने वाली कहानियो को और बेहतर बनाने में मददगार साबित होंगे। जल्द ही एक नई सेक्स गाथा लेकर फिर हाज़िर होऊँगा। तब तक के लिए अपने दीप पंजाबी को दो इज़ाज़त।

नमस्कार

खास नोट : — कई दोस्त मेल में हिन्दी सेक्स स्टोरीज हिन्दी चुदाई कहानी वाले पात्र का पता, मोबाईल नम्बर, उनसे मुलाकात का तरीका पूछते है। उनके लिए यही कहूँगा के भाई, उनकी भी अपनी पर्सनल लाइफ है। सो उनमें हम हस्तक्षेप न ही करे तो अच्छा है। कहानी को कहानी ही रहने दो दोस्तो। उन्हें अपनी असल ज़िन्दगी में अपनाने की भूल भी न करे। यही आपके लिये बढ़िया रहेगा, आप बस कहानी का मज़ा लो।

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