Pyaar Bhari Coaching Life – Part 1
अब दिल्ली लूटने को तैयार थी। हल्के रोयों के एक इंच नीचे जन्नत का दरवाजा था। जिसके लिए बड़े बड़े ऋषि मुनियो का ईमान डोल गया था आज वही मंजर मेरे सामने था। जब विश्वामितर ने मेनका कि पायल कि आवाज सुनी तो उसका ध्यान भंग हो गया था। और मेरे सामने तो मेनका से भी सुंदर अप्सरा बैठी है। मेरा क्या हाल होगा आप अंदाजा लगा सकते है।
तिकोने आकार कि छोटी सी बुर जैसे कोई फुली हुए पाव कि रोटी हो दो गहरे सुर्ख लाल रंग कि पतली सी लकीरे और केवल 3 इंच के आसपास का चीरा, चारो और हल्के हल्के रोएँ।
मेरे मुह से बस येही शब्द निकले वाह, लाजबाब, सुंदर, बेसकीमती शायद शब्द ही कम पड़ जाए तारीफ करते करते। इस हालत मे तो किसी नामर्द का भी खड़ा हो जाए मेरा पप्पू 150 डिग्री पे खड़ा होके सलामी दे रहा था। उसकी बुर कि तेज गंद मेरे नथुनो मे भर गयी और मैं अनायास ही उसकी तरफ बढ़ गया।
जैसे ही मैंने अपने होठ उसके पंखुड़ियों पे लगाए एक मादक सीत्कार पूरे कमरे मे फ़ेल गयी. आआआ आ आ ई ई ई ई ई..
उसका पूरा शरीर रोमांच और उतेजना से कांपने लगा था। थोड़ा सा चीरा थोड़ा सा खोला तो गुलाबी रंग झलकने लगा। ओहह,… गुलाबी रंगत लिए उसकी चुत मे कामरस कि बाढ़ आ चुकी थी। एक छोटी सी चुकंदर जिसे बीच मे से चीर दिया हो। पतले पतले बाल जितनी हल्की नीले रंग कि रक्त शिराये। सबसे ऊपर एक चने के दाने जितना मुकुट मणि।। 1.5 इंच नीचे बुर का छोटा सा छेद।
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
अब पलंग के ऊपर बेजोड़ हुसन की मलिका का अछूता और कमिसन बदन मेरे सामने िबखरा था। वो अपनी आँख बंद किये लेटी थी। उसका कुंवारा बदन दिन की हलकी रोशनी मे चमक रहा था। मैं तो बस मुँह बाए उसे देखता ही रह गया। उसके गुलाबी होठ, तनी हुई गोल गोल चुंचियां, सपाट चिकना पेट, पेट के बीच गहरी नाभि, पतली कमर, उभरा हुआ सा पेडू और उसके नीचे दो पुष्ट जंघाओं के बीच फसी पाँव रोटी की तरह फूली छोटी सी बुर जिसके ऊपर छोटे छोटे घुंघराले काले रेशमी रोयेँ ,मैं तो टकटकी लगाये देखता ही रह गया।
माफ़ कीजिये, मैं एक शेर सुनाने से अपने आप को नही रोक पा रहा हँ.. क्या यही है शर्म तेरे भोलेपन मे मुँह पे दोनो हाथ रख लेने से पर्दा हो गया। अब देर करना सही नही था।
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी।
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