Kaamagni.. Ye Aag Kab Bujhegi – Part IV
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जयना: देख किसीसे कहेगा तो नहीं???? अपने दोस्तों को भी नहीं समजा…
मे: मेम मेरे दिल में ऐसे कही राज हे, मैंने उस गहराई तक अभीतक किसीको जगा नहीं दी हे।
जयना: में आपलोगो को बहोत स्ट्रिक्ट, डरावनी टीचर लगती हु पर असल में अपनी जिंदगी से बहोत परेशान हु और इस लिए में हमेशा गुस्से में रहती हु पता हे क्यों? मेरे पति गे हे। उसे औरतो से ज्यादा मर्दों में दिलचस्पी हे ये बात मुझे अपनी बेटी के पैदा होने के बाद पता चली। शादी के २ साल तक उसने मुजपे यह बात ज़ाहिर नहीं होने दी। मेरी जिंदगी अब नरक हो चुकी हे।
मैं: (अचंबित होकर) ओह्ह्ह नो…मेम फिर आपका शादी शुदा जीवन?
जयना: मेरी जिंदगी में अब कोई रोमांस नहीं। में बिलकुल अकेली हु और मेरी लाइफ से में काफी बोर हो चुकी हु। जब किसी को हँसतेखेलते देखती हु तो बोखला जाती हु और ना चाहते हुए भी मुझे गुस्सा आ जाता हे और..बस्स…ह्ह्ह्ह अ..ब… ऐ…सी घ…र की बा..ते ह्ह्ह्हह्ह कि..से… क..हू (उसकी आवाज़ कांप उठी, उसका गला भर गया और आंखे नम हो गयी।)
मैंने उसकी आंखे पोछते हुए… कहा…
मैं: ओह्ह्ह नो मेम आप रो रही हो.. प्लीज मत रोओ मेम मुझसे किसीके आसु देखे नहीं जाते। मत रो ओ…(मेरा गला भी भर गया) मुझे कुछ ना सुजा तो मैंने उसे अचानक ही अपनी बाहों में भर लिया। उसने भी अपनी बाहे फेलाकर मुझे अपने कलेजे पे जुलते स्तनों से कस लिया और अपने गुलाबी गिले होठ मेरे होठ पे चिपकाये उसका रसपान करने लगी। अब बस दिल में जोरो की धडकन, दिमाग में भयानक आग, बदन में शोले और बस हमदोनो एक दुसरे में पिघलकर समाने लगे…
रात मथ्थम मथ्थम बीते जा रही थी, बस में ठंडी लहर, एक खुशबू… और बस अपनी मंजिल की और अपनी रफ़्तार में दौड़े जा रही.. लग रहा था बस जिंदगी अब थम सी गयी हे। ये रात की कभी सुबह ना हो..
पढ़ते रहिये क्योकि.. कहानी अभी जारी रहेगी।
दोस्तों मेरी ईमेल आई डी है “[email protected]”। कहानी पढने के बाद अपने विचार नीचे कमेंट्स में जरुर लिखे। ताकी हम आपके लिए रोज और बेहतर कामुक कहानियाँ पेश कर सकें। डी.के
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