Namrata Ki Kahani

rangbaaz 2015-03-20 Comments

“आह्ह…!”
“उह्ह….!!”

दरवाज़े के पीछे से अदिति सारी आवाजें सुन रही थी. बहुत मज़ा आ रहा था उसको.
इससे कहीं ज़्यादा मज़ा अनिल को आ रहा था. उसका मुस्टंडा भूखा लंड आज नम्रता की रेशमी चूत की सैर कर रहा था. नम्रता के चेहरे पर झलकता दर्द, उसकी सिस्कारियां उसके मज़े को दुगना कर रहा था. उसका मन करा था की नम्रता को उठा कर ले जाये और सारी उम्र उससे लिपटकर उसे चोदता रहे.

अनिल नम्रता को चोदे जा रहा था. बीच बीच में झुक कर नम्रता के होटों को चूस भी लेता था. जब अनिल उसे चोदते-चोदते चूमता, नम्रता उसका सर थाम लेती.

आज नम्रता को पता चला की तगड़े जवान, बड़े लौढ़े वाले मर्द से चुदना कैसा होता है. उसे समझ में अब आया की अदिति अनिल का इतना गुणगान क्यूँ करती थी.
अनिल कुछ देर तक उसी पोज़ में चुदाई करता रहा. फिर उसका मन पोज़ बदलने का हुआ. आज वो हर तरीके नम्रता को भोगना चाहता था. उसने अपना लंड निकाला. नम्रता की जान में जान आई. उसने अनिल के लंड को देखा- हैंडपंप की नली की तरह टाईट, तन कर खड़ा था. उसकी चूत के पानी में भीग कर चमक रहा था.

“उठो” उसने नम्रता को आदेश दिया. नम्रता बिस्तर पर घुटनों के बल खड़ी हो गयी. उसने नम्रता को कमर से पकड़ कर पलटा और झुका दिया.
“घोड़ी बन जाओ… ऐसे…” नम्रता समझ गयी. उसने अपने पंजे बिस्तर पर टिका लिए. विक्रांत ने आज तक कभी उसको ऐसे नहीं चोदा था.
अनिल उसकी गाण के पीछे घुटनों के बला खड़ा था. उसने नम्रता के चूतड़ फैलाये और अपना लंड फिर गपाक से पेल दिया, और नम्रता की कमर पकड़ कर चोदने लगा.
नम्रता की फिर सिस्कारिया निकलने लगीं:
“आह्ह… उह्ह हा.. ह…..!”
“अनिल …प्लीज़… धी..धीरे करो.. उई…..!!”

अनिल कहाँ सुन रहा था. वो आज नम्रता के सुन्दर बदन का आनंद ले रहा था. उसका गदराया लंड गपा-गप, गपा-गप स्टीम इंजन के पिस्टन की तरह नम्रता की रेशमी चूत को चोद रहा था. नम्रता की भी कल्पना सच हो गयी. उसे उसी ब्लू फिल्म का ध्यान आया जिसमे काला अफ़्रीकी हब्शी गोरी लड़की को ठीक इसी तरह घोड़ा बना कर चोद रहा था. उस हब्शी का भी औज़ार अनिल के जितना बड़ा था.

अनिल फुल स्पीड में जुटा था. वो बिना थके कामातुर सांड की तरह नम्रता को चोदे चला जा रहा था. चुदाई करते अब 20 मिनट हो गए थे.
अब नम्रता से नहीं सहा जा रहा था.
“अनिल… बस करो…अहह… प्लीज़… अहह…!!”

लेकिन अनिल ने अनसुना कर दिया. वो उसे राक्षस की तरह चोद रहा था. वैसे वो ऐसे ही चोदता था. लड़कियां परेशान हो जाती थी, लेकिन उसका मन नहीं भरता था. वो एक रात में कई कई बार चुदाई करता था.
पूरा पलंग हिल रहा था, और कमरा नम्रता की सिस्कारियों से भरा हुआ था.
नम्रता ने एक हाथ से अनिल को रोकने की कोशिश की- उसने हाथ पीछे करके अपनी चूत पर रखना चाह, लेकिन अनिल ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसके चूतड़ पर एक चपत चट से जड़ दी.
बड़ी मुश्किल से अनिल ने नम्रता का हाथ छोड़ा.
तभी अचानक आनिल ने अपना लंड बाहर निकाला. नम्रता की जान में जान आई. उसे लगा की अनिल झड़ चुका है. लेकिन वो गलत थी.
अनिल ने उसे अब पीठ के बल लिटा दिया और खुद उसके ऊपर लेट कर फिर से चोदने लगा. दोनों के लिए एक बहुत मज़ेदार एहसास था- दोनों के नंगे शरीर एक दूसरे से छू रहे थे, दोनों एक दूसरे से बेल की तरह लिपटे चुदाई कर रहे थे. नम्रता के हाथ अनिल की विशाल पीठ को सहला रही थी.
दोनों एक दूसरे के होटों को चूस रहे थे.
अनिल यूँ ही नम्रता के ऊपर चढ़ा, उसके होठ चूसता उसकी चूत को भोगता रहा. उसके लंड को बहुत मज़ा आ रहा था और वो झड़ने वाला था.
“नम्रता मेरी रानी… तुम बहुत सुन्दर हो… तुम्हे बहुत दिनों से ताड़ रहा था… आज तुम्हारे साथ करने का मौका मिला है… छोडूंगा नहीं” उसने नम्रता के कान में कहा.
उसका मन था की नम्रता की चूत में झड़ जाये. तभी अचानक उसके मन में ख्याल आया- क्यूँ न वो उसकी चूंचियां भी चोदे?

उसने फिर से अपना प्रचंड लंड निकाला और नम्रता की छाती पर चढ़ बैठा.
नम्रता की समझ में कुछ नहीं आ रहा था. अनिल ने अपना भीगा भीगा लंड उसकी छाती के बीचों-बीच रखा और दोनों चूंचियों को उसपर दबा कर रगड़ने लगा. विक्रांत ने उसके साथ ऐसे नहीं किया था.

अब अनिल से नहीं रहा गया- अन्तरा की मुलायम, मुलायम, सुन्दर सुन्दर गोरी गोरी चूंचियां उसके लंड से रगड़ रहीं थी, और नम्रता खुद अनिल को निहार रही थी. थोड़ा सा ही रगड़ने पर अनिल के मुंह से हलकी से आह निकली:
“अहह..हह..!!”
और अनिल नम्रता के सुडौल वक्ष पर झड़ गया. उसकी चूचियां अनिल के आधा लीटर वीर्य में नहा गयी थी. उसका वीर्य छिटक कर अन्तरा की गर्दन और और चेहरे पर भी फैल गया था.
अब कहीं जाकर अनिल के अन्दर महीनो से जलती हुई आग बुझी.
वो नम्रता के ऊपर से हटा और बाथरूम में ले गया. नम्रता सिंक पर झुक कर अपना चेहरा और छाती धोने लगी अनिल पीछे उसकी गांड पर अपना लंड चिपकाये खड़ा रहा. उसके बाद अनिल ने खुद नम्रता के भीगे बदन और चेहरे को तौलिये से पोंछा.
इस सब के बाद उसने नम्रता को बाँहों में भर लिया. दोनों एक दूसरे लिपट गए.

आज भी नम्रता और अनिल एक दूसरे से मिलने का मौका नहीं छोड़ते.

दोस्तों मेरी ईमेल आई डी है “[email protected]”। कहानी पढने के बाद अपने विचार नीचे कमेंट्स में जरुर लिखे। ताकी हम आपके लिए रोज और बेहतर कामुक कहानियाँ पेश कर सकें। डी.के

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