Amrita Ek Chudakkad Salesgirl

Deep punjabi 2016-09-02 Comments

Sex Stories In Hindi

हेल्लो दोस्तों आपका दीप पंजाबी आपके सामने एक नई दास्तान ऐ सेक्स लेकर एक बार फेर हाज़िर है।

ये इसी गर्मियो की बात है के मैं एक दिन अपने घर में अकेला था। हमारा पूरा परिवार रिश्तेदारी में बुआ की लड़की की आ रही शादी के लिए कपड़े वगैरा खरीदने बाज़ार गया हुआ था।

आप तो जानते ही हो गर्मियों में गलियो में सन्नाटा छा जाता है। सब लोग अपने घरों में पंखे, ऐ.सी चलाकर सोये होते है। मैं सोकर उठा ही था और अपने लिए चाय बनाकर रखदी और सोचा बाद में नहाकर पीऊँगा, के तभी गली वाले दरवाजे की डोर बेल् बजी।

मैं मन में गालिया निकालता दरवाजा खोलने आ रहा था के साला आराम से नहाने भी नही देते। गेट खोल कर देखा तो सामने करीब 20 साल की लड़की जिसके गले में बैग टांगा हुआ था और बोली हलो सर जी, मैं बठिंडा से किसी प्राइवेट कम्पनी से आई हूँ और घरेलू जरूरत का समान कम्पनी के रेट में बेचने आई हूँ। क्या आप देखना पसंद करेंगे?

मेने उसे बोला देखिये इस वकत घर पे कोई औरत नही है और मुझे समान नही देखना है। फेर कभी आना।

वो – तो क्या हुआ सर जी, आप भी घर के ही मेंबर ही हो, ले लो न समान थोडा सा रह गया है। इतनी गर्मी में किधर घूमती फिरुगी।

मेने उसे अंदर बुला लिया और दरवाजा बन्द करके उसके साथ अपने कमरे में आ गया।

उसने बैड पे पंखे के निचे बैठकर अपना बैग उतारा और आँखे बन्द करके हवा को महसूस करने लगी। वो पूरी तरह से पसीने से भीगी हुई थी। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।

मैं रसोई से उसके लिए गिलास में पानी ले आया। उसने पानी पीकर थैंक्स बोला और अपने कपड़े ठीक करके हवा लेने लगी।

मैं उसे बैड पे ही बैठा दूर से निहार रहा था। गर्मी से उसका बुरा हाल हो रहा था। वो जितना पसीना अपने रुमाल से पोंछती, उस से दुगना उसके चेहरे पे आ रहा था। मेने उसे बाथरूम की तरफ इशारा करके बोला, जाओ मैडम वहां टूटी पे मुँह धो लो, आराम मिलेगा। उसे मेरी बात जच गयी और वो मुँह धोकर वापिस अपनी जगह पे आकर बैठ गयी।

मेने उससे पूछा – हांजी अब बताइये क्या बात है?

वो – (उसने अपनी बात दुहराई ) सर जी, मैं बठिंडा से फलां कम्पनी से आई हूँ, मेरा नाम अमृता है और मैं घर में जरूरी काम की चीज़े बेचती हूँ।

उसने रसोई में उपयोग होने वाला सामान जेसे कड़छी, प्याज़ काटने वाली मशीन, छोटी सी नॉन स्टिकी कढाही, चाकू आदि बहुत सारी चीज़े मेरे सामने निकाल कर रखदी और बोली – देखलो सर यही सामान बचा है बाकी तो सब बिक गया है। वैसे बज़ार में जाओगे आपको यही सामान बहुत ज्यादा दाम में मिलेगा पर हमसे खरीदोगे तो आपके काफी डिस्काउन्ट मिलेगा। जेसे ये चाकू है बाज़ार में 100 रूपये का है हम आपको 60 रूपये में दे देंगे आपको 40 रूपये का फायदा हो गया न घर बैठे बिठाये।

वो चाबी भरे खिलोने की तरह बोलती ही जा रही थी। मैं उसके हिलते पतले से होंठो की तरफ देखता जा रहा था।

करीब 10 मिनट भाषण देने के बाद बोली – हांजी अब बोलिये क्या दूं आपको?

मैंने मन में ही बोला एक पप्पी और मेरे चेहरे पे हल्की सी स्माइल आ गयी।

पता नही वो अपनी कही बात का दोहरा मतलब खुद समझ गयी और वो भी हंस पड़ी।

मेने बोला – सामान तो आपसे ले लेंगे पहले बैठो बाते करते है। वेसे भी इतनी गर्मी है, कहाँ घूमती फिरोगे। आप आराम करो वेसे भी घर पे कोई नही है। सब बुआ की लड़की की शादी के लिये खरीददारी करने गए है।

वो – तो शादी में बर्तन भी तो चाहिए होते है न ले लो आप।

मैं – ले लेंगे आप सब्र तो करो। आप रुको मैं चाय लेकर आता हूँ। अपने लिए रखी चाय में और दूध डालकर उसको दो कपो में लेकर आ गया।

उसने एक कप उठाया और धन्यवाद बोली।

चाय पीते पीते हम बाते करने लगे..

मेने उससे उसके बारे में पूछा तो उसने बताया वो पंजाब के मानसा जिले की रहने वाली है। उसने मुझसे पूछा आपको कोई ऐतराज़ न हो थोडा टाइम लेट जाऊ यहां बैग भारा होने की वजह से पीठ में दर्द होने लगा  है। जरा सा लेट जाने से दर्द कम हो जायेगा।

मेने कहा लेट जाओ मुझे कोई ऐतराज़ नही है।

वो थैंक्स बोलकर लेट गयी और आँखे बन्द करके आराम करने की स्थिति में आ गयी।

वो हंसकर बोली – सरजी मुझे तो नींद आ रही है।

मैं – सो जाओ मना किसने किया है।

मैं भी उसके साथ ही थोड़ी दूरी पे लेट गया। थोड़े ही टाइम में वो इतना खुल गयी के जेसे बरसो से जान पहचान हो उसकी।

हम दोनों एक दूसरे की तरफ मुह करके लेटे ही बाते कर रहे थे।

आम घरेलू बाते करते करते हम प्राइवेट बातो पे आ गये। मेने उसे उसकी उम्र पूछी वो बोली 20 साल..

मैं हंसकर बोला शरीर से तो लगती 25 के ऊपर के हो।

वो शरमाकर हंस पड़ी और बोली नही नही 20 भी पूरे नही किये मेने तो..

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