Amrita Ek Chudakkad Salesgirl

Deep punjabi 2016-09-02 Comments

मैंने उससेे पूछा कितना पढ़ी लिखी हो।

वो बोली 10+2 किया है पिछले साल और आप ?

मैं – मैंने बीए फाइनल !!

इस तरह हसी मज़ाक चलता रहा। मेने लेटे लेटे ही उसकी पीठ पे हाथ लगाकर सहला दिया वो मेरा हाथ देख कर बस जरा सा मुस्कराई पर कुछ बोली नही। जिस से मेरी हिम्मत और बढ़ गयी और मेने उसे अपनी तरफ खीच कर होंठो पे किस कर दिया।

वो पहले तो वो न न करती रही पर जब उसे भी मज़ा आने लगा वो भी मेरा साथ देने लगी। अब मैं उसके उपर लेटकर उसको चूम रहा था। फेर मेने उसकी शर्ट के बटन खोलकर उसके मोटे मोटे मम्मे चूसने लगा। क्या ज़न्नत का नज़र था, उस पल में।

उसका हाथ बार बार मेरे पैंट में खड़े हो चुके लण्ड पर जा रहा था। उसे ऊपर से ही पकडकर साइज़ का जायजा ले रही थी। मेने उसकी बेकरारी को समझते हुए अपनी ज़िप खोल कर मोटा लण्ड उसके हाथ में दे दिया। उसकी तो जैसे बरसों की इच्छा पूरी हो गयी हो। उसे हाथ में लेकर उसे सहलाने लगी। उसकी कोमल हथेली में लण्ड ऐसे लग रहा था जेसे रुई में लपेटा हो। मेरी तरफ देखकर इशारे में पूछा अब ?

मेने भी इशारे में सर हिला दिया वो हंसकर उसका टोपा निकाल कर उसे मुँह में लेकर, अपनी आँखे बन्द करके चूसने लगी। उस हसीन पल को शब्दों में बयान नही किया जा सकता। बीच बीच में वो टोपे पे गोल गोल जीभ घुमाती। मेने इशारे से हटाया के हट जाओ मेरा रस्खलन होने वाला है, पर वो तो अपनी धुन में मस्त थी। मैं उसके मुह में ही एक लम्बी आह्ह्हह्ह् से झड़ गया।

वो तो जैसे जन्मों जन्मों की प्यासी थी। सारा वीर्य कुछ ही मिन्टो में निगल गयी और लण्ड को दुबारा साफ कर दिया। एक बार रस्खलन होने की वजह से लण्ड ढीला पड गया था, पर उसने तो जैसे कसम ही खा रखी थी ले उसे चैन से सोने भी नही देगी। उसने दुबारा उसको चूमना चाटना शुरू कर दिया। मैं खुद हैरान था इतनी जलदी दुबारा कैसे तैयार हो गया। मुझे तो लगा था अब 5 -7 मिनट से पहले तयार नही होगा, पर उसके हाथों में जैसे जादू था।

अगले 2-3 मिन्टो में ही सिपाही जंग लड़ने के लिए तैयार हो गया। शयद वो भी मेरे दिल की बात जान गयी थी, और हस कर बोली हैरान होने की जरूरत नही है जनाब अमृता नाम है मेरा, मतलब अमृत मुर्दों में जान डालने वाला जल ये तो ज़िंदा है फेर भी और हंसकर फेर उसको चूसने लगी।

मुझे लगा इस बार भी मैं इसे मुह में ही न झड़ जाऊ, तो मेने उसे छोड़ देने को कहा वि बोली नही जनाब जब तक मेरा दिल नही भरेगा, ये मेरे मुह में ही रहेगा। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।

मैं – पर यर माँ बापू किसी भी वक़्त आ सकते है। इस से पहले काम खत्म करले बाद में जो दिल करे करते रहना।

वो बोली ठीक है आप मेरी चूत चाटो मैं आपका लण्ड चूसूंगी।

मेने कहा नही मुझे आपकी चूत में लण्ड डालना है।

वो बोली अभी नही अभी मेरा फोरप्ले पूरा नही हुआ है।

उसने अपनी पेंट उतार दी और मैने भी अपनी पेंट उतार दी।

अब हम 69 की पोज़िशन में आ गए। वो मेरे ऊपर और मैं उसके निचे था। वो तो बस लण्ड चूसने में मस्त थी। जब मेने उसकी चूत को देखा उसपे हल्के काले बाल थे, मानो दो महीने पहले काटे हो और दुबारा उग आये हो। उसकी चूत में से पेशाब की बदबू आ रही थी।

मेने उसे रोककर चूत धोकर आने को बोला। वो बाथरूम में गयी और अछी तरह से मसल मसल कर चूत को साफ करके वापिस आ गयी और अपने काम पे लग गयी। मेने जब उसकी चूत में जीभ घुसाई तो चूत रस का अजीब सा नमकीन स्वाद मेरी जीभ में लग गया।

मैं मन मारकर उसको चूसता रहा वो गांड हिला हिला कर मेरे मुह पे अपनी चूत रगड़ती रही। ज्यादा टाइम वो भी रुक न स्की और आहह्ह्ह्ह्ह्ह करके मेंरे मुह पे ही झड़ गयी। मैं जल्दी से उठा और बाथरूम में मुह धोकर कुल्ला करके वापिस आ गया।

जब वो झड़ गयी तो बोली अब आप आ जाओ मेरा काम तो हो गया आपका भी करदू।

मुझे उसने लेटने का इशारा किया, मै लेट गया और मेरे खड़े लण्ड को अपने थूक से तर करके उसपे चूत को सेट करके बैठ गयी। उसकी तंग चूत में सिर्फ लण्ड का गुलाबी टोपा ही घुस स्का। जिस से उसको शयद थोडा दर्द महसूस हुआ। फेर गांड ऊपर उठाकर एक और झटका मारा तो आंधे से ज्यादा लण्ड उसकी चूत में घुस गया और वो दो मिनट उसी हालत में बैठी रही।

जब उसका दर्द थोडा कम हुआ तो उसने अपने कूल्हे हिलाने शुरू किये। उसके थूक और चूत के रस से सना लण्ड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था। वो आँखे बन्द करके जोर जोर से झटके मार रही थी। लण्ड चूत के मुह तक वापिस आकर उसकी बच्चेदानी दे टकरा रहा था। मैं उसके हिलते मम्मो को बदल बदल कर मुह में लेकर चूस रहा था।

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